52 करोड़ का डीपीआर तैयार साल से अटका प्रोजेक्ट

जबलपुर, यशभारत। पूरे शहर में नर्मदा जल पहुंचाने वाली योजना अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इससे कैंट क्षेत्र भी अछूता नहीं है। कहा जा रहा है कि कैंट क्षेत्र के करीब एक लाख लोगों को नर्मदा जल देने के लिए बनी फाइल 17 साल से अटकी है। दरअसल कैंट प्रशासन ने 16 साल पहले 2007 में इस प्रोजेक्ट को कागजों में शुरू तो किया था लेकिन 2022 तक इसे जमीनी स्तर पर प्रारंभ नहीं करा सका।
अब उस नर्मदा जल प्रोजेक्ट को नगरीय प्रशासन विभाग ने अपने हाथों में लेकर अमृत फेज-2 योजना में शामिल कर लिया है। 52 करोड़ रुपए की डीपीआर भी तैयार हो गई। लेकिन इतना सब होने के बाद भी इस प्रोजेक्ट को गति नहीं मिल पाई है। अब एक एजेंसी ने इसे अटका दिया।
बोरिंग के पानी के भरोसे, जांच तक नहीं होती
कैंट क्षेत्र की आबादी करीब एक लाख से ज्यादा है। इस पानी की जांच तक नहीं होती है। जनता की मांग पर पानी की जरूरत पूरी करने के लिए हर साल इधर-उधर बोरिंग करा दी जाती है। पिछले लगभग 45 साल से पुरानी टंकियों और सम्पवेल से पानी की सप्लाई हो रही है। टैगोर गार्डन में 2 लाख गैलन का सम्पवेल और 1 लाख गैलन का ओवरहेड टैंक है। वहीं कटंगा में 40 हजार गैलन का और 1 लाख का टैंक है। करौंदी में 40 हजार गैलन का सम्पवेल है।
61 करोड़ का प्रोजेक्ट 52 करोड़ में बदला
कैंट प्रशासन ने 2007 में जब इस प्रोजेक्ट को कागजों में तैयार कराया था, उस वक्त इसका करीब 61.78 करोड़ तय किया गया था। इस प्रोजेक्ट की फाइल नगरीय प्रशासन के पास 2022 में पहुँची लेकिन वहां पहुंचते ही इस प्रोजेक्ट की लागत घटकर 52 करोड़ रुपए हो गई। बताया जाता है कि बजट इसलिए घटा दिया गया, क्योंकि पहले डायरेक्ट नर्मदा नदी से कैंट क्षेत्र तक पाइप लाइन बिछाने का प्लान तैयार किया गया था, इसमें फेरबदल कर दिया गया है। कई कामों में कटौतियों को गई हैं।
नर्मदा जल की सौगात सपने जैसा
जनता को नर्मदा जल की सौगात देने का वादा कैंट के जिम्मेदारों ने 16 साल पहले किया था। आज तक इस क्षेत्र की जनता को नर्मदा जल की सौगात नहीं मिल सकी। वर्षों से बोरिंग का पानी मिल रहा है। जिम्मेदारों ने लापरवाही बरती है। सवाल यह उठ रहा है कि किसकी वजह से यह प्रोजेक्ट लेट हुआ? आज तक इसकी जिम्मेदारी तय नहीं की गई, न ही किसी पर कोई कार्रवाई की गई। इसलिए यह प्रोजेक्ट नगरीय प्रशासन तक तो पहुँच गया लेकिन वहां जाकर इसकी फाइल अटक गई।
