सत्ता पाने के चक्कर में विचारों को तिलांजलि देने वाले दल बदलू नेताओं ने घटाया मतदान प्रतिशत
शहर के कुछ क्षेत्रों में दिखा मतदान का अघोषित विरोध

जबलपुर यश भारत।लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होने को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। कुछ लोगों ने मतदान के प्रति उत्साह इसलिए नहीं जताया कि उनके द्वारा नगर निगम चुनाव में जिस प्रत्याशी को मतदान में मत दिया था वही दल बदल कर चले गए ।ऐसे में मतदाताओं का मानना था कि हम अपना मत क्यों खराब करें !!!जब चुनाव जिताने के बाद भी प्रत्याशी दल बदल लेता है। वर्तमान दौर में जिस प्रकार से पलायनवादी राजनीति की शुरुआत हुई और जिस ढंग से चरम पर चल रही है उसी का असर अब मतदाताओं पर भी देखा जाने लगा है ।विचारधारा को ध्यान में रखकर वोट देने वाले लोग इस बात से खफा हैं कि उनकी विचारधारा का मत पकड़ कर लोग उनकी राजनीतिक गणित के चक्कर में दल छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो रहे हैं। यह जानकारी राजनीतिक हलकों के लिए काफी विचारणीय है और यह मतदान प्रतिशत पूरे जबलपुर क्षेत्र में कम आने पर किए गए आधार पर ही बनाया है। जनता का का कहना था कि हम देश हित में विकास के लिए अपने मत का प्रयोग करते हैं लेकिन अपना मत देने के बाद पता चलता है कि जिसको हम ने मत दिया था उसने दल ही बदल लिया है तो हमारी भावनाओं को चोट पहुंचती है ऐसी स्थिति का ध्यान में रखते हुए हमने यह सोचा कि मतदान ही ना किया जाए।
रातों रात पाला बदलना कैसी राजनीति –चुनाव जीतने के बाद नेता पाला बदल लेते हैं। जिस पार्टी के विरोध में नेता चुनाव लड़ते हैं, जीतने के बाद उसी पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना लेते हैं। जिस नेता की दिन-रात आलोचना करते हैं, कुर्सी पाने के लिए उसी को अपना नेता मान लेते हैं। शहर के भीतर ऐसा लगातार हो रहा है। नेता सार्वजनिक रूप से यहां तक कहने से परहेज नहीं करते हैं कि राजनीति में सब कुछ चलता है। क्या सत्ता पाने के लिए विचारों को तिलांजलि देना राजनीति है? रातों-रात या कुछ पल में ही दल-बदल कर लेना या गठबंधन बना लेना राजनीति है?
राजनीति में सिद्धांत को ऊपर लाना होगा-राजनीतिक जानकार कहते हैं कि राजनीति में सिद्धांत को ऊपर लाना होगा। राष्ट्र को ध्यान में रखकर राजनीति करनी होगी, दल-बदल करने से पहले सोचना होगा जिसने मुझे मत दिया है, उसके मन-मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा। नेता एक पल में बदल जाते हैं लेकिन मतदाताओं को बदलने में बहुत समय लग जाता है। मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि नेता मतदाताओं की भावनाओं का सम्मान करें। उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करें।
कॉलेजों के विद्यार्थियों से हो संवाद -आवश्यकता है कि प्रशासन चुनाव के समय ही नहीं बल्कि पांचों साल बीच-बीच में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें। स्कूलों से लेकर कॉलेजों के विद्यार्थियों से संवाद करें। उन्हें लोकतंत्र में मतदान कितना महत्वपूर्ण विषय है, उसके बारे में बताएं। अब चुनाव आने से कुछ महीने पहले जागरूकता कार्यक्रम के ऊपर जोर दिया जाता है। यह स्थिति ठीक नहीं है।