
जबलपुर, यशभारत। आज से सावन सोमवार शुरू होते ही संस्कारधानी के शिव मंदिर में सुबह से ही काफी भीड़ देखने को मिली महिलाएं अपने हाथों से जलाभिषेक कर रही थी चारों तरफ भगवान शिव शंकर की आरती की ध्वनि सुनाई पड़ रही थी। इसी क्रम में संस्कारधानी के बीचों-बीच स्थित स्वयंभू सिद्ध पीठ श्री बड़े शंकर जी मंदिर गंजीपुरा में प्रातः 4: 30 से ही महिलाओं की लाइन पूजा अर्चन करने के लिए लग गई थी। इस संबंध में मंदिर के पुजारी वीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि यह मंदिर करीब 300 साल पुराना है। शिवलिंग जमीन पर स्थापित है और इनका आकार दिन प्रतिदिन दिव्य होता जा रहा है। सच्चे भाव से जो भी भक्त यहां पर मन्नते मांगता है भगवान शिव उनकी सभी मुरादे पूरी करते हैं। मंदिर के पुजारी आगे बताया कि अनेक नि:संतान की गोद भी भारी है सावन सोमवार में यहां पर भगवान शिव का विशेष पूजन अर्चन किया जाता है
आज से मोर पंख से होगा श्रृंगार-गंजीपुरा स्थित प्राचीन स्वयंभू सिद्ध पीठ श्री बड़े शंकर जी मंदिर में सावन सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है आज भगवान शिव का मोर पंख से श्रृंगार किया जाएगा इसी तरह से प्रत्येक सावन सोमवार में भगवान शिव का अलग-अलग श्रृंगार किया जाएगा।
ध्यान व उपासना से उनकी विशेष कृपा प्राप्त इस संबंध में मंदिर के पुजारी धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के ध्यान और उपासना से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन के संकट दूर हो सकते हैं। सावन के पहले सोमवार की पूजा विशेष रूप से भक्तों को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है।
भगवान शिव बहुत जल्द होते हैं प्रसन्न सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है। इस महीने में हर भक्त मानो शिव के रंग में रंग जाता है। हर जगह बम भोले की गूंज सुनाई देती है. कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान की कृपा और मनवांछित फल प्राप्ति के लिए लोग सावनभर भगवान की सेवा और भक्ति करते हैं। इसी तरह से सावन सोमवार के संबंध में उन्होंने बताया कि सावन के महीने के सोमवार का भी विशेष महत्व होता है। ज्यादातर शिवभक्त सावन सोमवार का व्रत रखकर उस दिन शिव जी की विशेष आराधना करते हैं. माना जाता है कि इससे भक्त की कामना जरूर पूरी होती है।
इसलिए खास है सावन का सोमवार सावन सोमवार के बारे में ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वे बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में उन्होंंने अपना शरीर त्याग दिया।इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया। कहा जाता है सावन के महीने में ही शिव जी उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसके बाद पार्वती जी का शिव जी के साथ विवाह हुआ। तब से ये पूरा माह शिव जी और माता पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया। चूंकि सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है।ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। जो शिव भक्त सामान्यत: सोमवार का व्रत नहीं भी रखते, वो भी सावन के सोमवार का व्रत जरूर रखते हैं.
यह है सावन सोमवार का महत्व सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है। सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है और पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।ह
यह है मंदिर के खुलने और बंद होने का समय स्वयंभू सिद्ध पीठ श्री बड़े शंकर जी मंदिर गंजीपुरा में नित्य प्रति मंदिर खुलने का समय प्रातः 4:30 से शुरू होता है इसके पश्चात 1:00 बजे से मंदिर के पट बंद हो जाते हैं शाम 5:30 बजे मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोला जाता है रात्रि 10:30 बजे भगवान शिव की सयन आरती के पश्चात मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।