जबलपुरमध्य प्रदेश

आज़ादी के 75 वर्ष गुजरने के बाद भी आदिवासी जिले का नहीं हो सका विकास : मण्डला सीट से कांग्रेस के ओमकार , भाजपा के फग्गन सिंह की सीधी टक्कर 

मण्डला , यश भारत l केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला संसदीय सीट लगभग सात पंचवर्षीय प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। साथ तीन-चार बार केन्द्रीय मंत्री के पद पर भी आसीन रहे हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत निवास सीट से ही की थी। उन्होंने अपना पहला चुनाव निवास से ही जीता था।

 

उन्होंने मप्र में हाल ही में विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी चैनसिंह बरकडे से हार का सामना करना पड़ा। यह हार देशभर में चर्चा का विषय बन गई। अब आगामी लोकसभा चुनाव होने हैं। और पुनः भाजपा से मण्डला लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया है। उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।

 

विकास को बनाया मुद्दा-

मंडला से बीजेपी प्रत्याशी ने कहा “मंडला जैसे आदिवासी अंचल में कुपोषित बच्चों में कमी आयी है. मृत्यु दर कम हुई है, गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार दिया जा रहा है. किसानों के खाते में सीधे सम्मान निधि पहुंच रही है. महिला सशक्तिरकण की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है.” कुलस्ते ने लोकसभा क्षेत्र में किये गये जनकल्याणकारी विकास योजनाओं एवं केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किये गये कार्यों से क्षेत्र के विकास में आये बदलाव पर बात कर रहे हैं।

कांग्रेस के मरकाम ने दी लोकतंत्र बचाने की दुहाई –

कांग्रेस से मण्डला लोकसभा प्रत्याशी ओमकार सिंह मरकाम जो कि डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार के विधायक ओमकार सिंह मरकाम को कांग्रेस पार्टी ने मंडला लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होते ही ओंकार सिंह मरकाम क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने कहा “भारतीय जनता पार्टी के राज में लोग परेशान हैं. देश में अमन-चैन भाईचारा और शांति बनाए रखने के लिए हमारा साथ दें. मैं विश्वास दिलाता हूं कि देश उन्नति और प्रगति की राह पर चलेगाl

 

वर्तमान में लोकतंत्र और संविधान जो चुनौतियां हैं, वह सर्वविदित है। लोकसभा मण्डला क्षेत्र आज भी पिछड़े पन का गाथा बयां कर रहा, क्या आगामी चुनाव इन मुद्दों के लेकर जनता स्वीकार करती और किसे नकारती है वह चुनाव परिणाम बतायेगा।

मण्डला मे पलायन, बेरोजगारी हावी –

मंडला क्षेत्र आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां उद्योग धंधे अधिक न होने से स्थानीय लोग बेरोजगार हैं। संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य तो हुए हैं, लेकिन मण्डला संसदीय क्षेत्र मे आज भी पलायन, बेरोजगारी जैसे मुद्दे हावी हैं, जो इन विकास कार्यों को पीछे छोड़ देते हैं।

 

मंडला जिले में उद्योगों का अभाव है। जो उद्योग हैं, उनमें जिले के लोगों का कम काम मिल रहा है। यहां मनेरी में औद्योगिक क्षेत्र है लेकिन यह मंडला से दूर है, जबकि जबलपुर के नजदीक है। जिसका लाभ मण्डला वालों को कम जबलपुर वालों को अधिक मिल रहा है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में हर साल महानगरों की ओर पलायन करते हैं। यह समस्या लंबे वक्त से है, जिसे दूर नहीं किया जा सका है।

 

कौन लगाएगा मरहम-

जबलपुर से मंडला के बीच एनएच 30 का निर्माण 2015 से चल रहा है, जो अब भी पूरा नहीं हुआ है। काम अंतिम चरण में है लेकिन गुणवत्ता ठीक न होने की शिकायतों पर ठेकेदार का टेंडर निरस्त करना पड़ा था। जो आज फिर इस चुनाव मे चर्चा का बिषय है। अब इस सड़क की मरम्मत के लिए भी 54 करोड़ की राशि जारी की गई है। यह अधूरा निर्माण कब पूरा होगा, कहा नहीं जा सकता।

 

जबलपुर से मंडला के बीच वर्षों से बन रहा नेशनल हाईवे-30 गले की फांस बन गया है। इसकी वजह से अन्य विकास कार्य का श्रेय भी पीछे छूट गया है। ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हुई हैं। मुख्य मार्ग से ग्रामीण सड़कें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के माध्यम से जुड़ी हैं।

 

जिले के अस्पतालों मे चिकित्सकों का अभाव, जनता है हलाकान-

स्वास्थ्य व्यवस्था चिकित्सकों की कमी के कर बदहाल स्थिति मे है, जिससे जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है। क्योंकि जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण स्तर तक चिकित्सको की कमी बनी हुई है। इसी तरह मेडिकल कालेज की स्वीकृति तो काफी पहले मिल गई थी, लेकिन जमीन आवंटित न होने से भवन निर्माण का कार्य टलता रहा। ऐन विधानसभा चुनाव के पहले जमीन आवंटित हुई, जिसके बाद भवन निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया हो सकी। हालांकि जिले को मिला मेडिकल कालेज आदिवासी अंचल के लिए एक बड़ी सौगात साबित होगा।

 

शासकीय स्कूलों मे शिक्षा व्यवस्था चरमराई, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ –

अगर बात करें शिक्षा के क्षेत्र मे तो सरकार द्वारा शासकीय स्कूलों के लिए पर्याप्त आवंटन मिल रहा है। पर जमीनी स्तर पर इस आवंटन पर खुलकर भ्रष्टाचार होते देखा जा रहा है, जो भवन का निर्माण कार्य पूर्ण नही हुआ उसे विभागीय पोर्टल मे पूर्ण दर्शाया जाना, भवन मरम्मत के नाम पर भ्रष्टाचार की होली, जिले मे शिक्षकों की कमी इसके बाद भी कुछ शिक्षकों जबलपुर मे संलग्न किया जाना आदि बहुत से मामलों मे किसी प्रकार की लगाम नही लगाई गई।। जिससे सरकार की मंशा अनुरूप बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने से बंचित होना पड़ रहा है।

 

नैनपुर, निवास मे हो रही जिले की मांग –

मण्डला संसदीय क्षेत्र मे निवास, नैनपुर के लोगों द्वारा वर्षों से जिले की मांग की जा रही किन्तु केवल मांग आज तक पूरी नही हुई, केवल आश्वासन ही मिलते आ रहा है। जबकि यह मुद्दा विधान सभा चुनाव मे उथल-पुथल मचा दिया था यहां तक की दोनों क्षेत्रों मे लोगों द्वारा आत्मदाह करने की भी कोशिश तक मामला पहुंच गया था। जन चर्चा मे पुनः यह मुद्दा लोकसभा चुनाव मे गरमा सकता है।

 

जिससे चुनाव मे इस मुद्दे का सीधा असर पड़ सकता है। बहरहाल दोनों अपने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान उतार चुके हैं, भाजपा मोदी जी की लहर कहने नही चूक रही है वहीं कांग्रेस छठवी अनुसूची लागू करने की बात कर रही है साथ ही प्रत्याशी इस चुनाव मे अपने अपने पार्टी या उनके द्वारा किये गये विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच पहुच रहे हैं अब जनता किसे स्वीकारती हैं यह समय ही बताएगा।

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