जबलपुर

धान और मक्के के अच्छे दामों से किसानों के चेहरे पर मुस्कान

जबलपुर का मक्का एक्सपोर्ट हो रहा नेपाल और बांग्लादेश  , वियतनाम, ईरान, इराक में बासमती की डिमांड

जबलपुर ,यश भारत। बासमती धान और मक्के के अच्छे दामों के चलते किसानों को इस बार फायदे की उम्मीद दिख रही है। जानकारी के मुताबिक जिले में इस बार मक्के का रकबा 160प्रश से ज्यादा बढ़ा हुआ था। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि ज्यादा फसल होने के चलते किसानों को मक्के का दाम कम मिलेंगे। लेकिन जबलपुर से सीधे रेक के माध्यम से नेपाल और बांग्लादेश हो रहे एक्सपोर्ट के चलते मक्के का दाम 1800 से 2000रुपए के बीच में बना हुआ है। जो बंपर पैदावार के बाद भी पिछले साल की तुलना में अधिक है। वही धान की बात करें तो भारत सरकार द्वारा गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। जिसके चलते इस बार जिले में पतली धान या बासमती चावल का रकवा पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक बढ़ गया था। जिसे देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि अधिक पैदावार होने के चलते बासमती का दाम कम मिलेगा। अब नई फसल आने के साथ ही बासमती 3200 से 3800 रुपए प्रति क्विंटल के रेट से बिक रही है। आने वाले समय में इसके रेट और भी ऊपर जा सकते हैं।

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यह है कारण-जबलपुर से मक्के का एक्सपोर्ट सीधे ट्रेन के माध्यम से नेपाल और बांग्लादेश हो रहा है। जिसके चलते ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बहुत कम हो गई है। जिसका फायदा व्यापारियों के साथ-साथ किसानों को भी मिल रहा है। जबलपुर के भेड़ाघाट व गढ़ा रेक पॉइंट से सीधे ट्रेन लोड होकर नेपाल और बांग्लादेश के एक्सपोर्ट सेंटर जा रही है। वही इजरायल- हमास युद्ध के चलते मध्य एशिया में उथल-पुथल की स्थिति है। यूरोपियन और अरब देश सीधे आमने-सामने आ गए हैं। जिसके चलते भारत से निर्यात होने वाली बासमती चावल की डिमांड अरब देशों में बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है। 5 साल पहले तक जबलपुर के इस बासमती चावल का निर्यात ट्रेन के माध्यम से पाकिस्तान को भी होता था लेकिन पाकिस्तान के साथ लगे प्रतिबंधों के चलते निर्यात रुक गया था और 3 साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन अब अरब देशो में खुले बाजार के चलते जबलपुर के किसानों को इस बार अच्छा फायदा हो रहा है।

बढ़ गया रकबा-जबलपुर जिले में मक्के के रकबे में लगभग 160प्रश की वृद्धि हुई है। जानकारी के मुताबिक इस बार जिले में 33000 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्के की फसल लगाई गई थी। जबकि पिछले साल यह फसल लगभग 21000 हैक्टेयर क्षेत्र में लगाई गई थी। जिसके चलते मक्के की पैदावार में भारी वृद्धि हुई है। लेकिन बाजार में अच्छे दाम होने के चलते किसानों को फायदा हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ धान के पूरे रकबे को देखें तो वह 156000 हेक्टेयर है जो पिछले साल की तुलना में 7प्रश काम है । लेकिन इस रकबे में एक बड़ा क्षेत्र बासमती धान का है जिनकी डिमांड सबसे ज्यादा ईरान, इराक और वियतनाम में है।

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