जमीन हेरा फेरी के मामले में तहसीलदार गिरफ्तार, तहसील के 7 कर्मचारियों पर भी FIR

जबलपुर, यश भारत। तहसील में पदस्थ तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे समेत अधारताल तहसील के सात कर्मचारियों को क्राइम ब्रांच ने हिरासत में लिया है। एसडीएम की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज करी गई है। फर्जी वसीयतनामा के आधार पर कई एकड़ जमीन खुर्दबुर्द करने का मामला मामला सामने आया है जिसमें अधारताल एसडीएम द्वारा मामले की जांच की गई थी उसके बाद विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक अधारताल तहसील अंतर्गत रेगवा गांव की कुछ जमीनों को तहसीलदार द्वारा फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से खुर्द किया गया है जिस मामले में यह पूरी कार्यवाही हुई है।
क्रमवार तरीके से समझे कैसे हुआ इतना बड़ा गड़बड़झाला
1. तहसीलदार आधारताल श्री हरिसिंह धुर्वे द्वारा रा.प्र.क्र. 1587/3-6/2023-24 में दिनांक 8.8.2023 को आदेश पारित कर ग्राम रैगवा प०ह0न0 27 पुराना खसरा नंबर 51 वर्तमान खसरा नंबर 74 रकबा 1.01 हेक्टेयर भूमि पर श्री शिवचरण पांडेय पिता स्व०श्री सरमन पांडेय निवासी माडल टाउन जिला जबलपुर का नाम विलोपित कर श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज किया गया।
2. तहसीलदार द्वारा उक्त नामांतरण श्री महावीर प्रसाद पांडेय की अपंजीकृत वसीयत दिनांक 14.02.1970 के आधार पर किया गया है।
3. विषयागत भूमि पर विगत लगभग 50 वर्षों से राजस्व अभिलेखों में श्री शिवचरण पांडेय का नाम से दर्ज है और वह उक्त भूमि पर विगत 50 वर्षों से खेती करते चले आ रहे है व संपत्ति पर भौतिक रूप से आज भी काबिज है।
4. उल्लेखनीय है कि श्री श्याम नारायण चौबे की पुत्री दीपा दुबे तहसील कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर (संविदा) का कार्य करती है। फर्जी तरीके से अतिरिक्त तहसीलदार से उक्त आदेश पारित करवाने में दीपा दुबे और पटवारी श्री जोगिंदर पिपरी की संलिप्तता पाई गई है।
5. सुनियोजित ढंग से कूट रचित वसीयतनामा के आधार पर श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज करवाया गया और उनकी मृत्यु के तत्काल बाद पूर्व योजना के अनुसार तत्काल दीप दूबे और उसके भाइयों का नाम फ़ौती आधार पर संपत्ति पर दर्ज कर लिया गया और इसके तुरंत बाद उक्त संपत्ति को विक्रय कर दिया।
6. प्रकरण में आवेदन, आवेदक श्री एस चौबे के हस्ताक्षर से प्रस्तुत किया गया है श्री श्याम नारायण चौबे का नाम कही भी आवेदन पत्र में उल्लेखित नही है। श्री श्याम नारायण चौबे निवासी गढा (जो वाहन चालक के पद पर कार्यालय कलेक्टर जबलपुर में पदस्थ रहे थे) के आवेदन पर हस्ताक्षर एवं आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर भिन्न भिन्न है। आवेदक द्वारा आवेदन पत्र में स्थायी निवास का पता भी अंकित नही किया है, न ही कही परिचय पत्र, आधारकार्ड अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत किया
है।
7. प्रकरण में हितबद्ध पक्षकार वर्तमान भूमिस्वामी को ना तो पक्षकार बनाया गया है नाही उसे विधिवत सूचनापत्र तमिल किया गया है।
8. अधोन्यायालय के समक्ष प्रस्तुत वसीयतनामा तीन रूपये के स्टाम्प पर निष्पादित किया गया है। साक्षीगण के नोटराईज्ड शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। शपथ पत्र मे किसी भी गवाह की उम्र का उल्लेख नही किया गया है। आदेश पत्रिका में वसीयत के साक्षी उपस्थित हुए लेख किया गया किंतु किसी भी साक्षी के आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर नही है। नोटराईज्ड शपथ पत्र मे वसीयतकर्ता की वसीयत गवाहों द्वारा प्रमाणित की जा रही है किंतु न्यायालयीन आदेश पत्रिका में उनकी उपस्थिति दर्शित नहीं हो रही है। नोटराईज्ड स्टाम्प में भी स्टाम्प क्रेता की आयु का उल्लेख एवं उनके निवास का उल्लेख नही किया है।
