मैं ज्योति मौर्य नहीं, जो साथ छोड़ दूं….अनुकंपा नियुक्ति दिलाने दिव्यांग पति को गोद में उठाकर चक्कर काट रही महिला

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छतरपुर, यशभारत। छतरपुर जिले के परसनिया गांव की रहने बाली प्रियंका गौंड अब उन लोगों के लिए आदर्श बनकर सामने आई है जो अपने पति को पद पाते ही छोड़ देती है, क्योंकि वह एक दो साल से नहीं बल्कि पूरे 5 साल से पति को गोद में लेकर दर-दर भटक रही है. अपने दिव्यांग पति के लिए प्रियंका नेताओं और अफसरों से फरियाद लगा रही है. मंगलवार को जब प्रियंका अपने पति को गोद में लेकर जनसुनवाई में पहुंची तो सभी नजारा देखकर दंग थे। दिव्यांग पति के प्रति प्रियंका का यह समर्पण समाज में मिसाल बना हुआ है. वहीं प्रियंका का कहना है कि मैं ज्योति मौर्य नहीं, जो अपने पति का साथ छोड़ दूं। हौसला इतना कि हर हाल में पति को अनुकंपा नियुक्ति दिलाने की बात प्रियंका कह रही है।
दरअसल, प्रियंका के पति अंशुल गौंड़ का 2019 में एक्सीडेंट हुआ था, इसके बाद वह दिव्यांग हो गए. पति का कहना है उसकी मां शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर पदस्थ थी, लेकिन साल 2015 में उनकी एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी. जब से लेकर आज तक उन्हें मां की नौकरी की जगह अनुकंपा नियुक्ति नही दी गई है. लवकुश नगर तहसील के ग्राम परसानिया की रहने वाली प्रियंका आदिवासी की शादी साल 2017 में अंशुल गौड़ से हुई थी. 2019 में सड़क हादसे में अंशुल घायल हो गए थे. उनके पैर और कमर में गंभीर चोटें आई थीं, तभी से वह चलने फिरने में असमर्थ हैं और सर्वाइकल स्पाईन (लकवा) की बीमारी से ग्रस्त हैं। तभी से पत्नी अपने बीमार/दिव्यांग पति को लेकर जिम्मेदारों की चौखट पर मदद की गुहार लगाने पहुंच रही है. आर्थिक तंगी से परेशान प्रियंका अपने पति को लेकर लगातार मदद की गुहार लगा रही है. हालत और परिवार की स्थिति सुधारने के लिए एक महिला लगातार जंग लड़ रही है, पर उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा. कलेक्टर की जनसुनवाई में पति को गोद में लेकर प्रियंका ने एक बार फिर मदद की गुहार लगाई, जहां कलेक्टर ने उसे मदद का आश्वासन दिया है.।

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