फरवरी में रिटायर होना था, लेकिन सिस्टम ने बीच रास्ते से छीन लिया”

जबलपुर, यश भारत। रविवार की दोपहर जब शहरवासी रोजमर्रा की हलचल में व्यस्त थे, उसी वक्त एक जांबाज पुलिसकर्मी और उत्कृष्ट फुटबॉल खिलाड़ी रमेश जाटव सड़क हादसे का शिकार हो गए। यह हादसा जितना अचानक था, उतना ही दर्दनाक और सिस्टम की खामियों को उजागर करने वाला भी।
घटना स्थल:
सिविल लाइन थाना अंतर्गत डिलाईट टॉकीज के पास रमेश जाटव की बाइक एक खड़े वाहन से टकरा गई, जब उसके चालक ने अचानक दरवाजा खोल दिया। टक्कर के कारण जाटव बाइक से गिर पड़े और गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
दोषी कौन?
हादसे की वजह केवल एक वाहन चालक की लापरवाही नहीं थी, बल्कि शहर की अराजक यातायात व्यवस्था, सड़क किनारे पसरा अतिक्रमण, और नियमों की धज्जियां उड़ाती लापरवाह ड्राइविंग भी इसके पीछे की बड़ी वजहें रहीं।
कर्तव्यनिष्ठ और खिलाड़ी:
रमेश जाटव न केवल एक अनुशासित पुलिसकर्मी थे, बल्कि वे फुटबॉल के बेहतरीन खिलाड़ी भी थे। वे वर्तमान में सीएसपी कार्यालय में अटैच थे और पहले गोहलपुर थाने में पदस्थ रह चुके थे। वे गोरा बाजार स्थित अपने घर से ड्यूटी पर निकले थे जब हादसा हुआ।
रिटायरमेंट से चंद महीने पहले गई जान:
सबसे दुखद पहलू यह है कि रमेश जाटव फरवरी 2026 में सेवा निवृत्त होने वाले थे। उन्होंने ज़िंदगी के तीन दशक पुलिस सेवा में बिताए, लेकिन रिटायरमेंट से महज चार महीने पहले एक बेमतलब सड़क हादसे में उनकी जान चली गई।
परिवार और अंतिम संस्कार:
जाटव अपने पीछे पत्नी ज्योतिबाला, बेटा अखिल और बेटी शिवानी को छोड़ गए हैं। सोमवार को गौरीघाट मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में विभागीय अधिकारी, पुलिसकर्मी और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए।
समाज को सवालों में छोड़ गए रमेश:
रमेश जाटव का जाना सिर्फ एक व्यक्ति का जाना नहीं है, बल्कि यह शहर के प्रशासन, ट्रैफिक मैनेजमेंट और नागरिक जिम्मेदारी पर कई सवाल छोड़ गया है। क्या अगला नंबर किसी और जिम्मेदार नागरिक का होगा?







