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टोल प्लाजा से जुड़ा यह नियम जान लेंगे तो टोल टैक्स देने से बच सकते हैं

मानवरहित बूथ पर 29 किमी के सफर पर मात्र 65 रुपये लगेंगे

नई दिल्ली, एजेंसी। सफर के दौरान टोल टैक्स में राहत देने की योजना बनाई जा रही है। एनएचएआइ ने नई टोल दरें तय कर दी हैं। नए नियमों के बाद झिंझौली स्थित देश के पहले बिना बूथ के टोल प्लाजा पर सोनीपत से लेकर बवाना तक 29 किमी के सफर पर मात्र 65 रुपये लगेंगे। यहां पर टोल कलेक्शन करने की पूरा प्रोसेस ऑटोमेटिक होगा। इसमें लगे सेंसर फास्टैग से खुद ही टोल की राशि काट लेंगे। अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 के सोनीपत स्पर पर इसका ट्रायल किया गया था।

नए नियमों में मिनी बस, हल्के व्यवसायिक वाहनों के लिए 105 रुपये, दो एक्सल के व्यवसायिक वाहन 225 रुपये का शुल्क लिया जाएगा। वहीं, सबसे कम 65 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।
ये कैसे करेगा काम?
एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक, अभी इसे एडवांस टोल मैनेजमेंट सिस्टम और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) सिस्टम से जोड़ा गया है। जैसे ही गाड़ी गुजरेगी इसमें लगे सेंसर बैरियर को खोल देंगे। इस टोल प्लाजा पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट पहचान प्रणाली के पायलट प्रोजेक्ट पर भी काम किया जा रहा है।

कैश के लिए भी होगी एक लाइन
सभी लोगों में जागरूकता लाने के लिए इसपर काम किया जाएगा। लेकिन इसके साथ ही एक लाइन कैश देने वालों के लिए भी रखी जाएगी। अगर कोई ब्लैक लिस्ट फास्टैग या फिर कैश देने वाला आता है तो उसको लेफ्ट साइड की लेन से निकाला जाएगा। हालांकि ऐसी गाडिय़ों से दूसरे टोल प्लाजा की तरह ही Óयादा भुगतान कराया जाएगा। वाहन चालक ऑटोमेटिक लेन में न पहुंचे, इसके लिए हाईवे पर साइन बोर्ड लगाए जाएंगे।
इस नए नियम में अभी सेंसर से टोल के बैरियर खोले जाएंगे, लेकिन कुछ समय बाद ऐसी तकनीक भी लाई जाएगी जिसमें बैरियर की जरूरत ही न पड़े। भविष्य में जीएनएसएस आधारित टोल शुरू होगा तो फास्टैग और बैरियर की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इस तकनीक के जरिए हाईवे पर चढ़ते ही हर गाड़ी की एक यूनिक आईडी बनेगी। हृ॥्रढ्ढ अधिकारियों के मुताबिक, इसी तरह का एक टोल प्लाजा कानपुर में भी बनाया गया है।
एनएच &44 पी के टोल शुल्क को बोर्ड पर लिख दिया गया है। दिसंबर तक टोल शुल्क लेने का काम शुरू कर दिया जाएगा। किसी तरह की खामी होती है तो कंट्रोल रूम में मौजूद इंजीनियर इसे सही करेंगे। इस टोल प्लाजा को पूरी तरह से ऑटोमेटिक तरीके से चलाने की प्लानिंग है।

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