जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

सिविल जज एवम एडीजे के अभ्यर्थीयों की उत्तर पुस्तिकाओं को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रदान करने बाली याचिका खारिज की

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उक्त याचिका में संविधान महत्व के 8 प्रश्नों के उत्तर दिए बिना ही खारिज की हाईकोर्ट ने प्रमाणपत्र देने से किया इंकार ।
• याचिका मे संविधान की व्याख्या के मौजूद विधि के सारवान प्रश्नो मे दाखल के बिना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट मे अपील करने हेतु प्रमाण पत्र की मांग को किया खारिज ।

जबलपुर :- एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एवम शोसल जस्टिस नामक संस्था द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमे हाईकोर्ट द्वारा की जाने वाली सिविल जज एवम एडीजे की भर्ती को निष्पक्ष एवम पारदर्शी बनाने के लिए संवंधित अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं कों सर्वजनिक कर सूचना के अधिकार के तहत प्रदान किए जाने की राहत चाही गई थी । हाईकोर्ट में मौजूद नियम अनुसार उत्तर पुस्तिका सिर्फ संवंधित अभ्यर्थी को ही दी जा सकती है, किसी तीसरे पक्ष को नही ।

उक्त याचिका को हाईकोर्ट की डीविजन बैंच ने (जस्टिस शील नागू एवं डी डी बंशल) ने यह कहते हुए ख़रीज कर दी थी की उत्तर पुस्तिकाएं संवंधित की व्यक्तिगत जानकारी है ! उक्त याचिका खारिज किए जाने से बिधि के अनेक अनसुलझे प्रश्न उत्तपन्न है जिनके समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट में सीधे अपील करने हेतु एक पृथक से, “एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एवम शोसल जस्टिस” ने याचिका MISC. CIVIL CASE (MCC) 2260/2022 दाखिल की गई थी | उक्त याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14,19 तथा 133-A के प्रावधानों की व्याख्या सहित हाईकोर्ट के निर्णय की संवैधानिकता का भी प्रश्न मौजूद था |

उक्त प्रश्नो की विस्तृत व्याख्या करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए हाईकोर्ट से प्रमाणपत्र की मांग की गई थी । उक्त याचिका की दिनांक 25/11/22 को जस्टिस शील नागू तथा डी. डी. बंशल की खंडपीठ द्वारा वितरित सुनवाई की जाकर याचिका फैसले के लिए सुरक्षित रख ली है । उक्त याचिका मे दिनांक 10/12/2022 को 6 पेज का फैसला पारित करते हुए यह कहते हुए खारिज कर दी गई है की हाईकोर्ट द्वारा याचिका कर्मांक WP(WRIT PETITIONS) 13090/2022 मे पारित आदेश दिनांक 02/9/2022 के समवंध मे संविधान के अनुच्छेद 134-A के तहत प्रमाण पत्र जारी करने की कोई आवश्यकता नही है |

हाईकोर्ट के समक्ष उठाए गए विधि के 8 प्रश्नो के समवंध मे डिविजन वैंच ने अपना कोई अभिमत नाही दिया गया है न ही हाईकोर्ट ने उक्त प्रश्नो को अपने फैसले मे उल्लिखित किया गया है | अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया की हाईकोर्ट के उक्त दोनों फैसलो के विरूद्ध दिनांक 24/12/2022 को सुप्रीम कोर्ट मे विशेष अनुमत याचिका (SLP) दाखिल की जाएगी | हाईकोर्ट मे याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायकनप्रसाद शाह ने की ।

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