‘‘ए मेरे वतन के लोगों‘‘ : महाकवि प्रदीप की स्मृति में व्याख्यान एवं रचना पाठ आयोजित
नरसिंहपुर | गोटेगांव साहित्य अकादमी म.प्र. संस्कृति परिषद म.प्र. शासन भोपाल द्वारा महाकवि प्रदीप की स्मृति में एम.आई.एम.टी. काॅलेज नरसिंहपुर में व्याख्यान एवं रचना पाठ का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजली दी गयी। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में वरिष्ठ समाजसेवी पं. मैथिलीशरण तिवारी, ने मुख्य अतिथि के रूप में महाकवि प्रदीप के साहित्यिक योगदान को रेखांकित करते हुए उन्हे जनमानस का कवि निरूपित किया।
मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, साहित्य अकादमी, निदेशक डाॅ विकास दवे ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रकवि प्रदीप को समर्पित साहित्यिक आयोजन की परिकल्पना ‘ए मेरे वतन के लोगों‘ के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में आयोजित प्रथम व्याख्यान सत्र में साहित्यकार नीतेश जोशी बड़नगर ने महाकवि प्रदीप के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी रचनाओं की साहित्यिक समीक्षा की। द्वितीय वक्ता श्रीमती आराधना दुबे ने महाकवि प्रदीप की रचनाओं को तात्कालिक परिस्थितियों में समाज एवं देश को एक सूत्र में बाँधने वाली कविता बताया।
इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन, दीपप्रज्जवलन एवं कवि प्रदीप को पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। श्रीमती कामनी दुबे द्वारा महाकवि प्रदीप का कालजयी गीत ‘ये मेरे वतन के लोगों‘ की सुमधुर प्रस्तुति दी गयी। एम.आई.एम.टी. के चेयरमेन इंजी. रूद्रेश तिवारी ने साहित्य अकादमी, निदेशक डाॅ विकास दवे, कार्यक्रम अधिकारी राकेश सिंह एवं कवि गुरू प्रसाद सक्सेना का शॅाल, श्रीफल एवं स्मृतिचिन्ह से स्वागत किया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र अंतर्गत रचना पाठ का आयोजन वरिष्ट कवि गुरू प्रसाद सक्सेना की अध्यक्षता में किया गया। कवियों ने विभिन्न रसों के अंतर्गत अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी। इस क्रम में कवि गुरू प्रसाद सक्सेना ने ‘‘वे भी नाके के भीतर है, बड़ी-बड़ी जिनकी है नाकें‘‘ तथा ‘‘एक हिमालय पर्वत प्यारा, दो गंगा यमुना की धारा‘‘ रचनाओं की प्रस्तुति दी। डाॅ. सुधीर सिंघई, नरसिंहपुर ने अपने काव्य पाठ में ‘‘आँखों में आंज लिया झूठ और भ्रम, इस तरह दुनिया को देख रहे हम‘‘ गीत के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। सागर से पधारे हास्य कवि पुष्पेन्द्र दुबे ने ‘‘दिल में कपट रखोगे मक्कार कहँूगा, अपनी कमाई खाओगे खुद्दार कहँूगा‘‘ के माध्यम से अपनी रचना प्रस्तुत की। डाॅ गनेश कुमार सोनी, नरसिंहपुर ने ‘‘सुनो इस प्रेम का कोई हिसाब नहीं है, प्रेम समर्पण है, आराधना है इसमें ईश का भाव है‘‘ के माध्यम से कविता पाठ किया। श्रीमती वंदना विनम्र, जबलपुर ने सरस्वती वंदना एवं अपनी रचना ‘‘ये बताओं हमें क्या खता हमने की, जख्म तुमने दिये और दवा हमने की‘‘ की सुमधुर प्रस्तुति दी। अमित जैन, करेली ने ‘‘आर से पार इस जमाने में, मतलबी यार इस जमाने में‘‘ के माध्यम से रचना पाठ किया। ललित नाथ, हर्रई ने ‘‘एक प्रश्न था मेरा हल हो गया, योग साधे रहा सफल हो गया‘‘ कविता की प्रस्तुति दी। रचना पाठ सत्र के संचालक आशीष सोनी, गाडरवारा ने ‘‘याद बहुत आते है हमको लाॅक डाउन के दिन, सूनी-सूनी गलियाँ सूने टाउन वाले दिन‘‘ कविता के माध्यम से मार्मिक प्रस्तुति दी।
सुश्री मेघा आनन्द मिश्रा, नरसिंहपुर ने ‘‘मेरे दिल की पीड़ा का अभी अनुमान बाकी है, प्रेम के इस समर्पण का अंजाम बाकी है‘‘ के रूप में अपना रचना पाठ किया। कार्यक्रम के स्थानीय संयोजक डाॅ. अशोक कुमार गर्ग, ने आभार प्रदर्शन तथा संचालन डाॅ. पराग नेमा, सांस्कृतिक प्रभारी एम.आई.एम.टी. काॅलेज नरसिंहपुर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में गणमान्यजन एम.आई.एम.टी. स्टाॅफ एवं छात्र-छात्राओं की विशेष उपस्थिति रहीं।