शहर की खूबसूरती को ग्रहण लग रहे अतिक्रमण : अतिक्रमण हटाने को लेकर भेदभाव करने का आरोप

मंडला l नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने की मुहिम सी चल पड़ी है।जिसको लेकर नगरपालिका परिषद और प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए जनचर्चा है,कि शहर में इस समय प्रशासन और नगर पालिका के द्वारा अतिक्रमण हटाने का दौर जोरों पर तो है।पर इस मुहिम में इन दोनों का रवैया भेदभाव पूर्ण भी है।
बता दें,कि जहां एक ओर बड़ी-बड़ी दुकानों, प्रतिष्ठानों का निर्माण नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से किये जाने की छूट दी जा रही है,उनमें भूमिगत तलघर ( अंडरग्राउंड) निर्माण कि अनुमति नहीं होने के वावजूद भी निर्माणकार्य बेरोकटोक कराया जा रहा है । सड़कों के किनारे फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले व्यापारियों के लिए भी नगरपालिका के पास कोई नियम-कायदे शायद नहीं हैं।
नगरपालिका क्षेत्र की व्यस्ततम सड़क को सुसज्जित करने के उद्देश्य से चल रहे निर्माण कार्य भी तारीफे काबिल है,परंतु लगता है, इसका लाभ शहर और शहर में आने वाली जनता को शायद ही कभी मिल पाये।ऐसा इसलिए कि चौड़ी की गई आधी सड़क पर बड़े व्यापारियों के द्वारा दुकानों का या तो सामान फैलाकर रख दिया जाता है या फिर ऐसी जगहों का उपयोग पार्किंग के लिए किया जाता है। वाहन पार्किंग के लिए भी कहीं पर जगह निर्धारित समझ में नहीं आती। व्यस्ततम मार्गों के किनारों पर भी शासकीय अशासकीय कार्यालय हैं, जहां पर आने वाले लोगों के लिए भी वाहन पार्किंग की समस्या बनती है। बड़े-बड़े माल गोदाम भी बने हुए हैं।जिनके सामने बड़े-छोटे मालवाहक वाहनों के खड़े रहने के कारण हमेशा जाम की स्थिति बनती रहती है। बस यही कारण है,कि पैदल चलने वालों के लिए सिंगल रोड उस पर भी डिवाइडर।
कुल मिलाकर देखा जाए तो शहर के अलावा लगभग सौ किलोमीटर से भी ज्यादा क्षेत्र में फैले जिले की ओर-छोर से भी जिला मुख्यालय पहुंचने वाली जनता को ऐसी स्थिति में बेजा और भेदभावपूर्ण अतिक्रमण से कभी राहत मिलेगी! यह कहना तो मुश्किल होगा।जरा सोचिए! भयानक बेरोजगारी के इस दौर के बावजूद ज्ञानदीप स्कूल के सामने रोड से अभी-अभी अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गयी है।अच्छा होता इनकी वैकल्पिक व्यवस्था भी जिला प्रशासन और नगरपालिका परिषद प्रशासन के द्वारा बना दी जानी चाहिए थी।ताकि अतिक्रमण हटाए जाने के बाद उस पीड़ित व्यक्ति के सामने रोजी-रोटी की समस्या और अधिक न पनप सके। साथ ही आम जनता तक भी यह संदेश जाए, कि शासन प्रशासन के द्वारा भेदभाव नहीं किया जा रहा है। सचमुच बुजुर्गों के द्वारा इसीलिए कहा जाता था,कि “अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह-चीन्ह के देय”
इनका कहना है…
शहर में अतिक्रमण हटाने को लेकर सभी के साथ एक समान कार्यवाही होनी चाहिए
अखिलेश कछवाहान, गरपालिका उपाध्याक्ष