मुख्यमंत्री जी ये अन्याय है, संस्कृति विभाग के अतिथियों को भी मिले सुविधा
जबलपुर, यशभारत।हाल ही में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के शासकीय उच्च शिक्षा के महाविद्यालय में शिक्षणरत अतिथि विद्वानों को मासिक 50,000 रू मानदेय देते हुए उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त उन्हें सेवा से बाहर न करने की घोषणा की है। लेकिन मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के लगभग आठ संगीत महाविद्यालय तथा पांच ललित कला महाविद्यालय जो की संस्कृति विभाग के अतर्गत आते है। इन महाविधालय में भी अतिथि विद्वान यहाँ पर विगत वर्षों से शिक्षा दे रहे है। वही पद और की योग्यता जो उच्च शिक्षा के अतिथि विद्वानों की है। फिर मध्यप्रदेश शासन ये गैर पराये समझने का रवैया शिक्षकों की समझ से परे है। ये सरासर अन्याय है ।
संस्कृति विभाग के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालय के अतिथि विद्वानों को भी घोषणा अनुसार लाभ मिलना चाहिए।इसी कड़ी में संस्कृति विभाग के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालय के अतिथि विद्वानों ने भोपाल पहुंच कर संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर को ज्ञापन दिया ज्ञापन के दौरान अतिथि विद्वानों ने अपनी पीड़ा मंत्री के समक्ष रखी।इस दौरान मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के लगभग आठ संगीत महाविद्यालय तथा पांच ललित कला महाविद्यालय के अतिथि विद्वान मौजूद थे। वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट ने सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों का मासिक मानदेय 37 हजार 500 रुपए से बढ़कर 50 हजार रुपए कर दिया है। इसके अलावा उन्हें आकस्मिक अवकाश, ऐच्छिक अवकाश और नियमानुसार स्थानांतरण का भी लाभ मिलेगा।