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28 वर्षीय युवक ने 233 साल पुराने बैंक को झटके में कर दिया कंगाल, महज 93 रुपये में बिका

कहानी 28 साल के युवक की जिसने इंग्लैंड के 233 साल पुराने बैंक को एक झटके में बर्बाद कर दिया. कभी जिस बैंक में खुद क्वीन एलिजाबेथ-2 का खाता हुआ करता था उस बैंक की हालत ये हो गई थी कि उसे महज एक पाउंड की कीमत (93.28 भारतीय रुपये) में बेच दिया गया. क्या है ये पूरी कहानी और कैसे हुआ ये सब? चलिए जानते हैं यहां…

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25 फरवरी 1967 को इंग्लैंड के वैटफोर्ड (Watford) में जन्मे निक लीसन (Nick Leeson) का सपना था एक कामयाब स्टॉक ट्रेडर बनना. जब वह 23 साल का हुआ तो उसने मोर्गन स्टैनली (Morgan Stanly) नामक कंपनी में काम करना शुरू क्या. निक ने इस बीच कंपनी से प्रमोशन की मांग की. लेकिन उसके मैनेजर ने प्रमोशन नहीं दिया. इसी के चलते निक ने यह कंपनी छोड़ दी. फिर 1990 में इंग्लैंड के सबसे पुराने बेरिंग्स बैंक (Barings Bank) में नौकरी करना शुरू कर दिया. लेकिन बेरिंग्स बैंक को नहीं पता था कि निक को नौकरी देना उन्हें कितना भारी पड़ने वाला है.

निक ने यहां आकर एक नया वातावरण देखा. यहां पर ज्यादातर कंप्यूटर पुराने थे. लोग ढंग से काम नहीं किया करते थे और बैंक ने कई ऐसे लोन दिए थे, जिन्हें लोगों ने कभी चुकाया ही नहीं था. निक ने जल्दी से इनकी जांच करनी शुरू कर दी. इस जांच के लिए वह कई देशों में भी घूमा. आखिर में  निक ने करीब 10 करोड़ पाउंड (932 करोड़ भारतीय रुपये) के लोन को उजागर किया. निक की इस जांच के कारण बैंक को काफी फायदा हुआ. इसलिए बैंक ने निक को प्रमोशन भी दिया. इस तरह निक का स्टॉक ट्रेडर बनने का सपना पूरा हो गया.

Photo- AP

पहले साल में काफी सारी बेट्स घाटे में
उसे बैंक ने सिंगापुर की फ्यूचर डिवीजन का हेड बना दिया. फिर यहीं से सारी गड़बड़ होना शुरू हो गई. सिंगापुर में रहते हुए बैंक जापान के स्टॉक एक्सचेंज पर काम कर रहा था. निक का काम था कि वह स्टॉक्स पर बेट करे. अगर निक की प्रेडिक्शन के अनुसार मार्केट चलता है तो उन्हें लाभ होता. नहीं तो घाटा होता. निक का पहला साल यहां काफी बुरा गुजरा और उसकी कई सारी बेट्स घाटे वाली साबित हुईं. निक को अब डर लगने लगा कि कहीं बैंक उसकी नौकरी न छीन ले. इसलिए निक ने इन घाटों को छुपाने के लिए सीक्रेट अकाउंट बनाया, जिसमें इन स्टॉक्स को रखा जाता था. निक को इन घाटों को छुपाने के लिए कई सारे रुपयों की जरूरत थी. इसलिए उसने बैंक से झूठ बोलना शुरू किया.

बैंक ने दिखाई लापरवाही
निक नए क्लाइंट्स के लिए ज्यादा प्वाइंट्स चाहता था. क्योंकि अब घाटे सामने नहीं आ रहे थे तो बैंक को भी ये प्वाइंट्स देने में कोई परेशानी नहीं थी. यहां तक कि किसी ने भी एक बार भी निक से इन क्लेम्स को चेक नहीं किया. निक का आइडिया यह था कि जब इस अकाउंट में पड़े स्टॉक्स लाभ में आ जाएंगे तो इन्हें वह बाद में बाहर ले आएगा. ऐसे बैंक को कभी पता भी नहीं चलेगा कि उन्हें कभी घाटा भी हुआ था. निक ने एक इंटरव्यू में बताया कि उसे ऐसा करने में दो दिन तक तो काफी डर भी लगा कि कहीं वो पकड़ा न जाए. लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत और बढ़ गई.

साल 1993 में काम कर गया निक का प्लान
1992 तक निक ने बैंक का करीब 40 लाख पाउंड (37 करोड़ 31 लाख भारतीय रुपये) तक का लॉस करवा दिया था. लेकिन यह सब कुछ बैंक को नहीं पता था. बैंक को लग रहा था कि निक उनके लिए प्रोफिट जेनेरेट कर रहा है. लेकिन जुलाई 1993 में निक का प्लान काम कर गया और सभी घाटे कवर हो गए. लेकिन इसके बाद उसकी हिम्मत और बढ़ गई और उसने और ज्यादा रिस्की बेट्स लगाना शुरू कर दिया. निक की इमेज उस समय एक कामयाब ट्रेडर की बन चुकी थी और किसी भी हाल में वह इस इमेज को मेंटेन करके रखना चाहता था.

