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14 साल में पहली बार 130 डॉलर प्रति बैरल हुआ Crude oil, तैयार हो जाइये महंगे Petrol, Diesel के लिए

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युद्ध भले ही रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा हो, लेकिन धमाकों की गूंज पूरी दुनिया, यह तक कि भारत तक सुनाई दे रही है। खबर यह है कि कच्चा तेल 14 साल में पहली बार 130 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। पेट्रोल और डीजल का महंगा होना तय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए जा सकते हैं। यह बढ़ोतरी 12 रुपए प्रति लीटर तक हो सकती है। ऐसा हुआ तो यह आम आदमी की जेब पर बड़ा बोझ होगा।

वैश्विक बाजारों में ईरानी कच्चे तेल की संभावित वापसी में देरी के कारण तेल की कीमतें 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। संयुक्त राज्य और यूरोपीय सहयोगी रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। इससे भी क्रूड महंगा हो रहा है।

कहा जा रहा है कि सरकारी तेल कंपनियां 7 मार्च को या उसके बाद मौजूदा कीमतों में संशोधन करेगी। 7 मार्च यानी सोमवार को ही यूपी में आखिरी चरण की वोटिंग हो रही है।हालांकि, उत्पाद शुल्क में कटौती से पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर असर कुछ हद तक कम हो सकता है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। फिलहाल भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चे तेल का आयात करता है। इसके अलावा, उच्च ईंधन लागत का व्यापक प्रभाव एक सामान्य मुद्रास्फीति को गति देगा।

क्रूड की बढ़ती कीमत से कच्चा माल हुआ महंगा

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल महंगा कर दिया है। रूस-यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई पर जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने कहा, यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। कुछ तेल कंपनियां स्थिति का फायदा उठा रही हैं, दुनिया भर की सरकारें मूल्य पर नियंत्रण रख सकती हैं, क्योंकि सब कुछ ऊर्जा से चलता है और ऊर्जा की कीमतों को नियंत्रण में रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, माल ढुलाई की दरें भी ऊपर की ओर बढ़ रही हैं, जिससे कच्चे माल की लागत प्रभावित हो रही है।

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