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सागर की ‘ड्रोन दीदी’ का कमाल: 5 मिनट की ‘हवाबाजी’ से हो रही छप्परफाड़ कमाई!

सागर

सागर: ड्रोन टेक्नोलॉजी ने कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। किसानों को खेती में ड्रोन के उपयोग के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ के तहत महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस ट्रेनिंग को हासिल करने के बाद, ये ‘ड्रोन दीदी’ न केवल किसानों को ड्रोन के माध्यम से आधुनिक नैनो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए प्रेरित कर रही हैं, बल्कि खुद भी शानदार कमाई कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। सागर की साक्षी पांडे ऐसी ही एक सफल ‘ड्रोन दीदी’ हैं, जो पिछले डेढ़ साल से ड्रोन उड़ाकर अच्छी खासी आमदनी कर रही हैं। उनकी इस सफलता को देखते हुए पिछले साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने उन्हें विशेष रूप से दिल्ली बुलाया था, जहां उन्होंने लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के भव्य कार्यक्रम में शिरकत की थी।

‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना ने बदली साक्षी की जिंदगी

सागर के पडरिया गांव की निवासी साक्षी पांडे बताती हैं, “हमें ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ के तहत इफको (IFFCO) द्वारा प्रदान किया गया था। इस योजना में मध्य प्रदेश आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं को प्राथमिकता दी गई थी। हमें ग्वालियर में 15 दिनों का पूरी तरह से नि:शुल्क प्रशिक्षण मिला। इसके बाद, मार्च 2023 में हमें ड्रोन, एक इलेक्ट्रिक व्हीकल और एक जनरेटर भी मुफ्त में दिया गया। अब हम इसी के जरिए खेतों में जाकर रासायनिक दवाओं का छिड़काव करते हैं, जिससे किसानों को 100 प्रतिशत लाभ मिलता है और पानी की भी भारी बचत होती है।”

नैनो टेक्नोलॉजी के लिए किसानों को कर रहीं प्रेरितmp sgr 01 namo drone didi spl 7208095 17052025143826 1705f 1747472906 719

साक्षी पांडे न केवल ड्रोन चलाती हैं, बल्कि अन्य किसानों को नैनो यूरिया और नैनो पेस्टिसाइड जैसे आधुनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के लिए भी प्रेरित करती हैं। वह बताती हैं, “दानेदार यूरिया खेतों के लिए बहुत हानिकारक होती है। यूरिया मुख्य रूप से पत्तियों को देना चाहिए, ताकि उनकी अच्छी ग्रोथ हो और बेहतर उत्पादन मिले। दानेदार यूरिया मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी नुकसान पहुंचाती है। इसलिए हम किसानों को नैनो फर्टिलाइजर या नैनो पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

ड्रोन से होता है फर्टिलाइजर्स का किफायती छिड़काव

साक्षी बताती हैं कि ड्रोन के माध्यम से फर्टिलाइजर्स और पेस्टिसाइड का छिड़काव करने से उत्पादन भी अच्छा होता है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित नहीं होती। वह किसानों को यह भी बताती हैं कि मजदूरों द्वारा स्प्रे करना काफी महंगा होता है और उसमें पानी भी बहुत ज्यादा खर्च होता है। इसके विपरीत, ड्रोन से कीटनाशक या फर्टिलाइजर का छिड़काव काफी किफायती है और इसमें पानी और समय दोनों की बचत होती है। इसके अलावा, खेत में अंदर जाने की भी जरूरत नहीं होती, जिससे फसल को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता।

‘ड्रोन दीदी’ बन रहीं आत्मनिर्भर

‘ड्रोन दीदी’ किसानों के खेतों में जाकर ड्रोन की मदद से फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड का छिड़काव करती हैं और इसके बदले में उन्हें मेहनताना मिलता है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं। साक्षी बताती हैं, “हमें प्रति एकड़ के हिसाब से 200 से 300 रुपये मिलते हैं। इस तरह खेती के सीजन में हम हर महीने 20 से 25 हजार रुपये तक कमा लेते हैं। देश भर की जिन ‘ड्रोन दीदी’ ने इस क्षेत्र में अच्छा काम किया है, उन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली बुलाया गया था, जहां हमें मुख्य परेड देखने का मौका मिला और दिल्ली घूमने का भी अवसर मिला।”

किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है यह योजना

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साक्षी पांडे दृढ़ता से कहती हैं कि यह योजना किसानों के हित में है और इससे उन्हें बहुत फायदा हो रहा है। हर किसान चाहता है कि उनके खेत में कम समय में पूरा स्प्रे हो जाए। ड्रोन सिर्फ 5 मिनट में एक एकड़ में छिड़काव कर देता है। इसमें 12 लीटर का टैंक होता है, जो एक बार में एक एकड़ क्षेत्र को कवर करता है। जबकि हाथ से छिड़काव करने में एक एकड़ में लगभग 80 से 90 लीटर पानी खर्च हो जाता है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसान ‘किसान किसानोदय’ ऐप के माध्यम से उनसे संपर्क करते हैं, जिसके बाद ‘ड्रोन दीदी’ आकर खेत में छिड़काव करती हैं।

‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ वास्तव में ग्रामीण महिलाओं के लिए एक सशक्तिकरण का जरिया बन रही है, जो न केवल आधुनिक तकनीक सीखकर आत्मनिर्भर हो रही हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। सागर की साक्षी पांडे जैसी महिलाएं इस योजना की सफलता की जीती-जागती मिसाल हैं।

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