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ईंट भट्ठे में फंसे 150 से ज्यादा झारा मजदूर, एक की मौत के बाद भी नहीं छोड़ रहा भत्ता मालिक

रायगढ़ मुनादी।। ढोकरा शिल्प बनाकर पूरे देश में ख्याति अर्जित करने वाले झारा परिवार के करीब 150 सदस्य तेलंगाना के एक ईंट भट्ठे में बंधक हैं। एक मजदूर की मौत के बाद मुश्किल से उसका शव यहां लाया गया। इसके बाद परिजनों ने रायगढ़ विधायक और वित्त मंत्री ओपी चौधरी से उन मजदूरों को वापस लाने के लिए ज्ञापन दिया है।

रायगढ़ के एकताल गांव के झारा परिवार के लोग ढोकरा शिल्प बनाते हैं और इसके लिए वे देशभर में ख्याति प्राप्त हैं और कई शिल्पकार तो राष्ट्रपति पुरस्कार से लेकर कई तरह के अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं लेकिन उसमें कमाई खत्म हो जाने के कारण उन्हें बाहर जाकर मजदूरी करनी पड़ रही है। इसी क्रम में इस गांव के लोग तेलंगाना के एक ईंट भट्ठे में मजदूरी का काम करने लगे। यहां इसी गांव के करीब 150 लोग काम कर रहे हैं।

एक दिन उन मजदूरों में से एक 40 वर्षीय नवीन झारा की मौत अज्ञात कारणों से हो गई। उसकी खबर जब यहां पहुंची तो उन्होंने भट्ठा मालिक से शव यहां भेजने की गुजारिश की लेकिन भट्ठा मालिक आना कानी करने लगा और वहीं उसका अंतिम संस्कार की बात करने लगा। उसके पत्नी द्वारा बार बार आग्रह के बाद अंततः शव को तो यहां भेज दिया गया लेकिन उसके साथ के अन्य मजदूरों को नहीं छोड़ा गया। इसके बाद यहां के लोगों ने वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन दिया है।

इस गांव को लेकर सरकारी घोषणाएं भी खूब हुई है, कई बार इनके लिए योजनाएं भी बनी लेकिन कोई फलीभूत  नहीं हुई। 2012 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने ग्वालियर के तर्ज  पर इनके लिए शिल्प ग्राम बनाने की भी घोषणा की थी लेकिन मामला  घोषणा से आगे नहीं बढ़ सकी। इनके लिए वर्कशेड बनाया गया लेकिन बाजार की समस्या बनी रही। पहले सरकारी सरस मेला में उन्हें शामिल किया जाता था। उन्हें देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में भी समान लेकर भेजा जाता था लेकिन अब इन कलाकारों के लिए रोजी रोटी के लिए मजदूरी का ही सहारा रह गया है।

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