पैथोलॉजी सेंटरों को किसका संरक्षण ? जांच दल ने 8 सेंटरों में पाई थी अनियमितताएं
एसडीएम की रिपोर्ट पर एक्शन नहीं ले पा रहा स्वास्थ विभाग

कटनी, यशभारत। शहर में नियम विरुद्ध संचालित पैथोलॉजी सेंटर्स की जांच में गड़बड़ी पाए जाने संबंधी एसडीएम की रिपोर्ट पर स्वास्थ विभाग 10 दिन बाद भी कोई एक्शन नहीं ले पाया। सूत्र बताते हैं कि तगड़ी सेटिंग के चलते स्वास्थ्य विभाग इन पर कार्यवाही करने से कतरा रहा है, जबकि शासन के निर्देशों के बाद ही जांच दल का गठन हुआ था और इस दल ने 8 पैथॉलाजी सेंटरों में अनियमितताएं पाई थी। न तो पैथोलॉजिस्ट मौजूद थे और न ही इनमें अनुबंधित डॉक्टर। सरकार की स्पष्ट गाइड लाइन है कि बिना पैथोलॉजिस्ट कोई भी सेंटर संचालित नहीं होगा। यह भी नियम है कि एक पैथोलॉजिस्ट केवल दो सेंटरों में ही अपनी सेवाएं दे सकता है लेकिन कटनी में डंके की चोट पर इन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कलेक्टर को इसे संज्ञान में लेना चाहिए।
जानकारी के मुताबिक सरकार से मिले निर्देशों के बाद 9 अगस्त को तीन जांच दल गठित किए गए थे, जिनमें तहसीलदार के साथ चिकित्सक को भी शामिल किया गया था। इन दलों ने शहर के गर्ग चौराहा स्थित आयुष पैथोलॉजी, आदर्श कालोनी स्थित बालाजी पैथोलॉजी, नेमा पैथोलॉजी, आजाद चौक स्थित अदिति पैथोलॉजी, भट्ठा मोहल्ला स्थित गणेश पॉजिथोलॉजी, माधवनगर स्थित गुरु पैथोलॉजी, चांडक चौक स्थित जालपा मेडिकल तथा गर्ग चौराहा स्थित राधिका पैथोलॉजी की जांच की। बताया जाता है कि जांच दल को इन सेंटर्स में अनुबंधित चिकित्सक नहीं मिले। दल ने इन चिकित्सकों को हाजिर होने का मौका भी दिया, लेकिन कोई नहीं पहुंचा। इसके बाद जांच दल ने अपना प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी को सौंप दिया। इस प्रतिवेदन के आधार पर 25 अक्टूबर को एसडीएम ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉ अठया को निर्देशित किया कि आठों सेंटर्स के विरुद्ध कार्यवाही की जाए, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी इस पत्र को ही दबाए बैठे हैं। सालों से शहर के पैथॉलाजी सेंटर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं लेकिन इनकी तरफ देखने सुनने वाला कोई नहीं।
एक पैथोलॉजिस्ट केवल दो सेंटरों पर दे सकता सेवाएं
सूत्र बताते हैं कि एक पैथोलाजिस्ट मात्र दो जांच केंद्रों में अपनी सेवाएं दे सकता है। इसमें एक तो उसका खुद का पैथोलाजी केंद्र और दूसरा किसी और का हो सकता है। यदि खुद का केंद्र नहीं है तो अन्य दो केंद्रों में वह सेवाएं दे सकता है। पैथोलाजिस्टों को 15 दिन के भीतर अपने जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को बताना होगा कि वह किन केंद्रों में सेवाएं दे रहे हैं या देना चाहते हैं। अभी ज्यादातर पैथोलाजी केंद्र लैब टेक्नीशियन ही चला रहे हैं। वह किसी पैथोलाजिस्ट का डिजिटल सिग्नेचर जांच में प्रिंट कर देते हैं। जांच की गुणवत्ता भरोसे की नहीं होने के कारण नुकसान रोगी को होता है। कई बार दो अलग.अलग जांच केंद्रों की रिपोर्ट अलग-अलग होने की शिकायतें भी आती हैं। कुछ लैब टेक्नीशियन बिना डिजिटल सिग्नेचर के रिपोर्ट दे देते हैं। बताया जाता है कि सरकार के नियमों के तहत पैथालॉजिस्टों को बताना होगा कि वे किन लैब के लिए काम कर रहे हैं या करेंगे।
नोएडा और गुजरात में पैथोलॉजिस्ट कर रहे नौकरी, डिजिटल साइन से जारी हो रही जांच रिपोर्ट
जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच में दो पैथोलॉजी सेंटर में तो बाहर के पैथालॉजिस्ट मिले। ये नोएडाए गुजरात और इंदौर में काम कर रहे हैंए बावजूद इसके शहर में उनके नाम से गंभीर अनियमितता हो रही है। कुछ पैथोलॉजी लैब में मरीजों की खूनए यूरिन और अन्य जांच रिपोर्ट डिजिटल साइन के जरिए जारी की जा रही हैं। इन पैथोलॉजी की हुई जांच शहर में संचालित होने वाली 8 पैथोलॉजी। जांच में पाया गया कि कई पैथोलॉजी लैब्स में अनट्रेंड युवक और युवतियां बिना किसी खास योग्यता के मरीजों की जांच कर रहे हैं। ये लोग केवल अंदाजे से बीमारियां तय कर रहे हैं और रिपोर्ट जारी कर रहे हैं, जिससे मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है। यह भी पाया गया कि कई मामलों में पैथोलॉजिस्ट या तो लैब में मौजूद नहीं होते हैं, या फिर उनके द्वारा सिर्फ किए हुए हस्ताक्षर होते हैं। हाई तकनीक की मशीनों का हवाला देकर कर्मचारियों से ही जांच कराई जा रही है।