मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा कृषि भूमि लीज नीलामी पूरी तरह वैध – हाईकोर्ट ने खारिज की नीलामी .. रोकने वाली याचिका

मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा कृषि भूमि लीज नीलामी पूरी तरह वैध
– हाईकोर्ट ने खारिज की नीलामी रोकने वाली याचिका
भोपाल यशभारत।
वक्फ कृषि भूमि की लीज नीलमी को लेकर दायर याचिका को मप्र हाईकोर्ट की खंडपीठ ने निराधार व अस्वीकार्य ठहराते हुए खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय की खंड पीठ न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति विवेक जैन ने अपना फैसला सुनाया। यह याचिका अमीर आज़ाद अंसारी व अन्य द्वारा दायर की गई थी। याचिका में दो मुख्य आपत्तियां उठाई गई थीं। जिसमें बताया गया था कि वक्फ बोर्ड के आदेश पर हस्ताक्षर करने वाली मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा फरज़ाना गज़ाल पूर्णकालिक सीईओ नहीं हैं, जो कि वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 23 के खिलाफ है। दूसरी, कि 1994 के एक पुराने परिपत्र के अनुसार वक्फ संपत्ति की नीलामी केवल मुतवल्ली द्वारा की जा सकती है, बोर्ड द्वारा नहीं।
न्यायालय ने दलीलों को माना निराधार
न्यायालय ने दोनों दलीलों को निराधार माना है। आदेश में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के वकील ने अस्थाई शब्द से खेलने की कोशिश की । डॉ फरजाना गजाल वक्फ अधिनियम की धारा 23 के प्रावधानों अनुसार एक मुस्लिम महिला, उप सचिव स्तर से उच्च स्तर की अधिकारी हैं, और इनकी सेवाएं उच्च शिक्षा विभाग से पिछड़ा वर्ग तथा अल्प संख्यक कल्याण विभाग में तीन वर्षों के लिए तीन डिपुटेशन पर ली गई हैं फिर सरकार ने उन्हें वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का उत्तरदायित्व सौंपा है। उनके नियुक्ति आदेश में अस्थाई शब्द सीमित अवधि तीन वर्षों के के संदर्भ में उपयोग किया गया है इससे अधिनियम के प्रावधान का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है। अत: उन्हें पूर्णकालिक सीईओ न मानने का कोई आधार नहीं है।
दूसरे बिंदु पर अदालत ने दो टूक कहा कि 1994 का परिपत्र अब मान्य नहीं है क्योंकि उसे 2014 के वक्फ संपत्ति लीज नियमों ने प्रतिस्थापित कर दिया है। इन नियमों के अनुसार वक्फ संपत्तियां अब बोर्ड अथवा मुतवल्ली, दोनों द्वारा लीज पर दी जा सकती हैं।
न्याय की नजऱ में
यह फैसला न केवल एक बेबुनियाद जनहित याचिका पर न्यायालय का करारा प्रहार है, बल्कि यह वक्फ बोर्ड के कार्यों की वैधता को भी सशक्त करता है। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि,इस प्रकार की याचिकाओं से माननीय न्यायालय का कीमती समय बर्बाद होता है। इस निर्णय से यह भी स्पष्ट हो गया है कि अब तथ्यों से परे जाकर, तथ्यों को छुपा कर केवल गुमराह कर और कानून की गलत व्याख्या कर माननीय न्यायालय को गुमराह करने की कोशिशें सफल नहीं होगी।
वक्फ बोर्ड के कामो को प्रमाणिकता मिली
इस याचिका के खारिज होने से वक्फ बोर्ड के कामो को प्रमाणिकता मिली हैं। हम अदालत की दृढ़ता को सलाम करतें है। यह आदेश इस बात का भी सशक्त उदाहरण है कि, कैसे न्यायपालिका जनहित के नाम पर दायर दुर्भावनापूर्ण याचिकाओं से, नियमानुसार और कानून के मुताबिक संस्थाओं को संचालित करने वाले जनसेवकों की रक्षा करती है।
– डॉ सनवर पटेल, अध्यक्ष, मप्र राज्य वक्फ बोर्ड