दिव्यांग का मकान ढहा, रातभर रोता रहा, जिम्मेदार अधिकारी सोते रहे

अधिकारियों को फोन किया, कोई नहीं पहुंचा मौके पर
जबलपुर,यशभारत। यूं तो मीडिया में आकर समाज के सामने एक अच्छा चेहरा पेश करने लोग अक्सर गरीबों की मामूली मदद करके प्रसिद्धि पाने का प्रयास करते हैं लेकिन जब कोई बड़ा मामला होता है तो फिर ऐसे जनप्रतिनिधि, नेता , सामाजिक संगठन के पदाधिकारी और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अपने पैर पीछे खींचते नजर आते हैं। इसकी एक बानगी उस वक्त देखनी मिली जब रात को तेज बारिश के दौरान गढ़ा जोन क्रमांक-1 में रहने वाला दिव्यांग ऑटो चालक का एक कमरे का कच्चा मकान ढह गया और उसके घर के पास खड़ा ऑटो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। जिसके बाद उसने नगर निगम, जिला प्रशासन , फायर ब्रिगेड के जिम्मेदारों को कई बार फोन लगाया लेकिन पूरी रात गुजर गई वहां कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं आया। घंटों बीत जाने के बाद जब कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा तो पीडि़त दिव्यांग भूपेंद्र कोष्टा फूट-फूटकर रोने पर मजबूर हो गया। पीडि़त दिव्यांग भूपेंद्र के अनुसार उसे जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी सिर्फ मोबाइल पर आश्वासन दे रहे थे कि दस मिनट में आ रहे हैं लेकिन पूरी रात गुजर गई वहां कोई नहीं पहुंचा। गनीमत रही कि हादसे के वक्त घर के सदस्य बाहर थे नहीं तो एक बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता था। आलम ये था कि हादसे के बाद दिव्यांग ऑटो चालक भूपेंद्र ने अपने दो बच्चों और पत्नि के साथ टूटे मकान के बाहर बैठकर पूरी रात काटी। फिर भी अब पीडि़त भूपेंद्र को जिला प्रशासन से आस है कि कोई तो उसकी सुनेगा और उसकी मदद करेगा।
गृहस्थी बर्बाद होते देख नहीं रुक रहे थे आंसू
मकान ढहने से घर की गृहस्थी बर्बाद होने का नजारा देखकर गढ़ा निवासी दिव्यांग ऑटो चालक भूपेंद्र कोष्टा की आंखों के आंसू थम नहीं रहे थे। पीडि़त पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा था और जैसे-तैसे एक हाथ से ऑटेा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था लेकिन मकान ढहने से ऑटो भी क्षतिग्रस्त हो गई है जिससे वह अब कमाने लायक भी नहीं बचा है। पीडि़त के अनुसार न तो उसके पास ऑटो को सुधरवाने रुपए हैं और न ही कोई रास्ता, सिर्फ एक ही रास्ता अब उसके पास बचा है कर्जा। जानकारी के अनुसार गढ़ा जोन क्रमांक-1 निवासी दिव्यांग ऑटो चालक भूपेंद्र कोष्टा ऑटो चलाता है जिसके दो मासूम बच्चे हैं।