जबलपुर में बारिश में भीगी किसानों की धान, प्रशासन की लचर प्रणाली के चलते किसान हलाकान

जबलपुर यश भारत। उपार्जन केंद्र की स्थापना को लेकर अधिकारियों द्वारा की गई लापरवाही के कारण किसानों की उपज बारिश के कारण खराब हो रही है। शुक्रवार रात जिले में हुई तेज बारिश के चलते खुले में पड़ी हजारों क्विंटल धान गीली हो गई है। कई जगह गोदाम परिसरों के बाहर रखी हुई धान 1 फीट तक पानी में डूब दी गई जिससे करोड़ों रुपए के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। इस तरह के मौसम को लेकर मौसम विभाग द्वारा पूर्व में ही जानकारी दे दी गई थी। जिसको लेकर किसान पहले से आशंकित थे और अपनी मांगों को लेकर आंदोलन भी कर रहे थे लेकिन प्रशासन के ढीले रवैया ने किसानों को अब इस कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।
एक माह से चल रही प्रक्रिया
जिले में वैसे तो 1 दिसंबर से उपार्जन प्रारंभ होना था लेकिन 10 दिसंबर के बाद से उपार्जन के कार्य में तेजी आई लेकिन प्रशासन द्वारा स्वासहायता समूह के केंद्र स्थापित करने में जमकर लापरवाही की और कुछ गोदाम संचालक के साथ-साथ एनआरएलएम संचालकों को फायदा पहुंचाने के लिए 10 दिनों तक लिस्ट यहां से वहां घुमाते रहे और जब पूरा मामला उजागर हो गया तो पिछले 10 दिनों से जांच और सस्पेंड करने का खेल चल रहा है लेकिन किसानों की समस्या को लेकर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया बस उन्हें आगे की तारीख बताई गई है। अब खराब मौसम के चलते किसान अपनी खून पसीने की उपज पानी में खराब करने मजबूर हैं।
नहीं लिया निर्णय
इस पूरे मामले में लगभग 15 गोदाम के बाहर हजारों क्विंटल धान पड़ी हुई थी जिसको लेकर प्रशासन के पास परिवहन या फिर उपार्जन करने के बाद मिलर को देने के विकल्प मौजूद थे लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस पूरे मामले में कोई भी ठोस निर्णय नहीं लिया जिसका चलते किसानों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है एक और जहां अधिकारी कड़ी कार्रवाई की बात कह रहे हैं वहीं दूसरी तरफ किसानों की समस्या को देखते हुए कड़े निर्णय लेने में हीलाहवाली हुई है।