जबलपुर

समस्याएं ही समस्याएं, नहीं मिल रही निजात

 

दशकों से समस्याओं के किस्से बन चुके हैं नासूर

जबलपुर, यशभारत। संस्कारधानी वासियों के सामने आज भी बड़ी समस्याएं विकराल रूप धारण किए खड़ी हैं। लाख कोशिश के बावजूद जनप्रतिनिधि और अधिकारी इन समस्याओं से लोगों को निजात दिलाने में अभी तक पूरी तरह सफल नहीं हो सके हैं। फाइलों पर योजनाएं तो बनती जा रहीं हैं, पर अभी तक इन समस्याओं के निवारण के लिए ठोस प्रयास नहीं हो पाने से धरातल पर कुछ नहीं बदल रहा। कुछ मामलों में कोशिशें हुई भी तो अधूरी। अब तो शहरवासियों को भी लगने लगा है कि इन समस्याओं का शायद अभी कोई अंत नहीं है। उन्हें इंतजार ऐसे अफसरों का है, जो योजनाओं को फाइलों से निकालकर धरातल पर कुछ करें और उन्हें इन समस्याओं से निजात दिलाएं। दशकों से समस्याओं के किस्से नासूर बन चुके हैं। चुनावों में बड़ी बड़ी बातें होती हैं लेकिन जीतने के बाद शायद किसी को पलट के देखने की फुरसत नहीं रहती।

बुनियादी सुविधाएं भी खस्ताहाल
शहर के भीतर और सीमा क्षेत्र में अनेक कॉलोनियां हैं। अवैध कालोनियों को वैध कराने की लड़ाई लंबे समय से चल रही थी, जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले सभी कालोनियों को निर्धारित प्रक्रिया के तहत वैध करने की कार्यवाही शुरू की थी। आज भी इन कालोनियों में हालात बदतर हैं। पहले अवैध के बहाने कुछ नही हो सका अब प्रकिया में सबकुछ लटका है। चुनाव के पहले उम्मीद बनी थी कि कालोनियों का विकास होगा पर आज भी मूलभूत सुविधाओं की मोहताजी के बीच लोग रोज परेशान हो रहे हैं। कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं की बेहद कमी है।

बाइपास बना, फिर भी जानें जा रहीं
उम्मीद थी कि शहर में बाइपास बनने से शहर के भीतर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधरेगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। रिंग रोड का सपना अब भी अधूरा है। रेत, गिट्टी और अन्य सामग्री से लोड बड़े वाहन अब भी शहर की छाती पर मूंग दल रहे हैं। पैसे लेकर इन्हें शहर से निकलने की इजाजत कौन देता है, यह स्थिति किसी से छिपी नही है। शहर के भीतर अब भी मुख्य सड़कों पर जाम की स्थिति है। दिन में भी ट्रक व ओवर लोड वाहन शहर के अंदर दौड़ते नजर आ रहे हैं। इन पर ट्रैफिक पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में भी कोई कमी नहीं आई है।

खनन और ओवरलोडिंग
अवैध खनन व ओवरलोडिंग भी जिले में एक गंभीर समस्या बन गई है। जिला प्रशासन की ओर से दोनों समस्याओं के समाधान के लिए कभी ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। शहर से लगे इलाकों में हर तरफ लगातार अवैध खनन और अवैध परिवहन के मामले सामने आ रहे हैं। जिला प्रशासन की धरपकड़ भी जारी है लेकिन राजनीति के स्तर पर ऐसी आवाजों को दबाया जा रहा है। खनन माफिया इतने ताकतवर है कि जो उसका विरोध करता है उसके खिलाफ ही केस दर्ज करा दिया जाता है। शाम ढलते ही रेत, गिट्टी, इैंट और मुरम लादे हाइवा व डम्पर दौड़ने लगते हैं।

