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प्रस्तावित अपर नर्मदा बांध परियोजना से हजारों आदिवासी  परिवारों पर मड़रायेगा संकट: फुंदेलाल सिंह मार्कों 

परियोजना को निरस्त कर स्थानीय रहवासियों के हित  में निर्णय ले सरकार

भोपाल |पुष्पराजगढ़ के कांग्रेस विधायक फंुदेलाल सिंह मार्कों ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुये बताया कि केंद्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश की जनता की आस्था का केंद्र नर्मदा नदीं पर अपर नर्मदा बांध परियोजना प्रस्तावित हैं।

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इस परियोजना से स्थानीय हजारों आदिवासियों सहित अन्य समुदाय के लोगों एवं उनके परिवारों पर संकट मड़रायेगा। उक्त परियोजना नर्मदा नदी उदगम से 40 किलोमीटर नीचे बनायी जाना प्रस्तावित है, बांध के निर्माण से वैज्ञानिक मतों के आधार पर उद्गम के समीप बनाये जाने से जल स्त्रोत बंद हो जायेगा। प्रेस ब्रीफिंग में प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक भी उपस्थित थे।

श्री मार्कों ने कहा कि वर्तमान में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एवं जल संसाधन विभाग द्वारा अपर नर्मदा बांध परियोजना शोभापुर परियोजना डिण्डौरा, अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में निर्माण के लिए स्वीकृत हैं, जिसमें लगभग 700 से ज्यादा परिवार पुष्पराजगढ़ से विस्तावित हो जायेंगे, जिसमें 90 प्रतिशत आदिवासी परिवार सहित लगभग 70 हजार से ज्यादा आदिवासी वर्ग के लोगों का विस्थापन हो जायेगा, जससे उनपर गंभीर संकट मंडराने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

श्री मार्कों ने कहा कि आदिवासी समुदाय प्रकृति, जल, जंगल जमीन, जैव विविधता पर आधारित है, जंगल है तो आदिवासी हैं और यदि परियोजना का निर्माण होगा तो यह सब नष्ट हो जायेगा, इतने बड़े पैमाने पर विस्थापन होने से आदिवासियों का जीवन पूर्णतः समाप्त सा हो जायेगा।

श्री मार्कों ने 5 वीं अनुसूची के तहत अनुच्छेद 244 (1) और (2) में आदिवासियों को पूर्ण स्वशासन व नियंत्रण की शक्ति दी गई है। नर्मदा नदीं अमरकंटक, अनूपपुर जिले से डिण्डौरी में प्रवेश करती है। अमरकंटक विकासखंड पुष्पराजगढ़ एवं डिण्डोरी जिले की पांचवी अनुसूची में शामिल है, साथ ही वन अधिकार कानून, पेसा कानून भी लागू है। इस संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत कोई भी परियोजना के निर्माण से पहले ग्राम सभाओं की सहमति अनिवार्य है, लेकिन नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और कलेक्टर अनुपपुर द्वारा सहमति नहीं ली गई जो कि संविधान की अवहेलना और अनुच्छेद 141 का खुला उल्लंघन है।

श्री मार्कों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बाद भी मप्र सरकार आदेशों के विपरीत कार्य कर आदिवासियों का विस्थापन कर रही है। जबकि आदिवासियों की आजीविका का मूल स्त्रोत कृषि के साथ वनोपज भी है। अपर नर्मदा परियोजना से आदिवासी वर्ग के यह स्त्रोत समाप्त हो जायेंगे। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुर्नस्थापना में पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 लागू किया गया, जिसके तहत स्थानीय स्वशासन संस्थाओं और ग्राम सभाओं के परामर्श से भूमि अधिग्रहण के लिए मानवीय, सहभागी और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित की गई है।

श्री मार्कों ने कहा कि अपर नर्मदा बांध परियोजना को निरस्त करने के लिए पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के हजारों आदिवासियों ने एकजुट होकर परियोजना निर्माण के विरोध में रैली निकाली गई, राष्ट्रपति महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय, मुख्यमंत्री मोहन यादव को ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया गया कि उक्त परियोजना के निर्माण से पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के लगभग 70 हजार आदिवासी विस्थापित होंगे, जिससे बड़ा संकट पैदा होगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थली नर्मदा से आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं को बड़ा आघात पहुंचेगा।

श्री मार्कों ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि आदिवासियों के हक और अधिकार पर कुठाराघात न किया जाये। उन्हें उनके जल, जंगल, जमीन के अधिकार से वंचित न किया जाये। परियोजना निर्माण से होने वाले विस्थापन को रोकने के लिए उक्त परियोजना का निर्माण निरस्त कर आदिवासियों को सुविधाएं प्रदान कर उनके हित में निर्णय लिये जायें।

 

 

 

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