यदि आपको कोई ‘श्री 420’ बोले तो बुरा मत मानना ,बदल गया कानून का पता ,ठगी में 420नहीं 318, हत्या में 302 नहीं 103 और दुष्कर्म में 376 नहीं 64 धारा के तहत दर्ज होगा मुकदमा,बदल गया कानून,कब किस अपराध में कौन सी धाराएं लगेंगी, जानने के लिए पढ़ें यश भारत की यह विशेष खबर
2दिन बाद 163 साल पुराने अंग्रेजों के कानून को अलविदा तीन नए एक्ट पर अध्ययन, बारीकियां सीखने में जुटी पुलिस, अधिवक्ता
जबलपुर,यश भारत। सदियों से ‘420’ को एक मुहावरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। जब भी कोई किसी को धोखा देता है ठगी करता है तो उसे 420 कहा जाता है। आम बोलचाल में ये शब्द खूब रंग गया है। किताबों, उपन्यासों से लेकर तमाम भाषणों में भी इस शब्द का इस्तेमाल होता आ रहा है। इस शब्द पर राजकपूर की फिल्म श्री 420 भी आई थी। लेकिन अब धोखेबाज को 420 नहीं कहा जाएगा। इसे अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 318के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा। 163 साल से चला आ रहा पुराना कानून बदलने जा रहा है।। दरअसल 1 जुलाई से लागू होने वाले तीन नए क्रिमिनल कानून अपराध से जुड़ी कई चीजें बदल देंगे। इसके साथ ही आम बोलचाल भी बदल जाएंगीं। अंग्रेजों के जमाने से देश में लागू तीन आपराधिक कानून एक जुलाई से बदलने वाले हैं। नये कानून की बारीकियां पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों से लेकर अधिवक्तागण सीख रहे है। बकायदा इन्हें नए कानून संबंधित ट्रेनिंग दी जा रही है।
देश में अब कहीं भी जीरो पर एफआईआर-नए कानून के तहत देश में अब कहीं भी जीरो पर एफआईआर दर्ज हो सकेगी। इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी। इसके अलावा 15 दिन में जीरी एफआइआर को संबंधित थाने को भेजनी होगी। पुलिस को पीडि़त को 90 दिन में प्रोग्रेस रिपोर्ट भी देनी होगी। चार्जशीट भी 90 दिन में दाखिल करनी पड़ेगी। जांच अधिकतम 6 माह में पूरी करनी होगी। इसी अवधि में आरोप तय करने होंगे। इसी प्रकार धोखाधड़ी करने वालों पर 420 धारा नहीं लगेेगी। अब चिटलरों के खिलाफ 318 का इस्तेमाल होगा। विदित हो कि 420 का नाम सुनते ही हर कोई इसके मायने समझ जाता था इन अंकों पर कई फिल्में और कहानियां भी बनाई गई लेकिन अब यह धारा बदलने से यह फिल्मेें और कहानियां भी बीता हुआ कल बन कर रह जाएगी।
IPC की 511 की बजाय होंगी 356 धाराएं-भारतीय न्याय संहिता में आईपीसी की 511 धाराओं के बजाय 356 धाराएं होंगी, जिनमें से 175 में संशोधन किया जाएगा। सरकार ने कहा कि आठ नए खंड जोड़े गए हैं और 22 को निरस्त कर दिया गया है। लगभग 40 साल पुरानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में और अधिक धाराएं होंगी और उन्हें और अधिक प्रासंगिक बनाया गया है।
प्रचलित धाराएं बदली-302, 307, 376 जैसी धाराओं का मतलब हर कोई बखूबी जानता है। हत्या, हत्या का प्रयास, दुष्कर्म जैसे प्रचलित ये धाराएं बदल गई है। हत्या 103, हत्या का प्रयास 109, दुष्कर्म 64 धारा से जानी जायेगी और 420 अब धारा 318 होगी।इसके अलावा चोरी, डकैती, लूट समेत अन्य धाराएंबदल गई है
तीनों नए कानून में धाराओं, गिरफ्तारी-कस्टडी,फॉरेंसिक जांच-वीडियोग्राफी समेत कई बड़े बदलाव हो गए है। जिन्हें एक जुलाई से लागू कर दिया जायेगा। नए कानून की बारीकियां सीखी जा रही है। नए कानून में पुलिस को आरोपी गिरफ्तार से लेकर घटनास्थल की जांच, तलाशी व जब्ती की वीडियोग्राफी करनी होगी। जिन्हें सुनवाई होने तक संभालकर भी रखना होगा। अब यह नए कानून आसान होंगे या चुनौतियों भरे होंगे ये तो एक जुलाई के बाद ही पता चलेगा।
धर्म संकट में अधिवक्ता, नए के साथ पुराना एक्ट भी पढऩा – अधिवक्ता धर्म संकट की स्थिति में है क्योंकि उनकों नया एक्ट भी पढऩा है और पुराना एक्ट भी पढऩा है। ऐसा नहीं है कि नया एक्ट लागू हो गया है तो पुराना खत्म हो गया। 1 जुलाई के पहले के जो प्रकरण है उसमें पुराने एक्ट ही लगेंगे। नए एक्ट की अधिवक्ताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है और अध्ययन भी कराया जा रहा है।
90 दिन का रिमांड, पुलिस का ब्रह्मास्त्र-कानून के जानकार कहते हैं कि सबसे ज्यादा समस्या दंड प्रक्रिया संहिता में है इस एक्ट में एक मुख्य खामी है वे 90 दिन का पुलिस रिमांड है जो पुलिस का ब्रह्मास्त्र है। पुलिस चाहे तो मुल्जिम को 5 दिन में पेश करें पुलिस चाहे तो 90 दिन तक पेश न करें। जब तक मुलजिम पेश नहीं होंगा तब तक जमानत नहीं मिलेगी। जमानत के लिए आवेदन तभी कर सकते हैं जब आरोपी जीआर पर हो ना की पीआर पर हो। इन सब पर चर्चा और अध्यन चल रहा है।
पुलिस अधिकारियोंं से लेकर कर्मचारियोंं को ट्रेनिंग दी जा रही है। नए कानून की बारीकियां सिखाने प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आदित्य प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक