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वेटरनरी के डॉक्टरों ने बचाई मादा बंदर पिंकी की जान: पैर में रिकॉन प्लेट डलतेे ही उछल-कूदने लगी… वीडियो … देखें…

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जबलपुर, यशभारत। वेटरनरी के डॉक्टरों ने एक मादा बंदर को जीवनदान दिया। 20 दिन पूर्व घायल मादा बंदर पिंकी को वेटरनरी में भर्ती कराया गया। लंबे इलाज के पिंकी के एक पैर में रिकॉन प्लेट डाली गई जिसके कुछ दिन वह उछल-कूदने लगी। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि पिंकी को ठीक होने में थोड़ा समय और है इसके बाद ही उसे जंगल में छोड़ा जाएगा।

 

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नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॅारेंसिक एण्ड हैल्थ, जबलपुर में लगभग 20 दिन पहले मोनी तिराहा रॉझी में सड़क हादसे में गभ्भीर रूप से घायल एक बंदर शल्य चिकित्सा उपचार के लिये वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू अर धनंजय घोष द्वारा लाया गया। उक्त मादा बंदर अपने दाहिने हाथ एवं बाये पैर में फ्रेक्चर होने के कारण चलने फिरने में असमर्थ थी स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॅारेंसिक एण्ड हैल्थ, में उपलब्ध अत्याधुनिक एक्स-रे तथा अन्य चिकित्सकीय उपकरणों के उपयोग से इस मादा बंदर का नैदानिक परीक्षण कर वास्तविकता का पता लगा गया। लगभग 2 से 2:30 घंटे सर्जरी के द्वारा पैर की

 

हड्डी (फीमर बोन) में रिकॉन प्लेट डाली गई, जबकि दाहिने हाथ में प्लास्टर किया गया। सर्जरी के उपरांत उक्त मादा बंदर की देखभाल के लिए प्रतिदिन स्कूल ऑफ वाईल्ड लाइफ फॅारेंसिक एण्ड हैल्थ, जबलपुर के पी.जी. छात्रो एवं फैकल्टी की ड्यूटी देने के लिए पिंजरे में सारी व्यवस्थाएँ की गई हैं। मादा बंदर को प्रतिदिन आहार में फल पत्तियाँ रोटी एवं दही के साथ दवाईयाँ दी जा रही हैं। वर्तमान में वह पूर्णत: स्वस्थ है एवं उछल-कूद भी रही है। चूँकि हड्डी को भरने में लगभग 1 माह का समय लगता है। उसके पश्चारत् ही उसको एक्स-रे के उपरांत उसके दल के पास सुरक्षित छोडऩे का विचार-विमर्श किया गया है।

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नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति डॉ. एस. पी. तिवारी जी के निर्देशानुसार डॉ.शोभा जावरे संचालक एवं शल्य क्रिया विशेषज्ञ, डॅा. रणधीर सिंह शल्य क्रिया विशेषज्ञ एवं मेडिकल कालेज के प्राख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ, डॉ. सचिन उपाध्याय, एवं डॉ. मॉधवी धैर्यकर के द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया। आपरेशन के उपरांत डॉ. निधि राजपूत, धनंजय घोष एवं स्नातकोत्तर छात्रो डॉ. हमजा, डॉ. योगेन्द्र, डॉ. कपिल, डॉ. वैभव एवं डॉ. बबीता का विशेष योगदान रहा।

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