मास्टर प्लान के अभाव में हो रहा बेतरतीब विकास
2005 के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया किंतु धरातल पर प्लान नहीं लागू हुआ और कागजों तक ही सिमट कर रह गया।

मास्टर प्लान के अभाव में हो रहा बेतरतीब विकास
2005 के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया किंतु धरातल पर प्लान नहीं लागू हुआ और कागजों तक ही सिमट कर रह गया।
जबलपुर यश भारत। किसी भी शहर को महानगरीय स्वरूप देने के लिए एक मास्टर प्लान की निहायत आवश्यकता होती है लेकिन जबलपुर का मास्टर प्लान अभी तक धरा पर न उतरने करने के कारण शहर का वैसा विकास संभव नहीं हो पाया जैसा होना चाहिए था। कहने को तो शहर के चारों ओर बड़ी-बड़ी कालोनियां विकसित हो रही हैं लेकिन बावजूद इसके भी इंदौर भोपाल की तुलना में जबलपुर आज भी किसी कसबाई शहर से ऊपर नहीं उठ पाया। आज भी जबलपुर के मास्टर प्लान को लेकर समय-समय पर मीडिया में खबरें भी उछलती हैं लेकिन मास्टर प्लान के मुताबिक शहर का विकास कब संभव हो पाएगा इसको लेकर संशय ही है। एक जानकारी के अनुसार शहर को महानगरीय स्वरूप देने के उद्देश्य से पहला मास्टर प्लान वर्ष 1980 में आया था इस मास्टर प्लान में जबलपुर को महानगर की तर्ज पर विकसित करने के उद्देश्य से 5 बड़ी सड़क एम आर 1– 2– 3 –4– 5 प्रस्तावित की गई थी लेकिन 45 वर्ष बीतने को आए हैं इनमें से एक भी मुख्य सड़क आज तक उस मास्टर प्लान के अनुसार पूरी नहीं हो पाई यदि मास्टर प्लान की इन प्रस्तावित सड़कों को गंभीरता से लेकर पूरा कर दिया जाता तो आज शहर में जो जाम की स्थिति निर्मित होती है उससे निजात मिल सकती थी। आज भी लोगों को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए लगभग पूरे शहर की परिक्रमा करना पडती है वही शहर की सड़कों पर भी वाहनों का बड़ा दबाव है जिसके कारण शहर की यातायात व्यवस्था भी चरमराहई रहती है। इतना ही नहीं इस बीच शहर में बसाहट तो बढी है लेकिन बेतरतीब ढंग से। इसके बाद वर्ष 1995 से लेकर वर्ष 2005 के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया किंतु धरातल पर प्लान नहीं लागू हुआ और कागजों तक ही सिमट कर रह गया। और आज भी कुछ इसी तरह की स्थिति बनी हुई है। 1980 से लेकर अब तक प्रदेश में सत्ता चाहे किसी की रही हो किसी भी ने भी जबलपुर के चहुमुखी विकास के लिए जरूरी इस मास्टर प्लान को गंभीरता से लागू करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किये और शहर आज भी एक अदद मास्टर प्लान की कमी से जूझ रहा है। आज भी जब जबलपुर के लोग विकास के मामले में इंदौर भोपाल की तुलना में जबलपुर को कमतर आंकते हैं तो इसके पीछे मुख्य वजह है शहर का मास्टर प्लान के अनुसार विकास ना होना जिसके लिए कहीं ना कहीं जनप्रतिनिधि और अधिकारी दोनों जिम्मेदार हैं। यदि जबलपुर का विकास भी मास्टर प्लान के अनुसार किया गया होता तो आज यह पिछड़ा हुआ शहर विकास के मामले में इंदौर भोपाल से
कम नहीं होता।