जबलपुर

पार्टी की नई और पुरानी पीढ़ी के बीच सेतु का काम कर रहे विवेक तन्खा

यूथ ब्रिगेड की मेहनत से हर सीट पर कड़ी चुनौती पेश कर रही कांग्रेस

 

यूथ ब्रिगेड की मेहनत से हर सीट पर कड़ी चुनौती पेश कर रही कांग्रेस

भोपाल, यशभारत। विधानसभा चुनाव में मिली हार की हताशा से उबरकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में पूरा जोर लगा रही है। खजुराहो में वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, जबकि बाकी 28 सीटों पर भाजपा के साथ कांग्रेस का सीधा मुकाबला है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के फौरन बाद संगठन में बड़ी सर्जरी करते हुए एमपी का जिम्मा जिस यूथ ब्रिगेड को सौंपा उसने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को साथ लेकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है। कांग्रेस के समूचे प्रचार अभियान में विवेक तन्खा अपने अनुभव से पार्टी की नई और पुरानी पीढ़ी के बीच सेतु का काम कर रहे हैं। संसदीय चुनाव के लिए दरअसल कांग्रेस को एमपी में ऐसी ही टीम की जरूरत थी, जो नई ऊर्जा के साथ प्रचार अभियान को धार दे सके।

चुनावी रणनीति तैयार कर पार्टी को किया सक्रिय
इस बार के लोकसभा चुनाव में 400 पार के नारे के साथ बीजेपी ने पूरे देश में जैसा नैरेटिव तैयार किया उससे मुकाबले के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को पार्टी के भीतर ऐसे साथियों की तलाश थी जो जनता से जुड़े मुद्दों को उठाते हुए इंडिया गठबंधन और कांग्रेस की सोच को सामने रख सके। कुछ माह पहले मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली पराजय के बाद से सवाल यही थे कि इतने कम समय में लोकसभा चुनाव की चुनौती का सामना करने के लिए संगठन को कैसे तैयार किया जाए। ऐसे हाथों में पार्टी की बागडौर सौंपी जाए जो कार्यकर्ताओं को तो निराशा के भंवर से बाहर निकाले ही, साथ ही एमपी में भाजपा के मिशन 29 के सामने मजबूती के साथ कांग्रेस खड़ी हो सके। दिल्ली हाईकमान ने बिना देरी किये मध्यप्रदेश के तमाम इलाकों में प्रभाव रखने वाले युवा नेताओं जीतू पटवारी, उमंग सिंघार और अरुण यादव को अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ काम पर लगाया और सभी लोकसभा सीटों के हिसाब से चुनावी रणनीति सैट करते हुए पार्टी को सक्रिय किया।

तन्खा ही संभालते नजर आए समन्वय का सारा काम
राहुल गांधी की इस सोच को आकार देने के लिए राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा की भूमिका महत्वपूर्ण बन गई। चुनावी बिसात पर जब सबसे ज्यादा आवश्यकता इस बात की थी कि नई और पुरानी पीढ़ी को साधकर कैसे आगे बढ़ा जाए, यह काम विवेक तन्खा ने बखूबी अपने हाथ में लिया। अपने अनुभव से वे नई पीढ़ी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए जहां अभिभावक के तौर पर सामने आते हैं तो दूसरी ओर पार्टी के लिए सालों से पसीना बहाने वालों के लिए वे उनके सहयोगी बनकर खड़े नजर आते हैं। बातचीत में अनेक नेताओं ने इस सच को स्वीकार किया कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस की सभाओं और प्रचार अभियान से पार्टी अमूमन हर सीट पर मुकाबले में आ खड़ी हुई है उसमें यूथ ब्रिगेड के साथ बड़ी भूमिका विवेक तन्खा की है। प्रदेश के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जब छिंदवाड़ा तथा राजगढ़ के चक्रव्यूह में फसे हो तब ऐसे समय में अपनी सूझबूझ से समन्वय का सारा काम विवेक तन्खा ही संभालते नजर आए।

अगले चरणों में भी कांग्रेस को व्यापक समर्थन की उम्मीद जगी
प्रदेश की 6 सीटों पर पहले चरण में मतदान हो चुका है और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए वोटिंग होना है। पहले चरण में महाकोशल और विंध्य की सीटों पर मुद्दों पर आधारित कांग्रेस के आक्रामक प्रचार ने जिस तरह मतदाताओं को प्रभावित किया, उसके मद्देनजर अगले चरणों में भी कांग्रेस को व्यापक समर्थन की उम्मीद जग गई है। सभाओं में जब भाजपा के नेता भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर हमलावर होते हैं तो ऐसे में विवेक तन्खा की स्वच्छ और ईमानदार छवि स्वयं कांग्रेस के लिए कवच का काम कर रही है। यशभारत से बातचीत में श्री तन्खा कहते हैं कि राहुल गांधी के नए भारत में किसानों,मजदूरों, गरीबों और किसानों की चिंता शामिल है, जबकि भाजपा पूंजीपतियों के हितों का संरक्षण करती है। युवाओं के सपनों का भारत बनाने के लिए वे राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने निकल पड़े हैं।

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