कानून व्यवस्था पूरी तरह लचर
लचर कानून व्यवस्था से शहर असुरक्षित हो रहा है। खासतौर पर यहां महिलाएं जुल्म का शिकार हो रही हैं। हत्या, लूट, चोरी, स्नेचिंग व धोखाधड़ी जैसी वारदातें लगातार बढ़ रहीं हैं। अवैध शराब विक्रय के साथ जुआ, सट्टा सूदखोरी, क्रिकेट सट्टा और मादक पदार्थों की बिक्री में कटनी शहर खासा बदनाम हो चुका है। गांजे और स्मैक के गोरखधंधे ने खाकी वर्दी पर भी सवाल खड़े किए हैं। वारदातों को रोकने के लिए कोई ठोस नीति भी पुलिस बनाने में पूरी तरह फेल रही। पिछले एक साल में अनेक ऐसे मामले सामने आए जिनसे शहर की आपराधिक पहचान स्थापित हुई।

करोड़ों खर्च फिर भी सफाई बेहाल
शहर की सफाई पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। फिर भी व्यवस्था से हर नागरिक दुखी है। प्रतिदिन शहर से कई टन कूड़ा निकलता है। सफाई के लिए दोहरी व्यवस्था नगर निगम ने लागू कर रखी है। नगर निगम की सफाई सेना तो लाखों रुपये प्रतिमाह पगार ले ही रही है। कई सालों से प्राइवेट ठेका देकर रखा गया है। इसके बावजूद कचरे का सही से उठाव नहीं हो पा रहा। न तो कूड़ा उठ पा रहा है न ही नाले नालियों की सफाई हो रही है। अव्यवस्थित सफाई की वजह से स्वच्छता सर्वेक्षण में भी कटनी को को कोई खास रैंकिंग नही मिल सकी।

निर्माण कार्यों के कारण नालियां जाम पानी सड़क पर
शहर की कालौनियों में बन रहे आशियानोंके कारण निर्माण सामग्री सड़क किनारे डाल दी गई है जिससे नालियां जाम होगई है गंदा पानी सड़क पर बहने की कगार पर है। मालिक मकान के कानों में जू नहीं रेंगती और नगर निगम के अधिकारियों ने आंखें मूंदे रखी हैं। इस विकराल समस्या से हर कालीैनी ग्रसित है।

खाली प्लाट बने कचराघर
मोहल्लों और कालौनियों में खली पड़े प्लॉट कचराघर में तब्दील हो गए हैं। जेडिए के ईडब्ल्यू एस क्वाटर इसकी बानगी है। जहां अच्छे दाम मिलने की लालच में प्लाट मालिक निर्माण कार्य नहीं कराते और कचरा गाड़ी न आने के कारण लोग इन्हीं प्लाटों में कचरे का ढेर लगा रहे है जिससे मच्छर पनपते हैं संक्रामक रोग फैलने का अंदेशा रहता है। जेडिए न जाने क्यों जुर्माना नहीं लगा रही।

गौरीघाट में महिला श्रद्धालुओं को नहीं मिल पा रही सुविधाएं
गौरीघाट में असामाजिक तत्वों के कारण महिलाओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है नर्मदा स्नान करने के बाद महिलाओं को वस्त्र बदलने के लिए लगाए गए शेड असमाजिक तत्वों ने तोड़ दिए हैं रात्रि मे शराब पीने वाले भी उत्पात मचाते हैं महिलाओं को वस्त्र बदलने के लिए वैसे भी शेड कम बनाये गये हैं और जो हैं उनकी चादर काटकर तोड़ दी गई हैं जिससे महिलाओं को बेहद असुविधा का सामना करना पड़ रहा है महिलाओं को जो वस्त्र बदलने शेड बने हैं रात्रि में वहीं पर रहने वाले भिखारी गंदगी कर देते हैं जिससे महिलाओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता हैं महिलाएं नर्मदा स्नान के बाद शेड ना होने से वस्त्र बदलने में शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती हैं।स्थानीय जनों ने ग्वारीघाट थाना प्रभारी से मांग की है कि रात्रि में घाट पर पुलिस कर्मियों की नियुक्ति और गश्त की जाए स्थानीय जनों ने कलेक्टर,महापौर से उमा घाट में शेड लगाने की मांग की है। साथ ही पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाने की मांग की है।
००००००००००००००

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon Join Yashbharat App
Notifications Powered By Aplu