सीजफायर के बाद पाक से कोई हाईलेवल बातचीत नहीं, PM बोले- गोली चली तो गोला; ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी,

सीजफायर के बाद पाक से कोई हाईलेवल बातचीत नहीं, PM बोले- गोली चली तो गोला; ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी,
नई दिल्ली। पाकिस्तान के साथ सीजफायर लागू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक की। इसमें रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए। इस बैठक के बाद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीजफायर से पहले भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों या विदेश मंत्रियों के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं हुई थी। बातचीत केवल दोनों देशों के आर्मी ऑपरेशन महानिदेशकों (DGMO) के बीच ही हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि ‘वहां से अगर गोली चली तो हम यहां से गोला चलाएंगे।’ कश्मीर पर भारत की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि अब केवल एक ही मामला बचा है, वो है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की वापसी। उन्होंने कहा था कि बात करने के लिए और कुछ नहीं है, सिवाय इसके कि अगर वे आतंकवादियों को सौंपने की बात करते हैं। पीएम ने किसी मध्यस्थता की आवश्यकता से भी इनकार किया था।
सूत्रों ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ खत्म नहीं हुआ है और भारत अब ‘नए सामान्य दौर’ में है, जिसे दुनिया और पाकिस्तान दोनों को स्वीकार करना होगा। भारत ने साफ कर दिया है कि हम पीड़ित और अपराधियों को एकसाथ नहीं रख सकते। बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया, जहां सबसे ताकतवर हथियार का इस्तेमाल हुआ। यह पाकिस्तान को संदेश था कि आतंकियों के ISI से करीबी रिश्ते हैं और उन्हें छोटे कैंपों की बजाय सीधे हेडक्वार्टर में मारा जाएगा।
हमले बहुत सटीक तरीके से किए गए, जिसमें रहीम यार खान और चकलाला (नूर खान) एयरबेस जैसे पाकिस्तानी वायुसेना के ठिकाने बुरी तरह बर्बाद हुए। पाकिस्तान को हर दौर में भारत से हार का सामना करना पड़ा है और हवाई ठिकानों पर हमारे हमलों के बाद उन्हें एहसास हो गया है कि वे इस ‘लीग’ में नहीं हैं। भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कोई भी सुरक्षित नहीं है, और यही ‘नया सामान्य’ है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने सैन्य, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक तीनों लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल किए हैं, जिसमें कैंपों को नष्ट करना, सिंधु जल संधि को आतंकवाद से जोड़ना और ‘घुस के मारेंगे’ का मनोवैज्ञानिक असर शामिल है।