
केरल में इन दिनों कुटुम्बश्री योजना के तहत पिता की संपत्ति में बेटा-बेटी को समान अधिकार दिए जाने की शपथ दिलाई जा रही है। इसे लेकर मुस्लिम संगठन राज्य सरकार का विरोध कर रहे हैं। मौलवियों का कहना है कि मुस्लिम समाज में महिलाओं को पिता की संपत्ति में एक-चौथाई हिस्से का हकदार माना जाता है। उन्हें लड़कों के समान हक दिया जाना शरिया कानून के खिलाफ है।
विरोध के चलते सरकार बदल रही नियम
मुस्लिम संगठनों के विरोधी सुर देखकर केरल की वामपंथी सरकार ने योजना की अनिवार्यता में ढिलाई बरतनी शुरू कर दी है। राज्य में कुटुम्बश्री योजना से लगभग 20 लाख लोग जुड़े हैं। इसके तहत गरीबी हटाने के लक्ष्य से महिला सशक्तीकरण किया जाता है। राज्य भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के. सुरेंद्रन का आरोप है कि सरकार मुस्लिम संगठनों के दबाव में फैसले बदल रही है।
केरल के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन ने उठाई शपथ पर आपत्ति
केरल के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन समस्त केरल जमायतुल कुतबा कमिटी (SJIQC) के नेता नसर फैजी कोदातायी की आपत्ति के बाद शपथ पर विवाद उठा। कोदातायी ने कहा कि पिता की संपत्ति में बेटी का अधिकार गैर इस्लामी है। जमात-ए-इस्लामी और केरल नदवातुल मुजाहिदीन ने पहले शपथ के कुछ हिस्से पर विरोध जताया था, लेकिन बाद में चुप्पी साध ली।
ईसाई संगठनों ने किया शपथ का समर्थन
उधर, ईसाई संगठन क्रिश्चियन एसोसिएशन फॉर सोशल चेंज ने कुटुम्बश्री शपथ का समर्थन किया है। कुटुम्बश्री के कार्यकारी निदेशक जफर मलिक ने सफाई दी कि शपथ कैंपेन चल रहा है। अब तक तीन लाख लाेग कुटुम्बश्री शपथ ले चुके हैं। 31 दिसंबर तक और परिवार भी शपथ ले सकते हैं।
स्कूलों में जेंडर न्यूट्रल ड्रेस पर भी पीछे हटी सरकार
केरल सरकार ने पिछले दिनों स्कूलों में जेंडर न्यूट्रल ड्रेस लागू करने की घोषणा की थी। लेकिन, मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते सरकार ने इसे लागू करने का प्लान रोक दिया है। वाम सरकार को चिंता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ इस मुद्दे के जरिए मुस्लिम वोट बैंक में पैठ बढ़ा सकता है।