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यश भारत संपादकीय ,डाल देगा हलाकत में इक दिन तुझे ऐ परिंदे तिरा शाख पर बोलना

भारत को टैक्स चुकाना पड़ता है लेकिन पाकिस्तान को नहीं।”

यश भारत संपादकीय ,डाल देगा हलाकत में इक दिन तुझे ऐ परिंदे तिरा शाख पर बोलना

भारत के मशहूर शायर ताहिर फारस का यह शेर सियासी बेताल है उन राजनेताओं पर जो मुंहफट बने रहने के लिए अनावश्यक बेतुके बयानों से सियासत का पारा चढ़ा देते हैं। शायर ने इन पर जानकारों की राय जताई है। भारतीय राजनीति में चुनावी हलचल, नेताओं के बेतुके बयानों से गाहे-बगाहे जारी रहती है। विपक्षी दल हो या सत्तापक्ष, एक-दूसरे पर छींटाकशी से सियासत गरमाती रहती है। चुनावी साल में ऐसे बयान ज्यादा सुर्खियां बटोरते हैं। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और विदेश मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने जब बयान दिया कि “भारतीय जनता पार्टी तो चीन का भी दुश्मन नहीं मानती।” बयान विदेश नीति से जुड़ा हुआ है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों में कांग्रेस को मिली सीटों के बाद उन्हें 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बनाई गई एआईसीसी की विदेशी इकाई “ओवरसीज कांग्रेस” का चेयरमैन है।

2024 उत्तर भारतवासियों को ‘चाइनीज’, दक्षिण को ‘अमेरिकी’ कहने पर अपने पत्ते से इस्तीफा देना पड़ा। फरवरी 2025 को जब इन्होंने चीन को भारत का दुश्मन नहीं माना तब बयान विदेश मंत्रालय और जनता पार्टी पर एक हमलावर हो गई थी। यह भी पॉलिटिकल मसला है। 1984 के सिख दंगों पर सवाल उठने पर मणिशंकर अय्यर ने कहा था – 84 में हुआ था हुआ, अब क्या? यह बयान बेहद विवादास्पद माना गया था।

इसी तरह और नेताओं के गैर जरूरी बयानों से सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ जाता है। कार्ति चिदंबरम ने चीन को दुश्मन न मानने वाला बयान देकर कांग्रेस को असहज कर दिया। इसी पर टैक्स से जुड़ा बयान भी सियासी हंगामा खड़ा कर गया। यह बयान था – “भारत को टैक्स चुकाना पड़ता है लेकिन पाकिस्तान को नहीं।” कांग्रेस के नेताओं के लिए यह बयान सियासी और टैक्स वाला डंक बन पड़ा है। भारत के ऐसे नेताओं को अपनी जुबान संभालकर बोलना चाहिए, क्योंकि जब यह हलाकत का आसार बन जाता है तब मामला गरम हो जाता है।

वर्तमान में सेफ सियासत पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा नेपाल में घर वाला बायस बन गया है। सोशल मीडिया ट्रोल का शिकार होने लगे हैं। सोशल मीडिया पर इनका बयान तेजी से वायरल हो जाता है। चिदंबरम सीनियर का भी ऐसा ही बयान 26/11 मुंबई हमले के बाद चर्चा में आया था।

सोशल मीडिया पर बयान वायरल होने के बाद नेताओं की साख प्रभावित होती है। सोशल मीडिया और डिजिटल क्रांति ने राजनीतिक नागरिकों को जागरूक बना दिया है। सियासी बयान देने के बाद सोशल मीडिया के कामेंट्स देखे जाएं, तो इन्हें कुछ लोग राष्ट्रद्रोही करार दे रहे हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया, कहा कि कांग्रेस ने 26/11 हमले को संदेह की नजर से नहीं अपमानशासित पुनालखा ट्रोल बना दिया। बिल्कुल बेबुनियाद रहे, इनवेस्टर के बयान में उन्होंने पार्टी की नीति पर सवाल उठाए हैं। भाजपा ने बयान को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कांग्रेस की नीति जैसे 370 पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया।

कांग्रेस के नेताओं के ऐसे बयानों से पार्टी की छवि सवालों के घेरे में रहती है। सियासी पंडित इसे पार्टी के लिए आत्मघाती बयान मान रहे हैं। कार्ति का यह बयान पार्टी के आधिकारिक बयान से मेल नहीं खाता। ऐसे बयान पार्टी के लिए आफत बन जाते हैं। नेताओं को चाहिए कि बयानबाजी में संयम बरतें। सियासत में जबान संभाल कर बोलना चाहिए।

शायर का शेर की सावधानी जीवन का पहला पाठ बन लेना चाहिए जिसमें शायर ने कहा है –

जब कभी बोलना वक्त पर बोलना
मुफ़्तलि सोचना मुफ़्तसर बोलना।।

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