जबलपुर यश भारत। राजनीति में एक पुरानी कहावत है कांग्रेस की टिकट और आदमी की मौत का कोई भरोसा नहीं है। अब कांग्रेस की दूसरी सूची सामने आने के बाद यह वास्तविकता के धरातल पर चरितार्थ होते भी दिख रही है। कांग्रेस द्वारा गुरुवार देर रात 88 नामों की सूची जारी कर दी। जिसके बाद 230 विधानसभा सीटों में से 229 सीटों पर कांग्रेस की ओर से नाम फाइनल कर दिए गए हैं। लेकिन इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि पूर्व घोषित किए गए तीन नाम को पार्टी द्वारा बदल दिया गया। जिसे कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही साथ दिग्विजय और कमलनाथ के मतभेद भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। कपड़े फाड़ने के वीडियो से शुरू हुआ विवाद पत्रकार वार्ता के दौरान मंच पर किए गए कटाक्षों से होते हुए सीधे टिकट बदलने तक पहुंच गया है।
कांग्रेस की जो सूची सामने आई है उसको यदि ध्यान से देखें तो कमलनाथ व दिग्विजय से करीबियों को देखकर समझ जा सकता है कि किसकी कितनी चली है और किसने किस आधार पर टिकट बांटी है। कुछ टिकटों को देखकर इस बात को समझा जा सकता है कि दिग्विजय सिंह को प्रदेश की राजनीति की गहरी समझ है और वह विधानसभा स्तर के साथ-साथ ब्लॉक स्तर पर भी कांग्रेस के संगठन को जानते हैं और उसकी नब्ज को भाग चुके हैं। जो उनके कोटे की टिकटों को देखकर समझ जा सकता है। वहीं कुछ टिकट ऐसी हैं जो पीछे के दरवाजे से बांट दी गई है और क्षेत्रीय समीकरणों के साथ-साथ संगठनात्मक पसंद को किनारे लगाकर दी गई है । जिसे देखकर प्रदेश के संगठन और जमीनी स्तर पर कमलनाथ की पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
तंखा की पसंद थे युवा प्रत्याशी
एक ओर जहां टिकट वितरण में कमलनाथ और दिग्विजय से के मतभेद की चर्चाएं पिछले तीन दिनों से आम है वही राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने टिक में सबसे ज्यादा युवाओं को मौका देना चाह रहे थे लेकिन कांग्रेस की सूची को ध्यान से देखें तो ऐसे कोई विशेष युवा चेहरे नहीं है। कुछ एक सीटों को छोड़ दे तो पार्टी द्वारा पुराने चहरो पर ही दांव लगाया है। इसके अलावा जहां टिकट बदली भी गई है तो उसमें युवाओं को तरजीह नहीं दी गई है। जबकि राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के द्वारा ज्यादा से ज्यादा युवाओं को मौका देने की बात पार्टी फोरम पर रखी थी। हालांकि महाकौशल के साथ-साथ मालवा की कुछ सीटों पर सांसद विवेक तंखा का प्रभाव स्पष्ट दिख रहा है।
यहां से होगा निर्णय
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की टिकटों को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है और इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। खास तौर पर कटनी टीकमगढ़ रीवा और सागर जिले में जो टिकट दी गई है उसको लेकर समर्थन और विरोध दोनों ही सामने आ रहा है। राजनीतिक पंडितों की माने तो इस जिले की लगभग एक दर्जन से अधिक विधानसभा सीट सरकार बनाने या विपक्ष में बैठने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। क्योंकि यहां की सीटों को लेकर कांग्रेस में संशय की स्थिति है। यदि यहां से कोई विपरीत परिणाम आते हैं तो कांग्रेस को गंभीर नुकसान उठाना पड़ सकता है। वही मालवा की दो सीट भी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के विवाद के केंद्र में रही हैं यहां के परिणाम भी चौंकाने वाले रहेंगे।
कांग्रेस धोखेबाज पार्टी,,, कांग्रेस के चिरकुट नेता हमारी पार्टी के बारे में कुछ न कहें
समझौता न होने पर सख्त लहजे में बोले अखिलेश
जबलपुर यश भारत।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने
मध्यप्रदेश कांग्रेस कड़ा रुख इख्तियार किया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस के जो लोग हैं वो बीजेपी से मिले लोग हैं। अगर मुझे पता होता कि समाजवादी पार्टी से प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं कर रहे हैं, तो मैं समाजवादी पार्टी के लोगों को कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के पास नहीं भेजता। अगर मुझे यह भरोसा होता कि कांग्रेस पार्टी के लोग धोखा देंगे। तो मैं उनकी बात पर भरोसा नहीं करता। मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि अपने चिरकुट नेताओं से हमारी पार्टी के बारे में ना बुलवाएं।
विधानसभा स्तर पर I.N.D.I.A गठबंधन नहीं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने हमें बुलाकर पूरे आंकड़े देखे और भरोसा दिया कि 6 सीटों पर सपा के लिए विचार करेंगे, लेकिन सीटें घोषित की गईं तो सपा शून्य रही। अखिलेश यादव ने कहा ‘अगर मुझे पहले पता होता कि विधानसभा स्तर पर I.N.D.I.A. का कोई गठबंधन नहीं है तो हम उनसे कभी मिलने नहीं जाते।समाजवादी पार्टी के साथ जैसा व्यवहार होगा, वैसा व्यवहार उनको (कांग्रेस) देखने को मिलेगा’ ।
सपा की दिखाई थी पूरी परफार्मेंस रिपोर्ट
पूर्व में मध्यप्रदेश के जो मुख्यमंत्री (कमलनाथ) रहे और पूर्व में जो कई बार मुख्यमंत्री रहे (दिग्विजय सिंह) कांग्रेस नेताओं ने समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक बुलाई थी। जिसमें उनके पूछने पर हमने उन्हें समाजवादी पार्टी की पूरी परफॉरमेंस रिपोर्ट दिखाई। किस समय पर सपा के कहां, कितने विधायक जीते? कभी एक जीते, कभी दो जीते.. कभी पांच जीते। और किस जगह हम नंबर दो पर रहे। हमारी पूरी चर्चा हुई।अगर मुझे पहले पता होता कि विधानसभा स्तर पर I.N.D.I.A. का कोई गठबंधन नहीं है तो हम उनसे कभी मिलने नहीं जाते। ना हम अपनी पार्टी की सूची कांग्रेस के लोगों को देते और ना ही कांग्रेस के लोगों का फोन उठाते।