विजय शाह FIR मामला: हाईकोर्ट की सरकार को कड़ी फटकार, 16 मई को फिर सुनवाई

विजय शाह FIR मामला: हाईकोर्ट की सरकार को कड़ी फटकार, 16 मई को फिर सुनवाई
जबलपुर: मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री विजय शाह पर मानपुर थाने में दर्ज FIR को लेकर हाईकोर्ट ने मंगलवार और गुरुवार को लगातार सुनवाई करते हुए सरकार और पुलिस प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने FIR के तरीके और कंटेंट पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि यह साफ तौर पर अपराधी (मंत्री विजय शाह) को लाभ पहुंचाने की नीयत से लिखी गई है।
FIR में अपराध का जिक्र नहीं, हाई कोर्ट सख्त
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने पाया कि मंत्री विजय शाह पर दर्ज FIR में अपराध का स्पष्ट रूप से कोई जिक्र नहीं है। युगलपीठ ने पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि FIR ऐसे कंटेंट के साथ तैयार की गई है, जिसे चुनौती देने पर आसानी से निरस्त कराया जा सके। कोर्ट ने इस बात पर नाराज़गी जताई कि FIR में घटना के महत्वपूर्ण तथ्यों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया और केवल हाईकोर्ट के आदेश का हिस्सा औपचारिकता के तौर पर चस्पा कर दिया गया।
दोबारा FIR दर्ज करने और मॉनिटरिंग का आदेश
हाईकोर्ट ने अपने सख्त आदेश में पुलिस को निर्देश दिया है कि वह अपराध के पूरे तथ्यों और विवरणों को शामिल करते हुए दोबारा FIR दर्ज करे। इसके साथ ही युगलपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में पुलिस द्वारा की जाने वाली विवेचना (जांच) की पूरी मॉनिटरिंग अब हाईकोर्ट खुद करेगा। कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी।
विवादित बयान और हाईकोर्ट का संज्ञान
यह पूरा मामला मंत्री विजय शाह द्वारा महू के अंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक समारोह में भारतीय सेना की एक वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ दिए गए बेहद आपत्तिजनक और अभद्र बयान से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था और मंत्री के बयान को “अपमानजनक” और “गटर छाप भाषा” बताते हुए तत्काल FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
सरकार और संगठन की चुप्पी, मंत्री सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद, भारतीय जनता पार्टी और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मंत्री विजय शाह के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने पर भी सवाल उठे। इस बीच, मंत्री विजय शाह ने हाईकोर्ट के FIR दर्ज करने के आदेश से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में भी उन्हें राहत नहीं मिली और वहां भी उन्हें और सरकार को कड़ी फटकार लगाई गई। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई 16 मई को संभावित है।