चुनावी चकल्लस:- नेताजी ने तो पहले ही मैदान मार लिया
शहर में चुनावी सर गर्मी का माहौल बना हुआ है इसी कड़ी में एक विधानसभा का चुनाव बड़ा ही रोचक हो गया है।कहते हैं यहां पर मामला त्रिकोणीय है। साम दाम दंड भेद हर प्रकार की नीति का उपयोग किया जा रहा है जिसमें की एक प्रत्याशी द्वारा अपने राष्ट्रीय स्तर के नेता के लिए सभा करवाने को लेकर विधानसभा में ही स्थित एक मैदान को बुक करना चाहा परंतु इसके विपरीत दूसरे कद्दावर नेताजी ने बड़ी ही चतुराई से आने वाले एक महीने के लिए इस मैदान को बुक कर लिया। कहते हैं अगर इस राष्ट्रीय नेता की सभा इस मैदान में हो जाती तो काफी वोटो का धु्रवीकरण हो सकता था इसीलिए नेताजी ने राजनीतिक रणनीति बनाकर आने वाले कई दिनों तक मैदान की बुकिंग करा ली। अब राजनीतिक पंडित पूर्व मंत्री की रणनीति की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं उनका कहना है कि हार जीत तो बाद की बात है नेताजी ने चुनावी मैदान तो पहले ही मार लिया।
जनता की माला का खेल निराला
पिछले दिनों एक विधानसभा क्षेत्र में टिकट के बाद जमकर आक्रोश बरपा था धीरे-धीरे टिकट घोषणा के बाद केंद्रीय नेताओं के आश्वासन से विधानसभा में असंतोष खत्म होने लगा । सभी ने नेताओं के दो मुंहा चेहरे देखे और ये नेता जनता को नसमझ समझकर सफाई पेश करते रहे,परंतु क्षेत्र की जनता भी कम चतुरी नहीं थी। एक प्रत्याशी की बैठक करवाने के बाद जब दूसरे प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ रैली लेकर निकले तो उसी क्षेत्र की जनता ने तुरंत दूसरे प्रत्याशी का स्वागत माला पहनाकर कर दिया अब पास से उसी पार्टी के नेता जी सब देख रहे थे अचानक पहुंच कर जनता से बोले ये तो वही माला है जिसे आप सभी ने कुछ देर पहले क्षेत्रीय बैठक में एक ओर प्रत्याशी को पहनाई थी। समर्थकों के साथ माला पहने नेता जी पूरा माजरा सुनकर छोटा सा मुंह लेकर निकल गये बस फिर क्या था जिसने भी यह माजरा सुना वह यही कहता नजर आया-भाई ! जनता की माला का खेल निराला है।
तो भईया कितने से तो भाईसाहब….
जबलपुर की राजनीति में भईया और भाईसाहब की गजब की राजनीति है भईया कितने से तो भाईसाहब इतने से समझदार ढंग से की जाने वाली बातों में भईया और भाईसाहब को जीताते और हराते रहते है मजे लेते हैं।