जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

सिविल जज व एडीजे की मुख्य परीक्षा में सम्मिलित अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को सार्वजनिक करने के लिए हाईकोर्ट के विरूद्ध जन हित याचिका दायर

जबलपुर  :- ‘एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एन्ड सोसल जस्टिस’ नामक संस्था द्वारा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर मे डब्लू पी नं. 13090/ 2022 दायर करके सिविल जज व एडीजे की मुख्य परीक्षा में सम्मिलित अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को सार्वजनिक करने के लिए माँग की गई है तथा सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी करने की भी मांग की गई है । याचिका कर्ता के अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह व रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया सिविल जज व एडीजे के महत्वपूर्ण पद पर चयन प्रक्रिया पारदर्शी व निष्पक्ष होना चाहिए।

उत्तर पुस्तिकाओं को इंटरनेट के माध्यम से सार्वजनिक किया जाना जन हित मे

किसी भी प्रकार का भाई भतीजा-वाद या पक्षपात की आशंका से दूर करने के लिए आवश्यक है, कि सफल एवं असफल अभ्यर्थीयों की उत्तर पुस्तिकाओं को इंटरनेट के माध्यम से सार्वजनिक किया जाना जन हित मे आवश्यक है | हाईकोर्ट ने स्वम यह नियम बनाया है की प्रतियोगी की उत्तरपुस्तिका किसी भी नागरिक को सूचना अधिकार के तहत नही दी जाएगी और न ही दिखाई जाईगी । जबकि सुप्रीम कोर्ट के अनेकों फैसले मे स्पष्ट किया है कि भारतीय संविधान के तहत लोकतान्त्रिक व्यवस्था मे पारदर्शिता नागरिकों का मूल अधिकार है इस हेतु सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया क्रस्टल क्ल्रियल होना चाहिए |

हाईकोर्ट द्वारा यह भी नियम बनाया गया

हाईकोर्ट द्वारा यह भी नियम बनाया गया है की प्रत्येक अभ्यर्थी को मौखिक अर्थात इंटरव्यू मे 50 मे से 20 अंक लाना अनिवार्य होगा तभी वह उत्तरीण माना जाएगा, अर्थात कोई अभ्यर्थी लिखित परीक्षा मे 400 अंको मे से 380 या इससे भी अधिक प्राप्त कर्ता है और यदि उसे इंटरव्यू मे 20 से कम अंक दिए जाते है तो उक्त अभ्यर्थी फेल माना जाएगा | उक्त नियम संविधान के अनुछेद 14,16,19 तथा 21 के प्रावधानों से असंगत है, अर्थात इंटरव्यू मे 50 मे से 20 अंक प्राप्त करना अभ्यर्थी के क्षेत्राधिका से बाहर है तथा इंटरव्यू कमेटी का कृपा पात्र होता है |

विगत वर्षो के सिविल जज परीक्षा के परिणामो के अध्ययन से परिलक्षित है, की एससी/एसटी/ओबीसी के सैकड़ो अभ्यर्थी जो लिखित परीक्षा मे उच्च अंक प्राप्त किए है, लेकिन उन्हे इंटरव्यू मे 20 से कम अंक प्रदान किए गए है तथा जिन अभ्यर्थीयों ने मेरिट मे उच्च स्थान प्राप्त किया है उनकी उत्तरपुस्तिका किसी भी अभ्यर्थी/नागरिक को जानने के अधिकार से बंचीत किया जा रहा है जो की संविधान के प्रावधानों से असंगत है |

नियुक्तिया महामहिम राज्यपाल के द्वारा की जाती है

ज्ञात हो की उक्त नियुक्तिया महामहिम राज्यपाल के द्वारा की जाती है, जो एक सार्वजनिक लोकपद होता है इसलिए सभी नागरिकों उक्त सफल अभ्यर्थी के संवन्ध मे जानने का पूर्ण अधिकार प्राप्त होना चाहिए | याचिका में यह भी बताया गया है कि मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के लिए जुलाई 2019 में महामहिम राज्यपाल के नाम से सर्कुलर जारी कर सभी विभागों को आदेश दिया है चयन समिति मे एससी/एसटी/ओबीसी के प्रथक-प्रथक प्रतिनिधियों का होना अनिवार्य है जिसका पालन हाईकोर्ट द्वारा किया जाना आवश्यक है | उक्त याचिका की सुनवाई माननीय उच्च न्यायालय की डिवीजन बैंच द्वारा की जाना प्रतीक्षाधीन है |

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon Join Youtube Channel