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मध्य प्रदेश मे ए.डी.जे. के स्वीकृत 740 पदों की भर्ती मे हाईकोर्ट ने की नियमो की अनदेखी : सुप्रीम कोर्ट

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जबलपुर :- सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा की गई ए. डी. जे. के 78 पदों पर भर्ती को नियम विरुद्ध पाया गया है ! हाईकोर्ट द्वारा की गई उक्त नियम विरुद्ध नियुक्तियों को, ओबीसी एडवोकेटस वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि पूर्व सेवानिवृत न्यायधीश राजेंद्र श्रीवास द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की गई थी! हाईकोर्ट द्वारा याचिका क्रमांक WP 3190/2018 मे, दिनांक 23/02/2018 को तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता तथा जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैच द्वारा पारित निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट मे SLP (C ) 32872/2018 (सिविल अपील क्रमांक 1514/2023 ) दाखिल की गई थी ! उक्त याचिका के विस्तृत सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम. आर. शाह तथा जस्टिस सी. टी. रविकुमार की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई ! सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रथम दृष्टया पाया की हाईकोर्ट द्वारा ए. डी. जे. के पदों पर विभागीय परीक्षा द्वारा निर्धारित कोटा 10% से अधिक नियुक्तियां की गई है, जो स्पष्ट रूप से प्रमाणित है की सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ द्वारा 2010 मे ‘आल इण्डिया जजेस एसोसिएशन’ के प्रकरण मे पारित निर्णय के विरुद्ध भर्तियां की गई है, हाईकोर्ट द्वारा उक्त निर्णय के अनुरूप भर्ती नियमो मे भी कोई संशोधन नहीं किया गया है ! मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को स्पष्ट निर्देश दिए जाते है की, दिनांक 01/01/2010 से आल इण्डिया जजेस एसोसिएशन के प्रकरण मे पारित मार्गदर्शक सिद्धांत जिसमे 25% पद अधिवक्ताओ से 65%प्रमोशन से तथा 10%पद विभागीय परीक्षा से ही भरे जाए तथा विभागीय परीक्षा द्वारा निर्धारित 10% कोटा से अधिक पदों पर की गई नियुक्तियों को आगामी नियुक्तियों मे एडजेस्ट किया जाए एवं मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा की गई नियुक्तियों का परिक्षण उक्त फैसले के अनुरूप करे तथा भर्ती नियमो मे उक्त फैसले के मुताबिक संशोधन करे !

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