जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

मुद्दों के साथ प्रत्याशी की कार्यप्रणाली पर भी नजर

आपेक्षाएं ज्यादा, नेताओं की अभी हां, मतदाता चौकन्ना

जबलपुर , यशभारत। विधानसभा चुनाव के पहले जनता के बीच जाने के लिए नेताओं के पास ढेर सारे मुद्दे थे और मतदाताओं के पास भी प्रत्याशियों से पूछने के लिए दर्जनों सवाल थे, लेकिन लगता है जिले में चुनाव अब मुद्दों से हटकर चेहरों पर आ गया है। कांग्रेस-भाजपा समेत अन्य दलों और निर्दलीय प्रत्याशी सामने आ जाने के बाद लोग अब मानस बनाने लगे हैं कि उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र की बागडौर किसे सौंपना है। राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के विषयों के साथ क्षेत्रीय समस्याओं से जुड़े सवाल खासतौर पर चुनाव में मुद्दा बनते हैं, लेकिन जिले की आठों सीटों पर कमोबेश ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है जिसमें लोग अपनी पसंद का चेहरा चुनेंगे। चुनाव में जो उम्मीदवार उनकी कसौटी पर खरा उतरेगा, उसे ही समर्थन मिल पायेगा। इस बार कांग्रेस और भाजपा में टिकट वितरण की बात की जाए 8 विधानसभा क्षेत्र के 16 प्रत्याशियों में 9 पुराने चेहरे है जबकि 7 नए। भाजपा ने सिहोरा और बरगी और उत्तर मध्य-पश्चिम में प्रत्याशी बदले जबकि कांग्रेस ने पनागर और सिहोरा और केंट में नया प्रत्याशी उतारा है।

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उत्तर विधानसभा
पहली बार विधायक बने कांग्रेस के विनय सक्सेना से पहली बार चुनावी मैदान में उतरे अभिलाष पाण्डे से मुकाबला है। यहां पर भाजपा ने नया प्रत्याशी उतारकर समीकरण बदलने का प्रयास किया है जबकि कांग्रेस ने विनय सक्सेना का मौका देकर सीट पर बने रहने का पैंतरा अपनाया है।

सिहोरा विधानसभा
जिले की विधानसभा सीटों में से एक सिहोरा विधानसभा का चुनाव इस बार इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि भाजपा ने अपने गढ़ में इस बार प्रत्याशी को बदला है। भाजपा ने संतोष बरकड़े को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने एकता ठाकुर को टिकट दिया है। मध्यप्रदेश में सरकार उसी की बनती है जिसके साथ आदिवासी होते हैं।

पश्चिम विधानसभा
पश्चिम विधानसभा में भाजपा ने सांसद राकेश सिंह को उतारकर कांग्रेस से सीट छीनने का प्लान तैयार किया है जबकि दो बार के कांग्रेस विधायक तरूण भनोत पर पार्टी ने भरोसा जताया है। दोनों के बीच मुकाबला जोरदार है।

पनागर विधानसभा
पनागर विधानसभा सीट का चुनाव इसलिए दिलचस्प है कि यह भाजपा का गढ़ है। 2018 के चुनाव में सुशील कुमार तिवारी (इंदू भैया) 41 हजार 733 वोटों से चुनाव जीते थे। भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार तिवारी को 84,302 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार भरत सिंह यादव को 42569 वोट मिले थे। इस बार भी सुशील कुमार तिवारी भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं और कांग्रेस ने राजेश पटेल को प्रत्याशी बनाया है।

बरगी विधानसभा
बरगी विधानसभा सीट के चुनाव की बात करें तो भाजपा ने भाजपा की पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस के संजय यादव एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। संजय यादव ने पिछले चुनाव में भाजपा की प्रतिभा सिंह को हराया था।

केंट विधानसभा
कैंट विधानसभा में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है। यहां से भाजपा के अशोक रोहाणी चुनाव लड़ रहे हैं। अशोक पूर्व विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष रहे ईश्वरदास रोहाणी के बेटे हैं। अशोक रोहाणी 2013 से अब तक विधायक हैं। इस सीट से पिछले 30 सालों से भाजपा का कब्जा है। इस बार रोहाणी के ही शिष्य रहे चिंटू चौकसे को कांग्रेस ने टिकट दिया है।

पूर्व विधानसभा
जबलपुर (पूर्व) विधानसभा सीट से भाजपा के अंचल सोनकर और कांग्रेस के लखन घनघोरिया मैदान में हैं। यह दोनों ही प्रत्याशी पिछले चुनाव में भी आमने-सामने थे। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां कुल 2 लाख 30 हजार 400 मतदाता थे। इन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी लखन घनघोरिया को 90 हजार 206 वोट देकर विधायक बनाया था। वहीं भाजपा के अंचल सोनकर को 5500 वोट मिले थे। जीत का अंतर 35136 था।

पाटन विधानसभा
पाटन विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक अजय विश्नोई को भाजपा ने एक बार फिर मौका दिया है। श्री विश्नोई के सामने कांग्रेस ने एक बार फिर नीलेश अवस्थी को मैदान में उतारा है। इस चुनाव में दिलचस्पी होना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि यहां के मतदाताओं ने भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से मौका दिया है।

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