एक साल में ही निकल गई मेडिकल की दीवारों से भ्रष्टाचार की पुट्टी: 171 करोड़ में बनाई गई थी नई बिल्डिंग

जबलपुर, यशभारत। सरकारी खजाने का दुरूपयोग कैसे होता है, किस तरह से हाराम की कमाई से जिम्मेदार विभाग अपने घर की तिजौड़ी भरते हैं ये जानना है तो कही जाने की जरूरत नहीं है सिर्फ संभाग के सबसे बड़े नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में नई बिल्डिंग में जाकर देखा जा सकता है। 171 करोड़ रूपए से बनाई गई नई बिल्डिंग एक साल भी ठीक ढंग से खड़ी होती नहीं दिख रही है, जेबें भरने की आड़ में किस तरह से सरकारी पैसों की होली खेली गई है महज अंदाजा लगाया जा सकता है कि दीवार में लगा प्लास्टर धीरे-धीरे उखडऩे लगा है। हालांकि मेडिकल अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी से लेकर निर्माण एजेंसी कर्ता-धर्ता दावा कर रहे हैं कि बिल्डिंग में कोई बड़ा मेजर नहीं है सिर्फ पुटटी-पुताई उखड़ रही है।
जानकारी के अनुसार 70 साल पुराने मेडिकल अस्पताल में फैली अव्यवस्था सहित मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखकर चिकित्सा विभाग ने पुरानी बिल्डिंग के पीछे 171 करोड़ से बहुमंजिला इमारत बनाई है। जिसमेंं अधिकारियों के चेंबर सहित मरीजों से जुड़ी एक सुविधा है। परंत जानकर हैरानी होगी बहुमंजिला इमारत अभी ठीक ढंग से शुरू भी नहीं हो पाई कि उसका बाहरी हिस्से का प्लास्टर धीरे-धीरे उखडऩे लगा है। पिछले दिनों प्लास्टर उखडऩे से एक हादसा होने से बच गया। दरअसल कुछ लोग भवन के पास खड़े होकर बातचीत कर रहे थे तभी प्लास्टर का नीचे गिर गया।
पुराने भवन में अभी
-12 विभागों की अलग-अलग ओपीडी और वार्ड है।
-800 के लगभग बिस्तर मरीजों के लिए इस भवन में।
-सीटी स्कैन, एमआरई का केंद्र। दवा भंडारण केंद्र है।
-आकस्मिक चिकित्सा कक्ष और आइसीयू वार्ड है।
-अधीक्षक सहित कई अन्य कार्यालय और ओटी है।
क्या-क्या है नई बिल्डिंग में
आधुनिक अस्पतालों की तर्ज पर नए भवन में सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम, किचिन, सेंट्रल सप्लाई डिपार्टमेंट स्टोर, कैंटीन की व्यवस्था भी की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार नए ऑपरेशन थियेटरों को चिकित्सकों से लेकर पैरामेडिकल, नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता के अनुरूप बनाया गया है। यहां ओटी इस तरह की है कि इसमें किसी को संक्रमण न हो। बच्चों और महिलाओं के लिए अलग-अलग ओटी बनाई गई है। अलग-अलग एचआइडीयू भी बनाए गए हैं। मरीजों का सबसे ज्यादा दबाव झेलने वाले गायनिक, आर्थो, न्यूरो, पीडियाट्रिक, सर्जरी वार्डों के लिए करीब पांच सौ बिस्तर वाले भवन में पर्याप्त संख्या में बेड उपलब्ध है।
बहुमंजिला भवन का निर्माण इसलिए किया गया था
मालूम हो कि मेडिकल अस्पताल के पुराने भवन का सेटअप दशकों पुराना है। यहां आने वाले मरीजों की संख्या चार गुना के लगभग हो गई है, लेकिन मुख्य अस्पताल का विस्तार नहीं हुआ था। इसके कारण गायनिक वार्ड, हड्डी वार्ड समेत कई और वार्ड ज्यादातर समय हाउसफुल रहते हैं। फ्लोर बेड लगाकर मरीजों का इलाज करना पड़ता है। नए अस्पताल भवन में इन वार्डों का विस्तार हो जाने पर काफी हद तक पुराने अस्पताल भवन पर मरीजों का दबाव कम करना था।
दिसंबर 2023 में बनकर तैयार हुई
नई बिल्डिंग साल 2023 दिसंबर में बनकर तैयार हुई थी। निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी ने ठेेकेदार से निर्माण कार्य कराया। बताया जा रहा है कि निर्माण कार्य तो कर दिया था परंतु पानी की तराई करने में कंजूसी की गई इसका नतीजा ये हुआ है कि नई बिल्डिंग का बाहरी हिस्सा धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगा।

इनका कहना है
निर्माण कार्य के बाद पानी की तराई समय पर नहीं हुई इसलिए बिल्डिंग का बाहरी हिस्से से पेेंट गिर रहा है। बिल्डिंग टाइम पीरियड तीन साल है इसलिए ठेकेदार से मेंटीनेंस का काम कराया जाएगा।
डीके कौरव, पीडब्ल्यूडी ईई
नई बिल्डिंग के बाहरी हिस्से के प्लास्टर उधडऩे की जानकारी प्राप्त हुई है। इस संबंध में निर्माण एजेंसी को पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई है और जल्द ही मेंटनेंस कराया जाएगा।
डॉक्टर नवनीत सक्सेना, डीन