9. प्रकरण में रजिस्ट्रार जन्म एवं मृत्यु नगर निगम जोन 13 के द्वारा दिनांक 4/8/2016 को कम्पयूटराईज्ड सिग्नेचर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्रप्रस्तुत किया गया है जिसमे स्व० महावीर प्रसाद की मे मृत्यु दिनांक 22/12/1971 उल्लेखित है।
10. पटवारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट एक पक्षीय और दुर्भावनापूर्ण स्पष्ट रूप से प्रदर्शित है। हल्का पटवारी प्रतिवेदन में मौका जांच एवं स्थल पंचनामा संलग्न नहीं किया गया, न ही उनके द्वारा पूर्व भूमिस्वामी महावीर प्रसाद के विधिक वारसानो की जानकारी एवं मृत्यु प्रमाण पत्र एवं मृत्यु दिनांक की जांच की गई। वसीयतकर्ता एवं वसीयतग्राहिता के संबंधो पर मौका जांच प्रतिवेदन नहीं किया गया। हल्का पटवारी द्वारा न ही वसीयतग्राहिता की वल्दीयत एवं वसीयत के समय वसीयतग्राहिता की उम्र संबंधित दस्तावेजो का भी मौका मिलान किया गया। वर्ष 1969 में हुए नामांतरण को पटवारी द्वारा बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के विधि विरुद्ध प्रतिवेदित कर दिया गया है। राजस्व अभिलेख में महावीर प्रसाद का नाम दर्ज नहीं होने के बावजूद उसके द्वारा 50 वर्ष पूर्व निष्पादित कथित वसीयत के आधार पर नामांतरण की कारवाई प्रस्तावित करना प्रकरण में पटवारी की संलिप्तता को प्रदर्शित करता है।
11. राजस्व अभिलेख में महावीर प्रसाद का नाम ही दर्ज नहीं है इसके बाद भी उसकी 50 वर्ष पूर्व की कथित वसीयत के आधार पर वर्तमान भूमि स्वामी का नाम एकपक्षीय रूप से विलोपित कर कथित वसीयत ग्रहिता, जो की तहसील कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी का पिता है का नाम दर्ज करने का आदेश पारित करना तहसीलदार की दुर्भावना और संलिप्तता को प्रदर्शित करता है।
12. तहसीलदार द्वारा महत्वपूर्ण विधिक तथ्य की जानबूझकर अनदेखी की गई कि महावीर प्रसाद की वसीयत के आधार पर नामांतरण करने से पूर्व वर्तमान भूमि स्वामी का नामांतरण निरस्त करना अनिवार्य है। उक्त नामांतरण निरस्त करने की अधिकारिता तहसीलदार को नहीं है।
13. श्री हरिसिंह धुर्वे तहसीलदार आधारताल जबलपुर के पद पर कार्यरत थे। अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल जबलपुर के पद पर श्री राजेश कौशिक कार्यरत थे। उक्त दोनों न्यायालयों के मध्य कार्य विभाजन कलेक्टर जबलपुर के द्वारा किया गया है। श्री हरिसिंह धुर्वे तहसीलदार आधारताल जबलपुर द्वारा अधिकारिता से परे जाकर अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल जबलपुर के न्यायालय में दर्ज प्रकरण का निराकरण किया गया है।
14. अनुविभागीय अधिकारी आधारताल द्वारा अपील स्वीकार की जाकर तहसीलदार द्वारा पारित आदेश विधि विरुद्ध होने की वजह से अपास्त किया गया है।
15. अनुविभागीय अधिकारी आधारताल द्वारा तहसीलदार श्री हरिसिंह धुर्वे, पटवारी श्री जागेन्द्र पिपरे और कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे के विरुद्ध द्वारा लोकसेवक के नाते प्रदत्त पदीय अधिकारों का दुरुपयोग किया जाना, सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र कर प्रथम दृष्टया कूटरचित दस्तावेज और एकतरफ़ा कारवाई कर एक 95 वर्ष के व्यक्ति की भूमि को हड़पने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाना सिद्ध पाया है।