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EOW की बड़ी कार्यवाही,करोड़ों की भूमि घोटाला ,बिल्डर और सहकारिता की मिलीभगत उजागर

जांच में यह भी पाया गया कि संस्था के रिकॉर्ड अध्यक्ष के निजी निवास से संचालित कार्यालय में रखे गए

EOW की बड़ी कार्यवाही,करोड़ों की भूमि घोटाला ,बिल्डर और सहकारिता की मिलीभगत उजागर

भोपाल।आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने गौरव गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल में करोड़ों रुपये के भूखण्ड घोटाले का खुलासा करते हुए संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष संतोष जैन सहित कई अधिकारियों और बिल्डरों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

मूल संस्थापक सदस्यों की शिकायत के आधार पर की गई विस्तृत जांच में सामने आया कि संस्था संचालन, सदस्यता वितरण और भूमि हस्तांतरण में गंभीर अनियमितताएं की गईं। शिकायत क्रमांक 145/08, जो 18 जून 2008 को दर्ज हुई थी, में आरोप था कि अध्यक्ष संतोष जैन ने वर्ष 1999 में अनियमित चुनाव के माध्यम से पद संभाला और कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी संस्था पर अवैध नियंत्रण बनाए रखा।

जांच में पाया गया कि अक्टूबर 2005 में उन्होंने नियमों की अवहेलना करते हुए आठ फर्जी सदस्य जोड़े और 30 जून 2004 को मेसर्स शुभालय विला से बिना निविदा प्रक्रिया या आमसभा की अनुमति के अनुबंध कर लिया। इस अनुबंध के तहत संस्था की पांच एकड़ भूमि में से अधिकांश भाग बिल्डर को सौंप दी गई और केवल 44 भूखण्ड मूल सदस्यों के लिए छोड़े गए।

आरोप है कि अनुबंध के पहले तीन पृष्ठ कूटरचित थे तथा गवाहों के हस्ताक्षर नहीं थे। संतोष जैन ने आमसभा के प्रस्तावों में कूट रचना कर स्वयं को अनुबंध हेतु अधिकृत बताया और बाद में फर्जी कोटेशन प्रस्तुत किए।

जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि संस्था के 44 मूल सदस्यों को उनके भूखण्ड नहीं मिले, जबकि नियमों को दरकिनार कर 49 नए सदस्यों को जोड़ा गया — जिनमें सहकारिता विभाग के अधिकारी और प्रभावशाली व्यक्ति भी शामिल थे। इन्हें मनमाने ढंग से भूखण्ड आवंटित और विक्रय कर दिए गए, जिनकी बिक्री से प्राप्त राशि का कोई लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं किया गया।

जांच में यह भी सामने आया कि तत्कालीन सहकारिता उपायुक्त बबलू सातनकर ने संस्था की अनियमितताओं को नज़रअंदाज़ करते हुए अपनी पत्नी सुनिता सातनकर को अवैध रूप से संस्था का सदस्य बनवाकर भूखण्ड क्रमांक 07 की रजिस्ट्री कराई। इसके अलावा, संस्था की तत्कालीन अध्यक्ष अनिता बिस्ट भट्ट ने भी संतोष जैन की फर्जी योजनाओं को समर्थन दिया।

आमसभाओं की तिथियों — 18 जून 2004, 22 मई 2005 और 26 फरवरी 2006 — का झूठा हवाला देकर अनुबंध को वैध ठहराने की कोशिश की गई। कई भूखण्डों की रजिस्ट्री गैर-सदस्यों के नाम पर संतोष जैन और शुभालय विला के हस्ताक्षरों से की गई।

जांच में यह भी पाया गया कि संस्था के रिकॉर्ड अध्यक्ष के निजी निवास से संचालित कार्यालय में रखे गए और पूर्व प्रशासकों को कोई दस्तावेज हस्तांतरित नहीं किए गए।

EOW जांच के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में संस्था की भूमि हड़पने, मूल सदस्यों को वंचित करने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भूखण्ड विक्रय करने की सुनियोजित साजिश रची गई।

EOW ने संतोष जैन (तत्कालीन अध्यक्ष), शिशिर खरे, नंदा खरे, मनोज सिंह मीक (भागीदार, शुभालय विला), बबलू सातनकर (सेवानिवृत्त उपायुक्त, सहकारिता विभाग), श्रीमती सुनीता सातनकर, और श्रीमती अनिता बिस्ट भट्ट (पूर्व अध्यक्ष, गौरव गृह निर्माण संस्था) के खिलाफ धारा 120बी, 420, 406, 467, 468 और 471 भा.दं.सं.के तहत FIR दर्ज की है।

 

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