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चिकित्सा शिक्षा विभाग को कोर्ट ने दिया झटका:डेपुटेशन पर हाईकोर्ट की रोक

नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) को धोखा देकर नीमच, मंदसौर और सिवनी में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए मान्यता लेने की तैयारी कर रहे लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को बड़ा झटका लगा है। इन कॉलेजों में फैकल्टी जुटाने के लिए विभाग की ओर से मेडिकल टीचर्स को डेपुटेशन पर भेजने की व्यवस्था की थी। इस आदेश के विरोध में इंदौर के दो मेडिकल टीचर ने हाईकोर्ट की इंदौर ब्रांच की शरण ली थी।

बुधवार को इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उक्त आदेश ही निरस्त कर दिया। ऐसे में विभाग की ओर से की जा रही फैकल्टी की जोड़तोड़ पर ही रोक लग गई है। पीएमटीए के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि मेडिकल टीचर्स गुरुवार को ड्यूटी के दौरान काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रोफेसरों ने पक्ष रखा कि हमारी नियुक्ति इंदौर के स्वशासी मेडिकल कॉलेज में हुई है। नियमानुसार ट्रांसफर नहीं होना चाहिए। ​चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डेपुटेशन पर भेजने के आदेश जारी किए हैं। इंदौर मेडिकल कॉलेज की 250 सीटों के लिए आवश्यक फैकल्टी के तौर पर एनएमसी हमें काउंट कर चुका है। हम एनएमसी को शपथ पत्र भी दे चुके हैं।

ट्रांसफर इंदौर से नीमच कर दिया था
इंदौर के डॉक्टर रोहित मनियाल ने याचिका में उल्लेख किया कि उनकी नियुक्ति बायो केमिस्ट्री विभाग के लिए की गई थी। आयुक्त द्वारा 19 जुलाई 2024 को उनका ट्रांसफर नीमच में खुले नए मेडिकल कॉलेज में कर दिया। उन्हें 17 दिसंबर 21 को नियुक्त किया गया था। सेवा शर्तों में उनका कार्यक्षेत्र इंदौर तय किया गया था। यह भी बताया कि पूर्व में प्रिसिंपल बेंच जबलपुर भी इस तरह का आदेश पारित कर चुकी है, जिसमें ट्रांसफर को गलत बताया था।

450 पदों पर भर्ती, 150 ही लोग पहुंचे
राज्य सरकार की इस साल 5 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से 450 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन, इसमें 150 डॉक्टर ही शामिल हुए।

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