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यश भारत खास : उत्तर प्रदेश के हजारी परिवार की कुलदेवी है बड़ी देवी मां महालक्ष्मी दमोह में आकर हुईं विराजित, कभी कोई नहीं लौटा खाली हाथ, 400 वर्ष पुराना है इतिहास

दमोह यश भारत l दमोह के बड़ी देवी मंदिर का इतिहास बताता है कि करीब चार सौ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के कटहरा गांव से हजारी परिवार दमोह पहुंचा था। परिवार अपनी कुलदेवी मां महालक्ष्मी की मूर्ति लेकर पहुंचा था। माता की इस मूर्ति की स्थापना फुटेरा तालाब के पास स्थित हजारी परिवार की जमीन पर की गई थी। इसके साथ ही मां सरस्वती और मां महाकाली की मूर्तियां भी स्थापित की गई थीं। इसके बाद लोगों की आस्था माता में बढ़ती गई और उनकी मनोकामनाएं पूरी होने लगी जिसके बाद बड़ी देवी के नाम से मां की प्रतिमा प्रचलित हो गई।

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नवरात्रि महापर्व पर मंदिर की दिव्य साज सज्जा की जाती है

हजारों दीपों से होती है महा आरती

 नवरात्र की पंचमी को हजारों दीपकों से माता की महाआरती होती है।मंदिर के पुजारी आशीष कटारे ने बताया कि यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख कें द्र है। यहां आम दिनों में भी पूरे शहर के लोग माता के दर्शनों के लिये आते हैं, दोनों ही नवरात्र के नौ दिनों में हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

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माता दुर्गा जगत जननी स्वरूप है मां भवानी मैया

भक्तों का लगता है मेला

क्षेत्र में बड़ी देवी मां महालक्ष्मी का मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र सदियों से है मान्यता के अनुसार यहां आने वाले भक्त मां से मन्नत मांगते हैं जो पूरी हो जाती है जिसके चलते दरबार में भक्तों का मेला लगा ही रहता हैl माता रानी के दरबार से कभी कोई खाली हांथ नही लौटता।बड़ी देवी के दर्शन करने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती हैंl

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