कमाई की होड़ में यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़
बसों में धड़ल्ले से भेजे जा रहे पटाखे और ज्वलनशील पदार्थ

जबलपुर, यश भारत। राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर बीते दिन एक निजी यात्री बस में आग लगने की भयावह घटना सामने आई, जिसमें अब तक 20 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है और करीब 20 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं। आग इतनी भीषण थी कि कई यात्री बस के अंदर ही जिंदा जल गए। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, बस के लगेज बॉक्स में रखे गए पटाखों की वजह से आग तेजी से फैली और कुछ ही मिनटों में पूरी बस जलकर खाक हो गई। यहां भी मौजूद है वही खतरा
राजस्थान की इस दर्दनाक घटना ने बसों में लगेज के नाम पर ज्वलनशील सामग्री के खुलेआम परिवहन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
जबलपुर से भी हर रोज़ सैकड़ों निजी बसें प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाती हैं और त्योहारों, खासकर दीपावली के दौरान इनमें पटाखे, गैस सिलेंडर, थिनर, पेट्रोलियम उत्पाद और अन्य ज्वलनशील वस्तुएं बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम के भेजी जा रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों से जबलपुर में पटाखों की आवक, और जबलपुर से पड़ोसी जिलों में पटाखों की खेप निजी यात्री बसों के जरिए पहुंचाई जा रही है। न तो बस ऑपरेटर सुरक्षा नियमों का पालन कर रहे हैं, और न ही प्रशासन या परिवहन विभाग की कोई निगरानी व्यवस्था सक्रिय दिख रही है।
स्थानीय फटाका व्यापारियों के मुताबिक, त्योहार के सीजन में प्राइवेट बसें सबसे सस्ता और तेज़ माध्यम बन गई हैं माल भेजने का। लेकिन यह सुविधा अब सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है। नियमों के अनुसार, किसी भी यात्री वाहन में ज्वलनशील या विस्फोटक सामग्री ले जाना सख्त वर्जित है। लेकिन हकीकत ये है कि कई बार यात्रियों के सामान के बीच इन खतरनाक वस्तुओं को छुपाकर ले जाया जा रहा है — जिससे दुर्घटना का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
प्रशासनिक उदासीनता, जिम्मेदार विभाग मौन
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन गतिविधियों पर ना तो परिवहन विभाग, ना ही आरटीओ, ना फायर ब्रिगेड और ना ही पुलिस कोई कार्रवाई कर रही है। हर साल त्योहारों में यही स्थिति दोहराई जाती है, लेकिन किसी प्रकार की स्थायी निगरानी या जांच अभियान नहीं चलाया जाता। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “अधिकारियों को जानकारी है, लेकिन संसाधनों की कमी और दबाव के चलते कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”
राजस्थान जैसी घटना की पुनरावृत्ति से इनकार नहीं
वर्तमान हालात को देखते हुए राजस्थान जैसी भयावह दुर्घटना जबलपुर में भी किसी दिन घट सकती है, इसमें कोई दो राय नहीं। यदि लगेज बॉक्स में पटाखों के साथ कोई छोटी चिंगारी भी आ जाए, या शॉर्ट सर्किट हो जाए, तो न केवल बस बल्कि उसमें सवार दर्जनों यात्रियों की जान पर बन सकती है। जब तक प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस ‘कमाई बनाम जान’ के खेल पर रोक नहीं लगाते, तब तक यात्रियों की जान खतरे में बनी रहेगी। त्योहार के सीजन में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। अब वक्त आ गया है कि बस ऑपरेटरों की मनमानी पर लगाम लगे।







