जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने शरीर त्यागाः डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में देर रात 2.35 बजे ली समाधि; कर्नाटक में जन्मे थे
युग दृष्टा ब्रहमांड के देवता संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज आज दिनांक 17 फरवरी शनिवार तदनुसार माघ शुक्ल अष्टमी पर्वराज के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि में2:35 बजे हुए ब्रह्म में लीन।
हम सबके प्राण दाता राष्ट्रहित चिंतक परम पूज्य गुरुदेव ने विधिवत सल्लेखना बुद्धिपूर्वक धारण करली थी। पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन के उपवास गृहण करते हुए आहार एवं संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था एवं प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था। 6 फरवरी मंगलवार को दोपहर शौच से लौटने के उपरांत साथ के मुनिराजों को अलग भेजकर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर जी से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद दिया जावे ऐसी घोषणा कर दी थी जिसकी विधिवत जानकारी कल दी जाएगी।
परमपूज्य गुरूदेव ने पूरी जागृत अवस्था में अंत समय तक प्रभु स्मरण के साथ उपस्थित निर्यापक श्रमण मुनि श्री योगसागर जी निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर जी निर्यापक श्रमण मुनि श्री प्रसादसागर जी मुनिश्री चन्द्रप्रभसागर जी मुनिश्रीपूज्यसागर जी मुनि श्री निरामयसागर जी मुनिश्री निस्सीमसागर जी ऐ.निश्चयसागर ऐ श्री धैर्यसागर जी एवं बा ब्र. विनयभैया की उपस्थिति और संबोधन के चलते नश्वर देह का चन्द्रगिरि तीर्थ पर आज रात्रि २-३५ पर त्याग कर दिया ।
गुरुवारश्री जी का डोला चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ में दोपहर 1 बजे से निकाला जाएगा,एवम् चन्द्रगिरि तीर्थ पर ही पंचतत्व में विलीन किया जावेगा।
प्रतिष्ठाचार्य -बा.ब्र.विनय भैया “ साम्राट” चन्द्रगिरि तीर्थ डोंगरगढ़ से
आचार्य श्री जी समाधिस्थ
दिगंबर सरोवर के,राजहंस आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज् का समाधि पूर्वक मरण हो गया है, सदी के आध्यात्मिक सूर्य के अस्त होने से विश्व आध्यात्मिक पटल पर शून्य निर्मित हो गया है l
समस्त अनुयायायियो से आग्रह है अपनी दुकान व्यव्साय बंद रखे l
*निवेदक- श्री दिगम्बर जैन पंचायत सभा*
*जैन नवयुवक सभा जबलपुर*