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खुजराहो लोकसभा सीट: जीतू पटवारी, अखिलेश यादव ने भाजपा पर कसा तंज कहा लोकतंत्र की हत्या हुई

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कटनी यशभारत। खुजराहो लोकसभा सीट की इंडिया गठबंधन की सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन फार्म निरस्त होने के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूरे मामले में भाजपा पर तंज कसा है। जीतू पटवारी ने अपने एक्स एकाउंट में पोस्ट कर कहा कि नामांकन निरस्त हुआ नहीं है, कराया गया है। श्री पटवारी ने कहा कि आश्चर्य का विषय है कि हस्ताक्षर नहीं थे, तो फिर जांच अधिकारी ने फॉर्म कैसे ले लिया? जो /भाजपा कैमरे के सामने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत को, हार बता सकती है, उसके लिए नामांकन फॉर्म में खेल करना, बाएं हाथ का खेल है। जीतू पटवारी ने नामांकन निरस्त होने की प्रक्रिया को लोकतंत्र की हत्या करना बताया है।

हस्ताक्षर नहीं थे तो फार्म क्यों लिया- अखिलेश यादव
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने एक्स एकाउंट पर पोस्ट जारी करते हुए कहा कि खजुराहो सीट से इंडिया गठबंधन की सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन निरस्त करना सरेआम लोकतंत्र की हत्या है। कहा जा रहा है कि हस्ताक्षर नहीं थे तो फिर देखनेवाले अधिकारी ने फार्म लिया ही क्यों। ये सब बहाने हैं और हार चुकी भाजपा की हताशा। जो न्यायालय के कैमरे के सामने छल कर सकते हैं वो फार्म मिलने के बाद पीठ पीछे क्या-क्या साजिश रचते होंगे। भाजपा बात में ही नहीं काम में भी झूठी है और समस्त प्रशासनिक तंत्र को भ्रष्ट बनाने की दोषी भी। इस घटना की भी न्यायिक जाँच हो, किसी का पर्चा निरस्त करना लोकतांत्रिक अपराध है।

कौन हैं मीरा यादव, जिन्हें सपा ने बनाया प्रत्याशी
मीरा यादव 2008 में निवाड़ी विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर विधायक बनी थीं। इसी सीट से 2013, 2018 और 2023 में लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव हारीं। पति दीपनारायण यादव यूपी की गरौठा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं।

हाईकोर्ट जाएंगे पूरे मामले को लेकर
प्रत्याशी मीरा यादव के पति और पूर्व विधायक दीपनारायण यादव ने कहा, हमारा फॉर्म निरस्त कर दिया गया है। दो कमी बताई गईं- पहली.. वोटर लिस्ट की सर्टिफाइड कॉपी पुरानी लगी है। दूसरी… दो जगह साइन की बजाय एक ही जगह साइन हैं। उन्होंने बताया कि हमने 2 अप्रैल को सर्टिफाइड कॉपी के लिए अप्लाई किया था, जो 3 अप्रैल को भी नहीं मिली। इस स्थिति में जो सर्टिफाइड कॉपी उपलब्ध थी, उसे लगा दी। अगर वह कॉपी खराब दिख रही थी तो हमें बताते। हम फिर कॉपी उपलब्ध करा देते। जो कमी थी, उसे कल बताते तो हम उसे पूरा कर सकते थे। अब हम हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग जाएंगे।

 

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