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कांग्रेस के लिये तो कैंसर की तरह है गुटबाजी और इसे समाप्त करना सबसे बड़ी चुनौती भी है, कांग्रेस को रिफॉर्म करने राहुल ने जो जो कहा वह सौ फीसदी सही मगर धरातल पर नजर आए तो बात बने

भोपाल यश भारत। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को राजधानी भोपाल में संगठन सृजन अभियान की शुरुआत की। विपक्षी दल चाहे जो कुछ भी कहें लेकिन एक बात है कि राहुल का यह राजधानी दौरा और दौरे के दौरान उनके द्वारा की गई बातों ने पार्टी कार्यकर्ताओं में न केवल नई ऊर्जा का संचार किया बल्कि कार्यकर्ताओं में जोश भरने में भी वह सफल रहे। राहुल गांधी ने कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के टिप्स जो नेताओं और कार्यकर्ताओं को दिए यदि उनका सही तरीके से क्रियान्वयन धरातल पर हो जाए तो प्रदेश में कांग्रेस की तस्वीर बदलने में समय नहीं लगेगा। यदि कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस में गुटबाजी एक ला इलाज बीमारी की तरह मौजूद है इसकी तुलना कैंसर से की जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। और पार्टी के अंदर मौजूद यह बीमारी इतनी आसानी से दूर हो पाएगी इसको लेकर संसय भी है। प्रदेश में मौजूद छत्रप इतनी आसानी से सब कुछ स्वीकार कर लेंगे ऐसा नहीं लगता और कांग्रेस के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी संगठन में जान फूंकने के लिए श्री गांधी ने जो सूत्र दिए हैं वह काफी महत्वपूर्ण तो है और यदि उनका प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो जाए तो इसके दूरगामी परिणाम काफी अच्छे आने वाले हैं। उदाहरण के तौर पर राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस में अब एक्टिव लोगों को ही खासकर युवाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। जिला अध्यक्ष का चुनाव भी आम कार्यकर्ता करेगा। जिला अध्यक्षों को ज्यादा ताकत देकर उनकी जिम्मेदारियां भी तय की जाएगी। जिला अध्यक्ष सीधी एआईसीसी की निगरानी में केंद्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा चुने जाएंगे जबकि अब तक होता यह था कि प्रदेश के बड़े नेता अपनी चाहतों को उपकृत करने के लिए अपनी पसंद के व्यक्ति को महत्वपूर्ण पदों पर बैठा लेते थे। दूसरी बात राहुल गांधी ने कहीं की कांग्रेस निष्क्रिय उम्र दराज नेताओं की जगह युवा ऊर्जावान और फील्ड में एक्टिव नेताओं को मौका देगी इससे संगठन में नई सोच और के साथ ही सोशल मीडिया के इस दौर में नई ऊर्जा का संचार होगा। अगली बात राहुल गांधी ने कहीं की अब जो भी जिला अध्यक्ष बनेगा वही संगठन चलाएगा पार्टी में सिर्फ नाम के लिए जिले की कमान नहीं सौंपी जाएगी। जो नेता कार्यकर्ता पार्टी की विचारधारा के साथ खड़ा होगा उसके लिए भी स्वयं खड़ी मिलेंगे जो कार्यकर्ता वा नेता पार्टी की मूल विचारधारा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेगा उनकी तरफ से उनका व्यक्तिगत समर्थन ऐसे लोगों के साथ होगा। इसके अलावा उन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात कही है कि चुनावी रेस में अब जीतने वाले घोड़े पर ही दांव लगाया जाएगा। ऐसी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा जो गुटबाजी व अंदरूनी राजनीति में उलझे रहते हैं चुनाव में वही उम्मीदवार उतारे जाएंगे जिनका अपना जनआधार होगा। राहुल गांधी की यह एक-एक बात सौ फीसदी सटीक है पर मुश्किल यह है कि जिस कांग्रेस को गुटबाजी ने खोखला कर दिया है क्या उसमें यह सब संभव हो पाएगा। यही सबसे बड़ा सवाल भी है।

इकलौती पार्टी है जिसके देश के हर कोने में है कार्यकर्ता

कांग्रेस इतनी पुरानी पार्टी है कि आज भले वह अपनी बुरे दौर से गुजर रही हो लेकिन यह बात भी उतनी ही सटीक है कि कांग्रेस शायद देश की इकलौती ऐसी पार्टी होगी जिसके कार्यकर्ता महानगरों से लेकर दूर दराज के गांव-गांव में मिल जाएंगे जरूरत है तो सिर्फ उन्हें महत्व देने और ऐसे लोगों को पहचान कर आगे बढ़ाने की कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के तहत नहीं सिरे से कांग्रेस को मजबूत करने की कवायद में तो लगी है लेकिन अपने इन प्रयासों में वह कितनी सफल हो पाती है यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा।

गुटबाजी के कारण ही प्रदेश मै सत्ता में आने के बाद भी बाहर हो गई थी कांग्रेस

कांग्रेस में गुटबाजी किस तरह हावी है इसका अंदाजा सिर्फ इसी बात पर लगाया जा सकता है कि जब कांग्रेस नेता कमलनाथ की नेतृत्व मै प्रदेश में कांग्रेस ने सरकार बनाई तू यह सरकार मुश्किल से डेढ़ साल ही चली और गुटबाजी के चलते ही कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा। यह बात किसी से छिपी नहीं है। कई कांग्रेस के नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया और कांग्रेस की सरकार प्रदेश की सत्ता से बाहर हो गई।

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