Doctor strike in Madhya Pradesh: डॉक्टरों की हड़ताल, बेहाल हुए मरीज, प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएगी-कमिश्नर-कलेक्टर और डॉक्टरों की बैठक बेनतीजा
कमिश्नर-कलेक्टर ने सुबह नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल का किया निरीक्षण

जबलपुर, यशभारत। राज्य सरकार से हो रहीं बात बेनतीजा होने के बाद आर-पार की लड़ाई का मन बनाते हुए डॉक्टर आज से अनिश्वितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। जबलपुर समेत मध्यप्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज के करीब दस हजार डॉक्टर आज से कामबंद आंदोलन कर रहे हैं। जबलपुर नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज के करीब साढ़े चार सौ डॉक्टर सहित जिला अस्पताल, लेडी एल्गिन और स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ 180 डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गए है। ओपीडी में भीड़ बढ़ गई है। डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों के लिए इमरजेंसी, ट्रॉमा, और ढ्ढष्ट (इंटेसिव केयर यूनिट) में प्रशासन ने एनएचएम , रिटायर्ड और आयुष डॉक्टरों को तैनात किया है, इसके अलावा निजी अस्पतालों से भी संपर्क किया गया है। इधर संभागायुक्त ने सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों की सेवाएं लेने की बात कही है।
आज से शुरू हुई डॉक्टरों की हड़ताल का असर महाकोशल अंचल की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ेगा। जबलपुर कमिश्नर अभय वर्मा ने छुट्टी पर गए सभी डॉक्टरों के अवकाश कैसिंल कर दिए हैं और तत्काल काम पर लौटने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही निजी अस्पतालों को निर्देश दिए गए है कि इमरजेंसी में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए तैयार रहें। जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने भी ष्द्वद्धश डॉ संजय मिश्रा को निर्देश दिए है कि आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। जबलपुर जिले में करीब 82 आयुष डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है जो कि मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में तैनात रहेंगे।

स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर अफसरशाही हावी
अनिश्चित कालीन हड़ताल पर गए डॉ राकेश मालवीय, डॉ. माधव हसानी, डॉ. सुनील अग्रवाल सहित अन्य कहना है कि राज्य सरकार से हमारी विभिन्न मांगों को लंबे समय से बात चल रहीं है, हर बार आश्वासन मिलता है। अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है लेकिन नियुक्तियां नहीं की जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं को जानबूझकर खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर चाहते हैं कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जाए। इन व्यवस्थाओं को अफसरशाही से मुक्त किया जाए। यही कारण है कि आज से जबलपुर सहित पूरे मध्य प्रदेश के डॉक्टर हड़ताल पर है। मध्यप्रदेश के सभी डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर सोमवार को काली पट्टी बांधकर ड्यूटी की, मंगलवार को दो घंटे ओपीडी बंद की जिसका असर भी स्वास्थ्य सुविधाओं पर देखने को मिला।
स्वास्थ्य सेवाओं में असर नहीं
संभागायुक्त अभय वर्मा ने यशभारत से चर्चा में बताया कि डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू कर दी है लेकिन इससे स्वास्थ्य सेवाएं नहीं बिगड़ेगी। संभागायुक्त ने कहा कि अस्पतालों का निरीक्षण कर सेवानिवृत्त हो चुकें डॉक्टर और निजी अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क कर सेवाएं देने को कहा गया है।
डॉक्टरों की ये हैं मांगें
- केंद्र, बिहार व अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के डॉक्टर्स के लिए DACP योजना का प्रावधान।
- स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियां दूर हों।
- चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (MBBS) की MPPSC के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति / चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए।
- जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि और ट्यूशन फीस जो कि देश में सर्वाधिक है, को कम किया जाए।
- विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र डॉक्टरों का वेतन समकक्ष संविदा डॉक्टरों के समान किया जाए।