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अजब गजब : इन घरों में खिला दुर्लभ ब्रम्ह कमल, पूजा, निहारने मच गई होड़

मंडला । मंडला जिला मुख्यालय से लगे ग्राम देवदरा के राजीव कालोनी झंडा चौक निवासी शिवकुमार कछवाहा और शक्ति नगर राजीव कालोनी निवासी बसंत रजक के घर में ब्रम्ह कमल खिला है, जिसे देखने लोग पहुंचे। ब्रम्ह पुष्प का खिलना हिंदु बेहद शुभ मानते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में ठंड के दिनों में खिलने वाले इस फूल के बारिश के मौसम में खिलने से जानकार लोग भी आश्चर्यचकित हैं। बताया गया कि भारत में एपिफिलम ऑक्सीपेटलम को भी ब्रम्ह कमल कहते हैं। उत्तराखंड में इसे कौल पद्म नाम से जानते हैं। उत्तराखंड में ब्रह्म कमल की 24 प्रजातियां मिलती हैं पूरे विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती है। ब्रह्म कमल के खिलने का समय जुलाई से सितंबर है। ब्रम्ह कमल, फैन कमल कस्तूरा कमल के पुष्प बैगनी रंग के होते हैं उत्तराखंड की फूलों की घाटी में केदारनाथ में पिंडारी ग्लेशियर में यह पुष्प बहुतायत में पाया जाता है। इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है। जानकारी अनुसार ग्राम देवदरा के राजीव कालोनी के झंडा चौक निवासी शिवकुमार कछवाहा और शक्ति नगर राजीव कालोनी निवासी बसंत रजक के घर गुरूवार और शुक्रवार की देर रात दुर्लभ ब्रम्ह कमल खिला। ब्रम्ह कमल के खिलने से परिवार में काफी खुशी का माहौल रहा। ब्रम्ह कमल खिलने की जानकारी मिलने पर आस-पड़ोस सहित उनके परिचित लोग भी देर रात तक उनके निवास स्थान पहुंचे। इस दुर्लभ ब्रम्ह कमल को लेकर शिवकुमार ने बताया कि विगत चार पांच वर्ष पूर्व उनकी बेटी संध्या ने अपने परिचित के यहां से यह ब्रम्ह कमल का पौधा लाकर लगाया था। जिसके बाद अब पहली बार इसमें फूल खिला है। जिसे देखकर काफी प्रसन्नता हो रही है।

ब्रम्ह कमल में होते है औषधि गुण 

बताया गया कि ब्रम्ह कमल में औषधि गुण होते है। यह लगभग वर्ष में एक बार व सूर्यास्त के बाद खिलता है। सुबह होते तक यह मुरझा भी जाता है। ब्रम्ह कमल को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं में ब्रह्म कमल का अहम स्थान है। इसे भगवान ब्रह्मा का कमल कहा जाता है। यह ठंडे व पहाड़ी प्रदेशों में अधिकत्तर होता है,

फूल खिलते ही सुगंधित हो जाता है वातावरण 

जानकार बताते है कि ब्रम्ह कमल का फूल भारत में हिमाचल, हिमालय और उत्तराखंड में पाया जाता है। इसके अलावा यह बर्मा और चीन के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी दिखाई देता है। यह फूल काफी दुर्गम स्थानों पर होता है और कम से कम 4500 मीटर की ऊंचाई पर ही दिखता है। आम घरों में इसके खिलने की वजह से यहां और दुर्लभ नजर आता है। बताया गया कि महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है।

 

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुष्प को केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद विशेष प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ब्रह्म कमल के पौधों की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है, जो जुलाई से सितंबर माह तक इसमें फूल खिलते हैं। बैगनी रंग का इसका पुष्प टहनियों से नहीं बल्कि पीले पत्तियों से निकले कमल पात के पुष्पगुच्छ के रूप में खिलता है जिस समय यह पुष्प खिलता है उस समय वहां का वातावरण सुगंधित से भर जाता है।

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