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1993 में बैंक का इंटरनल ऑडिट बुलाया गया
इसके बाद बेरिंग्स बैंक में रॉन बेकर की एंट्री हुई. उन्हें बैंक ने ऑपरेशन्स को हैंडल करने का जिम्मा सौंपा था. काम के दौरान रॉन की नजर सिंगापुर डिपार्टमेंट पर पड़ी, जहां से बैंक को कुछ ज्यादा ही फायदा हो रहा था. यहीं पर उन्हें निक पर शक हुआ. उन्होंने पाया कि जिन क्लाइंट्स को निक ने फंड्स दिलवाएं हैं, वे अपनी पेमेंट ही नहीं कर रहे थे. इसलिए जुलाई 1993 में बैंक का इंटर्नल ऑडिट बुलाया गया. ऑडिटर सिंगापुर गए. यह जानकर निक घबरा गया, क्योंकि इससे उसका सच सामने आने वाला था. बता दें, उस समय उसने 9.4 करोड़ पाउंड (876 करोड़ भारतीय रुपये) का घाटा छुपा रखा था. जो पिछले घाटे से 23 गुना ज्यादा था.

निक को सस्ते में बेचने पड़े पर्सनल स्टॉक्स
निक को पता था कि अगर ऑडिटर्स को सीक्रेट अकाउंट से रिलेटेड एक भी दस्तावेज मिल गया तो उसका सच सबके सामने आ जाएगा. लेकिन बैरिंग्स बैंक के लोग काम को काफी हल्के में लेते थे. इसलिए ऑडिटर्स ने अकाउंट्स से संबंधित एक भी दस्तावेज को ढंग से चेक नहीं किया. ऐसे निक पकड़े जाने से बच गया. सितंबर 1994 तक ये घाटा बढ़कर 16 करोड़ पाउंड (14 अरब 92 करोड़ 40 लाख भारतीय रुपये) तक पहुंच चुका था. नतीजा ये हुआ कि निक को अपने कुछ पर्सनल स्टॉक्स बैंक को रियायती कीमतों पर बेचने पड़े. ताकि बैंक को यह लगता रहे कि वह लाभ कमा रहा है. दूसरी तरफ, बैंक लगातार निक को क्लाइंट्स के लिए पंड दे रहा था. कभी-कभी तो निक एक ही दिन में 10 से 50 लाख पाउंड (9 करोड़ 31 लाख से 46 करोड़ 63 लाख भारतीय रुपये ) तक की डिमांड कर देता था. बैंक भी इन्हें बिना चेकिंग के अप्रूव करता रहा.

बैंक के 75% पैसे को अकेला हैंडल कर रहा था निक
अब निक एक सेलिब्रिटी जैसा बन चुका था. उसे बैंक ने दिसंबर 1994 की ट्रेडर्स मीटिंग में बैंक के पोस्टर बॉय के रूप में पेश किया. क्योंकि रिकॉर्ड्स के हिसाब से निक ने बैंक को उस साल 2.8 करोड़ पाउंड (2 अरब 61 करोड़ 17 लाख भारतीय रुपये) कमा कर दिए थे. लेकिन उस मीटिंग में कई ट्रेडर्स को इसमें कुछ गड़बड़ी लगी. उन्होंने बैंक से इस संबंध में बात भी की. लेकिन बैंक ने उनकी बात को अनसुना कर दिया. हालत ये हो गई थी कि बैंक के पास मौजूद 75% पैसा अब निक अकेला हैंडल कर रहा था. जबकि, निक ने अब तक बैंक का 33 करोड़ पाउंड यानि 30 अरब 78 करोड़ 9 लाख भारतीय रुपये से ज्यादा का घाटा करवा दिया था. निक के लिए भी अब यह प्रेशर हैंडल करना काफी मुश्किल हो गया था.

Photo- AFP

4 करोड़ 66 लाख रुपये की गड़बड़ी आई सामने
लेकिन निक ने एक आखिरी कोशिश की. निक ने अब यह बेट किया कि जापान का मार्केट अगले 6 महीने तक स्टेबल रहेगा. और यह निक का सबसे बड़ा दांव था. अगर ये हो जाता तो निक का सारा घाटा कवर हो जाता. कुछ हफ्तों तक तो सब कुछ सही चला. लेकिन 17 जनवरी 1995 में जापान में एक बड़ा भूकंप आया जिससे वहां की इकॉनोमी पर बड़ा असर बड़ा. स्टॉक मार्केट गिरने लगा. लेकिन बैंक की तरफ से अब भी फंड मिल रहे थे. निक दिन ब दिन बैंक के लिए घाटे जेनेरेट कर रहा था. इसी बीच निक एक 5 लाख पाउंड (4 करोड़ 66 लाख भारतीय रुपये) का बड़ा घाटा छुपाना भूल गया. इस घाटे पर जब ऑडिटर्स की नजर पड़ी तो उससे सवाल पूछे गए. लेकिन निक ने एक फेक बैंक लोन डॉक्यूमेंट बनाकर इसे भी उनकी नजर से गायब कर दिया. जबकि, इन डॉक्यूमेंट्स से साफ पता लग रहा था कि इन्हें बैंक से नहीं, बल्कि निक की पर्सनल फैक्स मशीन से भेजा गया है.

