
जबलपुर, यशभारत। शहर में दूध के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, और मौजूदा समय में 75 प्रति लीटर तक बिक रहा है। बावजूद इसके उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध नहीं मिल पा रहा है। हाल ही में मिलावट की आशंका को लेकर कई शिकायतें सामने आई हैं, जिससे आमजन में चिंता और नाराज़गी दोनों देखी जा रही है। दूध, जो कि हर घर की प्राथमिक आवश्यकता है, उसकी कीमतें जहां आम आदमी के बजट को खींच रही हैं, वहीं इसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई उपभोक्ताओं ने बताया कि दूध जल्दी फ्ट रहा है। उबालने पर झाग असामान्य रूप से अधिक बनता है। दूध का स्वाद और गंध बदली हुई लगती है। मलाई नहीं जम रही है या बहुत पतली परत बन रही है। ये सभी संकेत इस ओर इशारा करते हैं कि दूध में मिलावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, दूध में मिलावट किसी भी आयु वर्ग के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। सूत्रों की मांने तो मुनाफाखोरी के चक्कर में पानी – तो मिलाया ही जाता है वहीं कुछ डेरी और गली मौहल्लौ मै दूध बेचने आने वाले दूधिये डिटर्जेंट या साबुन स्टार्च या सिंथेटिक दूध यूरिया और फर्मलीन से भी परहेज नहीं कर रहे जो स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है। दूध में पानी की अधिकता तो आम बात है जिससे पोषण घटता है और – संक्रमण का खतरा बढ़ता है। बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं पर इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव होता है।
शहर में सैकडों डेयरियां और हजारों खुदरा दूध विक्रेता हैं। इन सब पर एक समान निगरानी न होना भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है, जिससे मिलावट करने वालों के हौसले बुलंद हैं। प्रशासन की ओर से दूध के नमूने लेकर लैब जांच के लिए भेजे जाने की प्रक्रिया धीमी है, जिससे उपभोक्ताओं में यह धारणा बन रही है कि इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। स्थानीय नागरिक संगठनों और उपभोक्ताओं का कहना है कि जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारी दूध के बड़े हुए दामों को नियंत्रित करने के साथ ही दूध की गुणवत्ता की नियमित जांच की व्यवस्था भी सुनिश्चित करायें। फूड सेफ्टी विभाग द्वारा अचानक निरीक्षण अभियान चलाया जाए।








