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मध्यप्रदेश में ईडी की तबाड़तोड़ कार्रवाई, अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप आबकारी उपायुक्त, शराब ठेकेदारों के 11 ठिकानों पर दबिश

ईडी कार्रवाई से जबलपुर में हड़कम्प, पुरानी चर्चा गरम हुई

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 भोपाल, यशभारत। प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी विभाग के उपायुक्त आलोक खरे भोपाल और रीवा के ठिकानों पर आज सुबह छापेमारी की है। भोपाल में खरे के साथ आबकारी विभाग के एक और अधिकारी के यहां भी सर्चिंग की सूचना है। यह कार्रवाई आबकारी विभाग के फर्जी एफडी मामले से भी जुड़ी बताई जा रही है। शराब कारोबार से जुड़े बड़े घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। ईडी की टीमों ने सोमवार सुबह से भोपाल, इंदौर और मंदसौर में अलग-अलग शराब ठेकेदारों के 11 परिसरों पर एक साथ तलाशी अभियान चलाया। इस कार्रवाई में कई दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।
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हालांकि अभी तक इस मामले में ईडी की ओर से अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। ईडी ने यह कार्रवाई लोकायुक्त छापे के आधार पर शुरू की है। लोकायुक्त पुलिस ने छह साल पहले आलोक खरे के सात ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनमें भोपाल में दो, इंदौर में दो, रायसेन में दो और छतरपुर में एक जगह शामिल थी। लोकायुक्त जांच में करीब 100 करोड़ से अधिक की संपति का खुलासा हुआ था। लोकायुक्त की जांच में इंदौर के पॉश इलाके में एक पैंट हाउस और एक बंगला पता चला था। भोपाल के चूनाभट्टी और बाग मुंगालिया में दो बड़े बंगले और कोलार में फार्म हाउस की जमीन है। रायसेन में दो फार्म हाउस हैं। लोकायुक्त जांच में इंदौर के बंगले से 10 लाख रुपए और रायसेन के फार्म हाउस से पांच लाख रुपए कैश मिले थे। सहायक आबकारी आयुक्त खरे का छतरपुर स्थित निवास की कीमत भी करोड़ों रुपए है। खरे के छतरपुर स्थित निवास से विदेशी मुद्रा भी मिली थी। खरे ने अपनी पत्नी के नाम पर रायसेन में फलों की खेती करना बताया था। खरे का भोपाल में बंगला नंबर 45 फेस 1 गार्डन सिटी जाटखेड़ी होशंगाबाद रोड स्थित घर पर है।ईडी ने यह कार्रवाई शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की है। आरोप है कि ठेकेदारों ने ट्रेजरी चालानों में बड़े पैमाने पर जालसाजी और हेराफेरी कर सरकारी राजस्व को 49 करोड़ 42 लाख 45 हजार 615 रुपये का नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच शराब अधिग्रहण के लिए अवैध तरीके से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्राप्त किए गए। सूत्रों के अनुसार, जब्त दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉड्र्स की गहन जांच की जा रही है। शुरुआती जांच के बाद ईडी इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और कारोबारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती है। माना जा रहा है कि इस घोटाले का दायरा और भी बड़ा हो सकता है।

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जबलपुर, यशभारत। प्रदेश भर में प्रर्वतन निदेशालय की टीम ने शराब काराबियों व अधिकारियों के सुबह-सुबह कार्रवाई की। इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया इसका सबसे ज्यादा असर जबलपुर को देखने को मिला। सुबह जब ईडी कार्रवाई की जानकारी जब शराब कारोबियों तक पहुंची वो भी अपने दस्तावेज खंगालने लगे, नेताओं से लेकर अपने चहेते अधिकारियों को फोन करके अपनी स्थिति के बारे में पूछने लगे। ईडी कार्रवाई पर जबलपुर के एक अधिकारी का नाम भी सामने आने की चर्चा थी, इसको लेकर सुबह खबरची पता करने में जुट गए कि अधिकारी कौन है। दोपहर तक यह पता नहीं चल पाया कि ईडी की राडार में जबलपुर का कौन अधिकारी है। उल्लेखनीय है कि जबलपुर में पदस्थ अधिकारी की शराब ठेकेदारों के मामले में चर्चा चरम पर थी।
शराब ठेकेदारों के फोन बिजी आते रहे
ईडी कार्रवाई की जबलपुर में कितनी दहशत थी अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शराब कारोबारी सहित उनके शुभचिंतकों के फोन बिजी आते रहे। बताया जा रहा है कि शराब ठेकेदार इस बात की जानकारी लेने भोपाल लगाते रहे हैं कि इस कार्रवाई में उनका नाम तो नहीं है, हालांकि लंबी जदोजहद के बाद ठेकेदारों ने उस वक्त राहत की सांस ली जब भोपाल से उनके नाम नहीं होने की बात कही गई।
अधिकारी का ठिकाना खोजते रहे
करोड़ों रूपयों के घोटाले को उजागर करने ईडी की तबातोड़ कार्रवाई से भोपाल-इंदौर सहित उन जिलों में हड़कंप की स्थिति थी जहां पर घोटाले के तार जुड़े थे। जबलपुर में एक अधिकारी का नाम आने के बाद चर्चाओं का दौर अधिकारी के ऑफिस खोजने के लिए उनके विरोधी शुरू हो गए।

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