क्लर्क ने पकड़ी गड़बड़ी
17 फरवरी 1995 को सिंगापुर में ही बैंक क्लर्क ने निक के डॉक्यूमेंट्स में गड़बड़ी देखी. उसने निक से इस बारे में पूछना शुरू कर दिया. एक दिन जब क्लर्क इसी पर बात करने के लिए निक के घर गया तो उसने बहाना बना दिया कि उसकी पत्नी की तबीयत खराब है. उसे एक घंटे के लिए बाहर जाना होगा. इसके बाद निक कभी वापस नहीं लौटा. पता चला कि उसने तो देश ही छोड़ दिया. निक के गायब होने पर बैंक ने निक का सीक्रेट अकाउंट ढूंढ निकाला. जिसमें अब घाटा बढ़कर 83 करोड़ पाउंड (77 अरब 41 करोड़ 87 लाख भारतीय रुपये) हो चुका था. बैंक को पता था कि अब कुछ भी नहीं किया जा सकता था. उन्होंने मार्केट खोलने से पहले इंग्लैंड के सेंट्रल बैंक से मदद मांगी. लेकिन इससे भी कुछ नहीं हुआ और 233 साल के लंबे इतिहास के बाद बेरिंग्स बैंक गिर गया. वहीं, घाटे के बाद एक डच बैंक ने सिर्फ एक पाउंड (93.28 भारतीय रुपये) की कीमत देकर इसे खरीद लिया.

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निक को हुई साढ़े 6 साल की सजा
फिर 30 नवंबर 1995 में निक को जर्मनी से गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उसे सिंगापुर लाया गया. बैंक के ऑडिटर्स और सिंगापुर एक्सचेंज को धोखा देने के आरोप में निक पर दो धाराएं लगाई गईं. Daily Mail के मुताबिक, इसके लिए उसे सिर्फ साढ़े 6 साल की सजा हुई. लेकिन साढ़े तीन साल के बाद ही उसे अच्छे बर्ताव के कारण छोड़ दिया गया. निक को इतनी कम सजा इसलिए भी हुई क्योंकि कोर्ट ने ये माना कि इसके लिए बैंक की भी गलती थी. उन्होंने बिना चेक किए निक को इतने फंड्स दिए और ऑडिट होने के बावजूद ऑडिटर्स निक के सीक्रेट अकाउंट को नहीं पकड़ पाए.

निक ने शेयर किया जेल का एक्सपीरिएंस
CNN को दिए एक इंटरव्यू में निक ने बताया कि जो भी उसने किया वह गलत था. लेकिन वह ऐसा कभी नहीं कर पाता अगर एक भी सीनियर अपनी जॉब अच्छे से करता. निक ने सिंगापुर की छांगी जेल में बिताए दिनों का भी अनुभव शेयर किया. उसने बताया कि जेल के दिन उसके लिए काफी मुश्किल भरे थे. वहां जेल में उसके साथ चीनी और मलेशियाई अडंरवर्ल्ड के खतरनाक कैदी भी थे. उसे अक्सर डर लगता रहता था. उसे लगता था कि वह भी उन्हीं की तरह है. जेल में बिल्कुल अंधेरा होता था. वहां सिर्फ रात के समय लाइट जलाई जाती थी. जेल के अंदर कोई खिड़की भी नहीं थी. एक छेद के जरिए उन्हें खाना दिया जाता था. उन्होंने बताया कि मैं जेल में टाइम पास करने के लिए गाना गाता था.

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ऐसी रही जेल के बाद निक की जिंदगी
निक ने बताया कि वहीं उसे पेट का कैंसर भी हो गया था. 1999 में जब वह 32 साल का था तो उसे जेल से रिहा कर दिया गया. अब उसके पास नौकरी भी नहीं थी इसलिए वह इंग्लैंड वापस चला गया. यहां उसने कैंसर का इलाज करवाया. निक ने अपनी आत्मकथा Daily Mail को लाखों रुपये में बेची. उसने एक किताब भी लिखी. उस पर ‘Rougue Trader’ नाम की फिल्म भी बनाई गई है, जिसमें इवान मैकग्रेगर (Ewan McGregor) ने काम किया है. निक आज एक अच्छी जिंदगी जी रहा है. निक को 2018 में सिंगापुर के बिग ब्रदर शो में एक पार्टिसिपेंट के तौर पर भी बुलाया गया था.

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