शो पीस बने फव्वारे, जिम्मेदारों को परवाह नहीं
जबलपुर,यशभारत। नगरीय प्रशासन द्वारा कई सालों से शहर के चौराहों और तालाबों में लगाए गए फव्वारे इन दिनों अधिकांशत: बंद ही हैं।यश भारत के टीम जब इन स्पॉट पर पहुंची तो वे बंद मिले। जहां एक ओर तालाबों में जलीय जंतुओं के ऑक्सीजन लेवल को संतुलित रखने के उद्देश्य से तालाबों में फव्वारे लगाए गए थे तो वहीं दूसरी तरफ शहर की सुंदरता के लिए भी इनको चौराहों में लगाया गया है लेकिन ये प्राय: बंद रहते हैं।जिम्मेदार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।आलम ये है कि तालाबों में मछलियों सहित अन्य जलीय जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी से मौतें हो रहीं हैं और शहर में धूल का स्तर काफी बढ़ रहा है। हाल ही में दीपावली पर्व के समय वायु व धूल से शहर का स्तर काफी प्रदूषित हुआ था। विदित हो कि गुलौआताल में हर तीन से चार महीने में बड़ी संख्या में मछलियों की मौतें होती चलीं आईं हैं फिर भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। जानकारी के अनुसार शहर के तिराहों, चौराहों में सिर्फ इसलिए फव्वारे लगाए गए थे कि लगातार दिनभर वाहनों की धमाचौकड़ी से फैल रही धूल का स्तर कम हो सके। लेकिन इन दिनों देखा जा रहा है ये फव्वारे नियमित नहीं चल रहे हैं। शहर का सबसे पुराना बड़े फुहारे का फव्वारा ऐतिहासिक है ये भी अधिकतर बंद ही रहता है। हम बात करें बड़े फुहारे के फव्वारे की तो ये सिर्फ शाम के वक्त ही चालू दिखाई देता है।
इन जगहों पर लगे हैं फव्वारे
जानकारी के अनुसार हनुमानताल, रसल चौक, व्हीकल मोड़ के पास, सूपाताल, गुलौआताल के पास फव्वारे नगर निगम प्रशासन द्वारा लगाए गए थे। तालाबों में फव्वारे इसलिए लगाए गए थे कि जलीय जंतुओं का ऑक्सीजन लेवल संतुलित रहे और चौराहों में ये ध्यान में रखकर लगाए गए थे कि धूल का स्तर कम हो सके।
नए चौराहों में भी लगने थे फव्वारे
जानकारी के अनुसार नगर निगम प्रशासन ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत् शहर के कुछ नए चौराहों में फव्वारे लगाने की प्लानिंग की थी लेकिन अभी तक किसी भी नए चौक में ये फव्वारा नहीं लगाया गया है और जो लगे हैं उन्हें अधिकांशत: बंद रखा जा रहा है।