प्रोविजनल फायर अनापत्ति के लायक भी नहीं था अस्पताल कागजी रिपोर्ट पर दे दी एनओसी, नगर निगम नोटिस देकर कर रहा खानापूर्ति

जबलपुर यश भारत। न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में हुए अग्नि हादसे के बाद अब उसके जिम्मेदारों की तलाश की जा रही है और हादसे के कारणों को जाना जा रहा है । लेकिन इस पूरे मामले में सबसे प्रमुख भूमिका फायर सिक्योरिटी सिस्टम की है जो इस अस्पताल से पूरी तरह से नदारद रहा। जानकारी के मुताबिक अस्पताल की प्रोविजनल फायर अनापत्ति मार्च महीने में समाप्त हो गई थी। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा फायर को लेकर दूसरी अनापत्ति नहीं ली गई लेकिन सवाल यह उठता है कि जो पहली अनापत्ति 2 मार्च 2021 को अस्पताल को दी गई थी क्या वह भी सही थी । इस पूरे मामले में नगर निगम का फायर विभाग नोटिस की बात कहकर खुद को बचा रहा है। लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसमें सबसे प्रमुख बात तो यह है कि जो पहली फायर एनओसी 2021 में अस्पताल को जारी की गई थी । जिसके आधार पर उसे जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा अस्पताल के संचालन की अनुमति प्राप्त हुई वही पूरी तरह से गलत थी और नियमों को ताक पर रख कर दी गई थी।
यह है नियम कोई भी व्यक्ति जो अस्पताल अथवा सार्वजनिक उपयोग का कोई भवन तैयार करता है तो उसके लिए नगर निगम के फायर ब्रिगेड विभाग से एनओसी लेना होती है जिसके लिए उसे निर्धारित प्रारूप में एक फायद प्लान तैयार करके विभाग के सामने रखना होता है जिसे फायर कंसलटेंट तैयार करके देते हैं जिसमें 53 बिंदु निर्धारित होते हैं जिनको पूरा किया जाना होता है जिसके आधार पर फायर विभाग अपने स्तर पर पड़ताल करता है और समिति के द्वारा सभी मापदंडों को परखता है जिसके बाद फायर एनओसी दी जाती है।
कैसे मिल गई एनओसी
अग्नि हादसे के समय भीषण नजारा सामने आया उसने अग्निशमन सुरक्षा की पोल खोल कर रख दी। ऐसे में कुछ बेसिक चीजें होती हैं जिन्हें भवन निर्माण के समय बनाना होता है। जिसके आधार पर फायर की एनओसी मिलती है। लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। जिन 53 बिंदुओं के आधार पर कंसलटेंट अपनी रिपोर्ट तैयार करता है उसमें सबसे प्रमुख बिंदु होता है फायर एग्जिट याने दुर्घटना के दौरान आपातकाल में भवन में मौजूद लोग जिस वैकल्पिक रास्ते से बाहर निकलेंगे। लेकिन इस अस्पताल में कोई भी फायर एग्जिट नहीं था। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि पहली रीजनल फायर एनओसी फायर अधिकारी द्वारा कैसे दे दी गई।
कौन है कंसलटेंट
इस पूरे मामले में फायर प्लान बनाने वाले इंजीनियर और फायर कंसलटेंट की भूमिका भी सबसे प्रमुख है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर फायर ब्रिगेड एनओसी तैयार करता है। जबकि पूरी बिल्डिंग में फायर सिक्योरिटी को लेकर कोई भी व्यवस्था नहीं थी तो ऐसे में किस कंसलटेंट एजेंसी द्वारा या किस इंजीनियर द्वारा सिर्फ कागजों पर फायर प्लान बना कर तैयार किया गया इसकी भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि पूरे मध्यप्रदेश में 6 से 7 ही फायर इंजीनियर हैं जो फायर प्लान तैयार करके देते हैं और जबलपुर शहर की विडंबना यह है कि यहां एक भी फायर इंजीनियर और फायर कंसलटेंट मौजूद नहीं है।